अनिल अंबानी पर ED का सख्त रुख, 17,000 करोड़ के घोटाले की जांच में तलब, सेबी ने भी लगाए गंभीर आरोप
ED ने रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी को 17000 करोड़ रुपये के कथित लोन फ्रॉड केस में पूछताछ के लिए समन भेजा है. ईडी ने मुंबई में 35 जगहों पर छापेमारी की, वहीं सेबी ने 10,000 करोड़ रुपये के फंड डायवर्जन पर रिपोर्ट शेयर की है.

Anil Ambani ED Summon: ED ने रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल अंबानी को 17,000 करोड़ रुपये के कथित लोन घोटाले की जांच के सिलसिले में पूछताछ के लिए समन भेजा है. उन्हें 5 अगस्त को दिल्ली स्थित ईडी मुख्यालय में पेश होने को कहा गया है. इस मामले में ईडी ने पिछले सप्ताह मुंबई में 35 स्थानों पर छापेमारी की थी, जिसमें रिलायंस ग्रुप से जुड़ी 50 कंपनियां और 25 व्यक्ति शामिल थे. जांच प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत की जा रही है.
सेबी ने भी उठाए सवाल
इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सेबी ने ईडी और अन्य दो एजेंसियों के साथ अपनी एक अलग जांच रिपोर्ट शेयर की है. इसमें रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर द्वारा 10,000 करोड़ रुपये की कथित फंड डायवर्जन का आरोप लगाया गया है. सेबी ने बताया कि यह पैसा इंटर-कॉरपोरेट डिपॉजिट (ICD) के रूप में CLE प्राइवेट लिमिटेड के जरिये ग्रुप की अन्य इकाइयों में भेजा गया.
आरोपों को बताया बेबुनियाद
इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, रिलायंस ग्रुप के एक करीबी सूत्र ने सेबी की रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने 6500 करोड़ रुपये की रिकवरी के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज के जरिए मध्यस्थता की प्रक्रिया अपनाई और बॉम्बे हाईकोर्ट में सेटलमेंट दाखिल किया. उनका दावा है कि रकम वसूल की जा सकती है और सेबी का 10,000 करोड़ का दावा तथ्यहीन है.
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CLE के साथ लेनदेन पर फोकस
सेबी की रिपोर्ट के अनुसार रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने CLE के साथ भारी वित्तीय लेनदेन किए. मार्च 2022 तक इसकी कुल राशि 8302 करोड़ रुपये थी. FY17 से FY21 के बीच R Infra ने 10,110 करोड़ रुपये का राइट ऑफ किया था. इसके बावजूद कंपनी CLE को लगातार एडवांस देती रही.
रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शन में गड़बड़ी
सेबी ने कहा कि रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने CLE को जानबूझकर रिलेटेड पार्टी घोषित नहीं किया, ताकि शेयरहोल्डर और ऑडिट कमेटी की मंजूरी की आवश्यकता से बचा जा सके. CLE को एक स्वतंत्र कंपनी बताकर कई फाइनेंशियल डिटेल्स छुपाई गईं और गलत तरीके से अकाउंट किया गया.
अनिल अंबानी की भूमिका पर सवाल
सेबी के अनुसार अनिल अंबानी मार्च 2019 तक रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर में 40 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी रखते थे और मार्च 2022 तक वे इसके नॉन एग्जीक्यूटिव चेयरमैन भी रहे. रिपोर्ट में कहा गया है कि उनकी स्थिति और कंट्रोल को देखते हुए डायवर्जन की जिम्मेदारी उनसे जुड़ती है.
आगे की हो सकती है बड़ी कार्रवाई
अब ED द्वारा की जाने वाली पूछताछ और सेबी की रिपोर्ट के आधार पर यह देखा जाएगा कि क्या इस पूरे मामले में आपराधिक साजिश और मनी लॉन्ड्रिंग भी शामिल हैं. ईडी, एनएफआरए और IBBI इस पर अपनी स्वतंत्र जांच कर रहे हैं. आने वाले दिनों में इस केस में बड़ी कानूनी कार्रवाइयों की संभावना है.
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