अनिल अंबानी की कंपनियों में तीसरे दिन भी ED की छापेमारी जारी, जब्त दस्तावेजों में क्या ढूंढ रही है एजेंसी?

तीन दिन, कई ठिकाने, और दर्जनों जब्ती, सरकारी एजेंसियों की ये कार्रवाई एक आम रेड नहीं. ऐजेंंसी का दावा है कि यस बैंक डील से जुड़ी अनियमितताओं की परतें खुल रही हैं. ईडी ने कंपनयों से कई दस्तावेज जब्त किए हैं और जांच अभी भी जारी है.

तीसरे दिन भी नहीं रुकी छापेमारी! Image Credit: Kapil Patil/HT via Getty Images

ED raid on Reliance companies: मुंबई में अनिल अंबानी से जुड़ी कंपनियों पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की छापेमारी का आज तीसरा दिन है. पीटीआई के हवाले से जांच एजेंसी के अधिकारी ने बताया कि कई ठिकानों पर किए गए रेड से दस्तावेज और डिजिटल सबूत हाथ लगे हैं. यह कार्रवाई 3,000 करोड़ रुपये के बैंक लोन फ्रॉड और कई वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों के सिलसिले में की जा रही है. अनिल अंबानी की कुछ कंपनियों ने सफाई दी है कि ED की कार्रवाई का उनके मौजूदा कारोबार पर कोई असर नहीं पड़ा है.

35 से ज्यादा ठिकानों पर रेड, 50 कंपनियां रडार पर

ED ने 24 जुलाई से मुंबई के अलग-अलग हिस्सों में अनिल अंबानी ग्रुप से जुड़ी कंपनियों और अधिकारियों के यहां छापे मारे हैं. कुल मिलाकर 35 से ज्यादा ठिकानों पर जांच चल रही है. ये ठिकाने करीब 50 कंपनियों और 25 व्यक्तियों से जुड़े हैं. इनमें रिलायंस ग्रुप के कई बड़े अधिकारी भी शामिल हैं. कार्रवाई PMLA (Prevention of Money Laundering Act) के तहत की जा रही है.

यस बैंक से मिले लोन में गड़बड़ी की जांच

जांच एजेंसी के मुताबिक, यह मामला 2017 से 2019 के बीच अनिल अंबानी ग्रुप की कंपनियों को मिले लगभग 3,000 करोड़ रुपये के लोन से जुड़ा है. आरोप है कि यस बैंक ने ये लोन बिना उचित ड्यू डिलिजेंस के दिए और इन पैसों को बाद में कई ग्रुप कंपनियों व शेल (बोगस) कंपनियों में घुमा दिया गया. इसके साथ ही ये भी सामने आया है कि लोन मंजूरी से पहले यस बैंक के प्रमोटरों को कुछ रकम मिली थी, जिससे रिश्वतखोरी (quid pro quo) का एंगल भी जांच के घेरे में है.

ED का दावा है कि उन्हें कुछ ऐसी बातें भी पता चली हैं जो लोन प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं की ओर इशारा करती हैं. उदाहरण के तौर पर:

  • बिना क्रेडिट एनालिसिस के लोन की मंजूरी
  • बैक-डेटेड क्रेडिट अप्रूवल
  • कमजोर फाइनेंशियल बैकग्राउंड वाली कंपनियों को लोन
  • एक ही पते पर कई कंपनियां और साझा डायरेक्टर्स

ED की कार्रवाई CBI की दो FIRs और सेबी, नेशनल हाउसिंग बैंक (NHB), नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (NFRA) व बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा साझा की गई रिपोर्टों पर आधारित है. इन रिपोर्टों में ये भी संकेत मिले हैं कि एक संगठित तरीके से पब्लिक मनी का दुरुपयोग किया गया.

कंपनियों की सफाई, कारोबार पर कोई असर नहीं

रिलायंस पावर और रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने स्टॉक एक्सचेंज को दी जानकारी में कहा है कि ED की कार्रवाई से उनके कारोबार, फाइनेंशियल परफॉर्मेंस या शेयरहोल्डरों पर कोई असर नहीं पड़ा है. उन्होंने यह भी कहा कि ये आरोप रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) और रिलायंस होम फाइनेंस (RHFL) से जुड़े हैं, जिनका उनसे कोई सीधा लेना-देना नहीं है और ये मामले 10 साल पुराने हैं.

10,000 करोड़ की लोन हेराफेरी और विदेशी संपत्तियों की भी जांच

ED फिलहाल एक बड़े आरोप की भी जांच कर रही है, जिसमें रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े करीब 10,000 करोड़ रुपये के लोन डायवर्जन की बात कही गई है. इसके अलावा कुछ अघोषित विदेशी बैंक खाते और संपत्तियां भी रडार पर हैं. साथ ही रिलायंस म्यूचुअल फंड द्वारा AT-1 बॉन्ड्स में 2,850 करोड़ रुपये के निवेश की भी जांच हो रही है, जिसमें ‘क्विड प्रोक्वो’ (सौदे के बदले सौदा) की आशंका जताई गई है.

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सरकार ने हाल ही में संसद में बताया था कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने RCOM और अनिल अंबानी को ‘फ्रॉड’ कैटेगरी में डाल दिया है और CBI में शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है. हालांकि ईडी की जांच अभी जारी है, और अगले कुछ दिनों में और बड़े खुलासे हो सकते हैं.