Crude Price Crash! धड़ाम होगा कच्चे तेल का दाम, S&P Global की रिपोर्ट भारत होगा मालामाल
क्रूड ऑयल प्राइस का भारत की इकोनॉमी से लेकर आम लोगों की जेब तक सीधा असर पड़ता है. फिलहाल, क्रूड ऑयल को लेकर S&P Global की एक रिपोर्ट भारतीय इकोनॉमी के लिए बूस्टर डोज से कम नहीं है. क्योंकि इस रिपोर्ट में कच्चे तेल के दाम में बड़ी गिरावट का अनुमान लगाया गया है.

S&P Global Crude Oil Price Prediction: इजरायल-ईरान युद्ध की वजह से अचानक क्रूड के दाम में आई तेजी अब थम चुकी है. वहीं, OPEC+ की तरफ से प्रोडक्शन बढ़ाने की संभावना के बीच फाइनेंशियल कंसल्टेंसी व एनालिटिक्स पर काम करने वाली S&P Global ने एक रिपोर्ट में कहा है कि आने वाले दिनों में कच्चे तेल के दाम तेजी से नीचे जा सकते हैं. इसके साथ ही इस रिपोर्ट में कहा गया है कि तेल के दाम घटने से भारत को काफी फायदा हो सकता है.
कितना गिर सकता है भाव?
S&P की रिपोर्ट के मुताबिक इस, वर्ष के अंत तक कच्चे तेल की कीमतें 60 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ सकती हैं. इसके साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि यह स्थिति भारत के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकती है. इसके साथ ही बताया गया है कि अगर आने वाले दिनों में इजरायल-ईरान की झड़प या किसी भी कारण से होर्मुज से कच्चे तेल की आपूर्ति प्रभावित होती है, तो इसका भारत पर ज्यादा असर नहीं होगा, क्योंकि भारत ने इस रूट से आयात किए जाने वाले तेल की मात्रा में बड़ी कटौती की है.
80 डॉलर क्यों पहुंचा भाव?
इजरायल-ईरान के बीच 12 जून से 21 जून के बीच चली झड़प के दौरान कच्चे तेल का दाम 80 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया था. दोनों देशों के बीच युद्ध की वजह से होर्मुज में कंटेनर्स का ट्रैफिक घट गया था. इसके अलावा ईरान ने होर्मुज को ब्लॉक करने की भी धमकी दी थी, जिसकी वजह से कच्चे तेल का दाम अचानक बढ़ गया था. हालांकि, दोनों देशों के बीच सीजफायर होते ही दाम घट गया और फिलहाल यह 65 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है.
क्या है S&P का अनुमान?
S&P Global के लिए कमोडिटी इनसाइट्स में ऑयल मार्केट के रिसर्च एंड एनालिसिस के कार्यकारी निदेशक प्रेमाशीष दास ने इस रिपोर्ट में बताया है कि अपडेटेड ऑयल प्राइस आउटलुक के हिसाब से 2025 में बेंचमार्क ब्रेंड क्रूड की कीमत औसतन 63 डॉलर प्रति बैरल से 68 डॉलर प्रति बैरल के बीच रहने का अनुमान है. हालांकि, OPEC+ की तरफ से आपूर्ति में बढ़ोतरी होती है, तो दाम 60 डॉलर प्रति बैरल से नीचे तक गिर सकते हैं.
लॉन्ग टर्म में घट रही डिमांड
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि लॉन्ग टर्म में कच्चे तेल की मांग में लगातार गिरावट का ट्रेंड जारी है. क्योंकि, दुनियाभर में अब रिन्युएबल एनर्जी पर खासा जोर दिया जा रहा है. खासतौर पर चीन और भारत जैसे देशों में रिन्युएबल एनर्जी पर युद्धस्तर पर काम चल रहा है, जिससे कच्चे तेल के दाम लॉन्ग टर्म में डिमांड की कमी से घटते रहेंगे.
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