
1.21 लाख करोड़ रुपये बकाया, कौन कर रहा आयुष्मान स्कीम को फेल?
देश में किसी भी गरीब परिवार के लिए सबसे बड़ा डर बीमारी का होता है….इलाज के महंगे बिल…दवाइयों का खर्च और अस्पताल में भर्ती होने का डर…ये सब एक झटके में पूरे घर का बजट हिला देता है…ऐसे में साल 2018 में सरकार ने एक बड़ी उम्मीद जगाई थी…आयुष्मान भारत योजना….वादा था कि देश के सबसे गरीब और कमजोर तबके को सालाना 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज मिलेगा….कार्ड बने, अस्पताल जोड़े गए, और मरीजों को कहा गया कि अब इलाज का खर्च उनकी जेब से नहीं, सरकार की जेब से जाएगा.
कहा ये गया कि ये स्कीम गेमचेंजर है…लेकिन, लॉन्चिंग के 7 साल बाद आयुष्मान योजना की जमीनी हकीकत सामने आ रही है. इस पूरी स्कीम पर ही अब सवाल उठने लगे हैं. मिसाल के तौर पर…हरियाणा में 600 से ज्यादा निजी अस्पतालों ने इसी महीने आयुष्मान भारत के मरीजों का इलाज बंद कर दिया….अब आप पूछेंगे कि आखिर निजी अस्पताल ऐसा क्यों कर रहे हैं? तो इसकी वजह ये है कि सरकार को जो पैसा चुकाना था वो सरकार ने नहीं दिया. अब जब सरकार पैसा नहीं दे रही तो निजी अस्पतालों ने आयुष्मान कार्ड वाले मरीजों का इलाज बंद कर दिया.