ट्रंप के टैरिफ प्लान को बड़ा झटका, अमेरिकी कोर्ट ने लगा दी रोक; राष्ट्रपति की शक्तियों पर खड़े कर दिए सवाल

Trump Tariff Plan: अमेरिकी कोर्ट ने राष्ट्रपति ट्रंप की टैरिफ योजना पर रोक लगा दी है. कोर्ट का कहना है कि यह कदम संवैधानिक अधिकारों की सीमा को लांघने के बराबर है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इंटरनेशनल बिजनेस को कंट्रोल करने का अधिकार अमेरिकी संविधान के अनुसार कांग्रेस के पास है.

ट्रंप टैरिफ अमेरिकी कोर्ट ने लगाई रोक Image Credit: PTI

US Court on Trump Tariff: पूरी दुनिया में टैरिफ के नाम पर हाहाकार मचाने वाले ट्रंप को अमेरिकी कोर्ट से झटका लगा है. अमेरिकी कोर्ट ने ट्रंप के प्रस्तावित लिबरेशन डे यानी टैरिफ योजना पर रोक लगा दी है. टैरिफ पर रोक लगाने के साथ कोर्ट ने अमेरिका के राष्ट्रपति की शक्तियों को कठघरे में खड़ा कर दिया और कहा कि ट्रंप का कई देशों पर एक समान टैक्स लगाने की कोशिश करना संवैधानिक अधिकारों की सीमा को लांघने के बराबर है.

अमेरिकी कोर्ट का तर्क

रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका की ये कोर्ट न्यूयॉर्क के मैनहटन में स्थित कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड है जिसने स्पष्ट किया कि इंटरनेशनल बिजनेस को कंट्रोल करने का अधिकार अमेरिकी संविधान के अनुसार कांग्रेस (अमेरिकी सांसदों) के पास है. राष्ट्रपति अपनी इमरजेंसी पावर का इस्तेमाल कर कांग्रेस के अधिकारों को नहीं छीन सकते.

हालांकि व्हाइट हाउस ने इस फैसले पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन माना जा रहा है कि ट्रंप प्रशासन इस फैसले के खिलाफ अपील करेगा.

पूरे केस को समझें…

यह केस लिबर्टी जस्टिस सेंटर ने दायर किया था जो पांच छोटे अमेरिकी व्यापारियों की ओर से कोर्ट पहुंचा था. ये व्यापारी उन देशों से माल मंगाते हैं जिन पर ट्रंप सरकार टैरिफ लगाना चाहती है. यह ट्रंप की टैरिफ नीति को लेकर पहला बड़ा कानूनी संघर्ष था.

इन कंपनियों में न्यूयॉर्क का वाइन और स्पिरिट इंपोर्टर और वर्जीनिया की एक ऐसी कंपनी शामिल है जो एजुकेशनल किट और म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बनाती है. इनका कहना है कि टैरिफ से उनका व्यापार बुरी तरह प्रभावित होगा.

बता दें कि अब तक ट्रंप की इस नीति के खिलाफ कम से कम सात मुकदमे दायर किए जा चुके हैं, जो उनकी टैरिफ पॉलिसी को चुनौती दे रहे हैं.

छोटे व्यापारियों का तर्क

रिपोर्ट के अनुसार, केस करने वाले व्यापारियों का कहना है कि 1977 में बनाए गए इंटरनेशनल इमर्जेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट (IEPPA) में टैरिफ लगाने की कोई अनुमति नहीं दी गई है और अगर दी भी गई हो तो भी अमेरिका का व्यापार घाटा कोई नया नहीं पिछले 49 वर्षों से अमेरिका व्यापार घाटे में हैं. इसलिए ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी कानून के तहत नहीं है.

ट्रंप प्रशासन का तर्क

रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि 1971 में राष्ट्रपति निक्सन ने इमरजेंसी टैरिफ लगाए थे जिसे अमेरिकी कोर्ट ने भी सपोर्ट किया था. ट्रंप प्रशासन ने कहा कि कानून के तहत है या नहीं – यह केवल कांग्रेस का अधिकार है, अदालतों का नहीं.