महाराष्ट्र सरकार ने रोक दिया मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना का पैसा, इन 2 स्कीम्स को बंद करने पर भी चर्चा; क्या है वजह
Maharashtra Financial Stress: यह योजना 2024 के विधानसभा चुनाव से लगभग पांच महीने पहले जून के अंत में शुरू की गई थी. पिछले साल जुलाई से अक्टूबर के बीच तीर्थ दर्शन योजना के तहत अयोध्या के श्रीराम मंदिर की 9 यात्राओं में 6,424 वरिष्ठ नागरिकों ने हिस्सा लिया था.
Maharashtra Financial Stress: महाराष्ट्र की सरकार ने राज्य के वित्तीय संकट के चलते अपनी ‘मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना’ के लिए फंड रोक दिया है. यह एक ऐसी योजना है, जिसके जरिए वरिष्ठ नागरिकों को तीर्थ स्थलों की यात्रा कराई जाती है और खर्च सरकार उठाती है. यह योजना 2024 के विधानसभा चुनाव से लगभग पांच महीने पहले जून के अंत में शुरू की गई थी. लेकिन राज्य की वित्तीय स्थिती खराब होने के चलते देवेंद्र फडणवीस सरकार ने मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना को फंड जारी नहीं किया है.
अन्य योजनाओं को भी बंद करने पर चर्चा
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले हफ्ते कैबिनेट की बैठक में सरकार ने दो अन्य योजनाओं को बंद करने पर भी चर्चा की. इसमें गरीबों के लिए शिव भोजन थाली (चपाती, चावल, दाल और सब्जी सहित पका हुआ भोजन) और आनंदाचा शिधा (त्यौहारों के मौकों पर वितरित की जाने वाली चीनी, खाद्य तेल, चना दाल, सूजी जैसी किराने की वस्तुओं की एक किट), शामिल है. कुल मिलाकर राज्य ने चालू वित्त वर्ष में अब तक 1,300 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.
पिछले साल जुलाई से अक्टूबर के बीच तीर्थ दर्शन योजना के तहत अयोध्या के श्रीराम मंदिर की 9 यात्राओं में 6,424 वरिष्ठ नागरिकों ने हिस्सा लिया था. लेकिन चुनाव के बाद नागपुर से 800 लाभार्थियों के साथ केवल एक यात्रा बिहार के गया के लिए गया था. अयोध्या के लिए 13 और ओडिशा के पुरी के लिए एक यात्रा की योजना बनाई गई है. हालांकि, इन्हें फिलहाल रोक दिया गया है.
खर्च में कटौती पर फोकस
इंडियन एक्सप्रेस ने वित्त विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से लिखा कि सरकार जितना संभव हो सके खर्च में कटौती करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है. चुनाव से पहले कई निर्णय लिए गए थे और यह उनमें से एक है. योजनाओं की समीक्षा की जा रही है कि क्या इसे कुछ समय के लिए रोक सकते हैं. यह देरी वित्त विभाग द्वारा अयोध्या में राम मंदिर के लिए 13 तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए 25 करोड़ रुपये की किश्त जारी करने में असमर्थता के कारण हुई है.
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चुनाव से पहले हुआ था योजनाओं का ऐलान
विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार ने कई योजनाएं शुरू कीं, जिनमें माझी लाडकी बहीण योजना, अन्नपूर्णा योजना, लड़कियों के लिए मुफ्त व्यावसायिक शिक्षा, तीर्थ दर्शन योजना और किसानों के लिए बिजली बिल माफी शामिल हैं. कुल मिलाकर, इन पहलों से राज्य के खजाने पर 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आने का अनुमान है, जिसमें से माझी लाडकी बहीण योजना (गरीबी रेखा से नीचे की महिलाओं को 1,500 रुपये प्रति माह) के लिए 46,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ता है.
कर्ज का बोझ
इन योजनाओं ने सरकार के घाटे और कर्ज के बोझ पर दबाव डालना शुरू कर दिया है. 2024-25 के बजट में राजकोषीय घाटा 1.10 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया था. माझी लाडकी बहीण योजना समेत योजनाओं की घोषणा के बाद वित्त विभाग के अधिकारियों ने कहा कि यह 2 लाख करोड़ रुपये को पार करने का अनुमान है.
क्या है मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना?
मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना, सभी धर्मों के वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक तीर्थ यात्रा योजना है, जिसकी घोषणा पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने 28 जून, 2024 को की थी. इस योजना के तहत, 2.5 लाख रुपये से कम पारिवारिक आय वाले 60 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिक को महाराष्ट्र में 161 और पूरे भारत में 88 तीर्थ स्थलों की यात्रा करने के लिए 30,000 रुपये दिए जाते हैं.
कितने पैसे खर्च हुए
2024-25 में सरकार ने 30 करोड़ रुपए आवंटित किए, जिसमें से 20 करोड़ रुपए पहले ही खर्च किए जा चुके हैं. सामाजिक न्याय विभाग को इस साल के लिए नियोजित तीर्थयात्राओं को पूरा करने के लिए अतिरिक्त 25 करोड़ रुपए की आवश्यकता थी. हाल ही में राज्य सरकार ने माझी लाडकी बहीण योजना से पांच लाख अयोग्य महिलाओं को बाहर करने का फैसला किया है.
उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजीत पवार ने वित्तीय अनुशासन की जरूरत पर जोर दिया है. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री के तौर पर मुझे कड़े फैसले लेने होंगे. पिछले साल चुनाव के चलते कुछ रियायतें दी गई थीं, लेकिन अगले पांच साल तक हमें वित्तीय अनुशासन बनाए रखना होगा.