बिटकॉइन को टक्कर देगा E-Rupee, 434 फीसदी बढ़ा सर्कुलेशन, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी होगा इस्तेमाल
भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को जारी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में बताया है कि मार्च 2025 तक ई-रुपी का कारोबार 1,016 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. इसके साथ ही RBI ने बताया कि सीमा पार भुगतान के लिए जल्द ही CBDC पायलट परियोजनाएं शुरू की जाएंगी.
RBI E-Rupee: भारतीय रिवर्ज बैंक की तरफ से शुरू की गई E-Rupee योजना कामयाब हो रही है. देश में फिलहाल ई-रुपी का सर्कुलेशन 1,016 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. रिजर्व बैंक ने गुरुवार को जारी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में इसकी जानकारी देते हुए बताया कि अब जल्द ही इस परियोजना को दूसरे देशों तक फैलाया जाएगा, ताकि अंतरराष्ट्रीय व्यापार में रुपये से भुगतान करना आसान हो सके.
क्या है CBDC?
दुनियाभर में Bitcoin जैसी क्रिप्टोकरेंसी केंद्रीय बैंकों के लिए चुनौती बन रही हैं. भारतीय रिजर्व बैंक ने इस चुनौती को समय रहते समझते हुए E-Rupee की पहल की है. इसे क्रिप्टोकरेंसी की तरह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर तैयार किया गया है. हालांकि, इसे जारी करने और इसके ट्रांजैक्शन मैकेनिज्म पर पूरा कंट्रोल रिजर्व बैंक का है. रिजर्व बैंक की इस परियोजना को CBDC यानी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी कहा जाता है. क्रिप्टोकरेंसी की तरह ही ई-रुपी से भुगतान पारदर्शी और आसान बनेगा.
434 फीसदी बढ़ा सर्कुलेशन
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी यानी CBDC परियोजना, जिसे E-Rupee कहा जाता है, पिछले एक साल में सर्कुलेशन के हिसाब से 434 फीसदी बढ़ गया है. पिछले वर्ष ई-रुपी का सर्कुलेशन 234 करोड़ रुपये का था, जो मार्च 2025 में करीब 434 फीसदी बढ़कर 1,016 करोड़ रुपये हो गया. भारतीय बाजार में ई-रुपी की कामयाबी के बाद अब रिजर्व बैंक CBDC को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने की तैयारी में है.
कब हुई शुरुआत?
CBDC को पहली बार नवंबर 2022 में होलसेल कारोबारियों के बीच टेस्ट किया गया. इसके बाद रिटेल सेक्टर में भी इसका एक पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया. अब सीमा पार भुगतान को सरल बनाने के लिए इसका इस्तेमाल किए जाने की तैयारी की जा रही है. बिटकॉइन जैसी नॉनर-फिएट वर्चुअल करेंसी से मौद्रिक प्रणाली के सामने आ रही चुनौतियों से निपटने में यह प्रोजेक्ट हम साबित होगा.
सीमा पार इस्तेमाल की क्या है योजना?
RBI ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रिजर्व बैंक सीमा पार भुगतान के लिए CBDC के इस्तेमाल की तैयारी कर रहा है. खासतौर पर द्विपक्षीय बौर बहुपक्षीय भुगतान में टर्नअराउंड टाइम, एफिशिएंसी और ट्रांसपेरेंसी से जुड़ी चुनौतियों को हल करने में ई-रूपी की अहम भुमिका हो सकती है. इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने बताया कि कुछ देशा के साथ द्विपक्षीय व्यापार में CBDC के इस्तेमाल की संभावनाओं को सक्रियता से तलाशा जा रहा है.
ई-रुपी के कितने नोट चलन में?
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक सर्कुलेशन में मौजूद 1,016 करोड़ के ई-रुपी में से 857 करोड़ रुपये का हिस्सा 500 रुपये के मूल्यवर्ग में है, जबकि 91 करोड़ रुपये 200 रुपये के और 38 करोड़ रुपये 100 रुपये के मूल्यवर्ग में सर्कुलेशन में मौजूद हैं. रिजर्व बैंक के मुताबिक मार्च 2025 में ई-रुपी के रिटेल पायलट प्रोजेक्ट से 17 बैंक और 60 लाख यूजर जुड़े हैं.