महंगाई के डोज के लिए हो जाएं तैयार, साबुन तेल शैंपू से लेकर कई प्रोडक्ट हो सकते हैं महंगे
एचयूएल, गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड, मैरिको, आईटीसी और टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड जैसी कई प्रमुख एफएमसीजी कंपनियां शहरी खपत में कमी को लेकर चिंता व्यक्त कर रही हैं.जीसीपीएल के प्रबंध निदेशक और सीईओ सुधीर सीतापति ने इन्फ्लेशन के प्रभाव पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्हें लगता है कि यह एक अल्पकालिक झटका है और वे मूल्य वृद्धि और लागत को स्थिर करके मार्जिन को ठीक कर लेंगे.
भारत की प्रमुख एफएमसीजी कंपनियों के लिए सितंबर तिमाही काफी चुनौतीपूर्ण रही है, क्योंकि बढ़ती लागत और फूड इन्फ्लेशन के कारण शहरी खपत में कमी आई है. पीटीआई के अनुसार, पाम तेल, कॉफी और कोको जैसी वस्तुओं की कीमतों में उछाल के चलते कुछ कंपनियां दाम में बढ़ोतरी के संकेत दे रही हैं. एचयूएल, गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड, मैरिको, आईटीसी और टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड जैसी कई प्रमुख एफएमसीजी कंपनियां शहरी खपत में कमी को लेकर चिंता व्यक्त कर रही हैं.
जीसीपीएल के प्रबंध निदेशक और सीईओ सुधीर सीतापति ने इन्फ्लेशन के प्रभाव पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्हें लगता है कि यह एक अल्पकालिक झटका है और वे मूल्य वृद्धि और लागत को स्थिर करके मार्जिन को ठीक कर लेंगे. नेस्ले इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक सुरेश नारायण ने इन चिंताओं को दोहराते हुए कहा कि मध्यम वर्ग के उपभोक्ता उच्च मुद्रास्फीति की मार झेल रहे हैं, जिससे उनके बजट पर काफी असर पड़ा है.
उन्होंने फलों, सब्जियों और तेल की बढ़ती कीमतों की ओर इशारा करते हुए कहा कि खाद्य और पेय पदार्थ क्षेत्र में वृद्धि कुछ तिमाहियों पहले दोहरे अंकों में हुआ करती थी, लेकिन अब घटकर 1.5-2 प्रतिशत रह गई है. मैगी और नेस्कैफे जैसे लोकप्रिय ब्रांड बनाने वाली नेस्ले इंडिया ने घरेलू बिक्री में 0.94 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है.
एचयूएल के सीईओ और एमडी रोहित जावा ने भी मुद्रास्फीति के प्रभाव को नोट किया और कहा कि पैटर्न बिल्कुल स्पष्ट है कि शहरी विकास में गिरावट आई है, जबकि ग्रामीण विकास आगे बढ़ रहा है. मुद्रास्फीति के दबाव को कम करने के लिए सफोला ने तेल जैसे उत्पादों की कीमतें बढ़ा दी हैं.
जल्द सुधार की उम्मीद
बिस्कुट निर्माता कंपनी पारले प्रोडक्ट्स के उपाध्यक्ष मयंक शाह ने कहा कि ग्रामीण मांग में सुधार, अच्छे मानसून और दाम में बढ़ोतरी इस वित्तीय वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाही में एफएमसीजी विकास दर को पुनर्जीवित करेगी
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