अडानी ग्रुप का बड़ा फैसला, प्रतिबंधित जहाजों को कंपनी के 14 पोर्ट्स पर नहीं मिलेगा प्रवेश : रिपोर्ट
अडानी पोर्ट्स एंड लॉजिस्टिक्स ने अपने सभी पोर्ट्स पर अमेरिका, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन की तरफ से प्रतिबंधित जहाजों का प्रवेश बंद कर दिया है. यह कदम कानूनी और व्यावसायिक हितों की सुरक्षा के लिए उठाया गया है और भारत-रूस तेल लेनदेन पर बढ़ते वैश्विक दबाव के बीच आया है.

अडानी पोर्ट्स एंड लॉजिस्टिक्स रूस से भारत तेल लाने वाले जहाजों को लेकर बड़ा फैसला किया है. कंपनी ने यूरोपीय संघ, अमेरिका और ब्रिटेन की तरफ से प्रतिबंधित जहाजों को अपने सभी पोर्ट्स पर प्रवेश देने से इन्कार कर दिया है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि कंपनी ने इस सबंध में एक आंतरिक आदेश जारी किया है. कंपनी ने अपने आदेश में कहा है कि यह फैसला पोर्ट्स के कानूनी और व्यावसायिक हितों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर लिया गया है.
क्यों उठाया यह कदम?
अडानी पोर्ट्स एंड लॉजिस्टिक्स भारत में 14 बंदरगाह संचालित करती है. रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी ने अपने आदेश कहा है कि पोर्ट्स के कानूनी और व्यावसायिक हितों की सुरक्षा के लिए प्रतिबंधित जहाजों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा. आदेशों में यह भी स्पष्ट किया गया है कि किसी भी प्रतिबंधित जहाज को प्रवेश, ठहराव या पोर्ट सर्विस नहीं दी जाएगी. जहाज का एनरोलमेंट करने वाले एजेंट से लिखित प्रमाण-पत्र की मांग की जाएगी कि जहाज किसी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध के तहत नहीं है. इसके बाद ही प्रवेश दिया जाएगा.
भारत और रूस से तेल खरीद
भारत समुद्री रास्ते से रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है. हाल के महीनों में रूसी तेल की आपूर्ति को लेकर भारत ने कड़ी निगरानी शुरू की है, खासकर उन जहाजों पर जो “शैडो फ्लीट” के जरिये से तेल ला रहे हैं. यह कदम अमेरिका, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन की तरफ से लगाए गए प्रतिबंधों के बाद आया है, जिनका मकसद रूस की ऑयल इनकम को सीमित करना और उसकी आर्थिक शक्ति को कम करना है.
अमेरिका-भारत डिप्लोमैटिक तनाव
भारत की तरफ से रूसी तेल खरीद को लेकर अमेरिका के साथ डिप्लोमेटिक तनाव भी देखा गया है. अमेरिकी प्रशासन ने कई बार भारत से आग्रह किया है कि वह रूस से तेल की खरीद को सीमित करे, ताकि पश्चिमी प्रतिबंध प्रभावी रह सकें. अडानी पोर्ट्स एंड लॉजिस्टिक्स का यह कदम, जहां अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुपालन को दर्शाता है, वहीं भारत की स्थिति को संतुलित करने की कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है. यह संकेत देता है कि भारत और निजी कंपनियां वैश्विक दबाव और घरेलू ऊर्जा जरूरतों के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रही हैं.
प्रतिबंधित जहाजों को प्रवेश नहीं
आदेशों में स्पष्ट किया गया है कि प्रतिबंधित जहाजों को किसी भी प्रकार का पोर्ट सर्विस इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं होगी. इस कदम से अडानी पोर्ट्स एंड लॉजिस्टिक्स को कानूनी या वित्तीय जोखिम से बचाने में मदद मिलेगी. विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम समूह की अंतरराष्ट्रीय व्यापार नीतियों के प्रति जिम्मेदारी और सतर्कता को दिखाता है. हालांकि, अडानी पोर्ट्स एंड लॉजिस्टिक्स ने इस मामले में कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है.
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