रुपये के लिए आ गया डॉलर से भी बड़ा खतरा, क्या ड्रैगन बिगाड़ देगा भारत का खेल !

ट्रंप टैरिफ के बाद से चीन की मुद्रा युआन की पकड़ बाजार में कमजोर पड़ रही है, इसकी गिरावट दूसरी एशियाई मुद्राओं को प्रभावित कर सकती है. इससे रुपये पर भी खतरा बढ़ गया है. ऐसे में अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर रुपये को डॉलर की जगह युआन की वजह से खतरा हो सकता है.

युआन से रुपये को क्‍यों है खतरा? Image Credit: money9

Rupee at risk due to yuan: ट्रंप टैरिफ के चलते डॉलर पहले के मुकाबले थोड़ा कमजोर पड़ा है, जिससे ग्‍लोबल लेवल पर रुपये की स्थिति मजबूत हुई है. 18 अप्रैल को 1 डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की वैल्‍यू 85.40 है. आज इसमें 0.09% की बढ़त देखने को मिली, हालांकि रुपये की ये मजबूती ज्‍यादा दिनों तक टिकने वाली नहीं है, क्‍योंकि व्यापारिक प्रतिद्वंदी चीन की अपनी मुद्रा युआन पर पकड़ ढीली पड़ रही है. इसमें लगातार गिरावट देखने को मिल रही है, जिसका असर भारतीय रुपये पर पड़ सकता है. युआन की गिरावट से रुपये पर कमजोरी का दबाव बढ़ रहा है.

ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के मुताबिक चीन के युआन और भारतीय रुपये के बीच के एक्‍सचेंज रिलेशन मई 2023 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है, यानी युआन की कमजोरी रुपये को भी नीचे खींच सकती है. युआन के गिरने से से चीन के साथ व्यापारिक संबंध रखने वाले ज्‍यादातर एशियाई देशों की मुद्रा भी इससे प्रभावित होगी.

कितनी आई गिरावट?

पिछले साल डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी चुनाव जीतने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI युआन के कमजोर पड़ने पर रुपये पर इसके असर को झेलने के लिए तैयार थी. मगर इस बार ये गिरावट ज्‍यादा प्रभावित कर सकती है, क्‍योंकि इस महीने युआन अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 0.6 प्रतिशत लुढ़का है, जो इंडोनेशियाई मुद्रा को छोड़कर एशियाई मुद्राओं में सबसे बड़ी गिरावट है. दूसरी ओर, रुपये में इस दौरान महज 0.1 प्रतिशत की मामूली कमजोरी आई है.

ट्रंप टैरिफ से बढ़ा डंपिंग का खतरा

यूएस राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की नई टैरिफ नीति के तहत चीन पर 245 फीसदी टैरिफ लगाए जाने के बाद से चीन यानी ड्रैगन यूएस के कड़े शुल्कों से बचने के लिए नया जुगाड़ लगा रहा है. वो अपने उत्पादों को भारत समेत दूसरे देशों में भेजने की जुगत में है, लेकिन इससे डंपिंग का खतरा बढ़ रहा है. इससे भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा पहले के मुकाबले और ज्‍यादा बढ़ सकता है. बता दें भारत चीन से माइक्रोचिप्स, रसायन, सौर पैनल जैसे तमाम सामान आयात करता है.

क्‍या है विशेषज्ञों का अनुमान?

बिजनेस स्‍टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक बार्कलेज बैंक की मुद्रा रणनीतिकार लेमन झांग का कहना है कि आरबीआई युआन-रुपये की ऑफशोर जोड़ी पर पैनी नजर रख रहा है. दोनों देश अब एक जैसे उत्पादों के निर्यात के लिए दुनिया में कांटे की टक्कर दे रहे हैं. झांग का अनुमान है कि यह मुद्रा जोड़ी जल्द ही 11.5 से 12 के दायरे में कारोबार करेगी. रुपये और युआन के बीच 120 दिन का कोरिलेशनशिप पहले से कहीं मजबूत होकर इस महीने 0.29 तक पहुंच गया है. एक महीने के रुपये नॉन-डिलिवरेबल फॉरवर्ड और युआन का 30 दिन का सहसंबंध तो 0.66 के ऊंचे स्तर पर है. वैश्विक व्यापार युद्ध के असर से जूझ रही आरबीआई की मुद्रा रणनीति के लिए यह एक नई मुश्किल है. आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने हाल ही में कहा था कि अगर बाजार में अस्थिरता ज्यादा बढ़ी तो केंद्रीय बैंक इसमें हस्तक्षेप करेगा.