भारत से 4000 किलोमीटर दूर तुर्की, फिर भी क्यों बन बैठा है दुश्मन; अब आएगी अक्ल ठिकाने

तुर्किये का भारत विरोधी रुख एक बार फिर सामने आया है, जब उसने कश्मीर में आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को ड्रोन सप्लाई किए. राष्ट्रपति एर्दोगान की मुस्लिम दक्षिणपंथी राजनीति और मुस्लिम उम्माह के नेतृत्व की महत्वाकांक्षा के चलते वह लगातार पाकिस्तान का समर्थन करता रहा है. इस रुख के कारण भारत में तुर्की के खिलाफ बहिष्कार की मांग तेज हो गई है. पर्यटन और व्यापार दोनों क्षेत्रों में असर दिखने लगा है.

राष्ट्रपति एर्दोगान की मुस्लिम उम्माह के नेतृत्व की महत्वाकांक्षा के चलते वह लगातार पाकिस्तान का समर्थन करता रहा है.

Turkiye India relations: कश्मीर के पहलगाम में हुई आतंकवादी घटना के बाद हुए संघर्ष में तुर्की ने पाकिस्तान का साथ देते हुए उसे अपने ड्रोन दिए. इसी ड्रोन का उपयोग पाकिस्तान ने भारतीय शहरों और नागरिकों पर हमले के लिए किया. दोनों देशों के बीच चल रहे संघर्ष में तुर्किये का यूं खुलकर पाकिस्तान का साथ देना कोई आश्चर्य की बात नहीं थी क्योंकि वह पहले भी कई मौकों पर भारत विरोधी और पाकिस्तान-परस्त बातें कर चुका है, खासकर कश्मीर के मुद्दे पर. इस घटना के बाद बहुत से लोग यह जानना चाहते हैं कि भारत से लगभग 4000 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तुर्किये किस बात की दुश्मनी निभा रहा है. जबकि उसकी सीमा भारत से मिलती भी नहीं है, जिसकी वजह से उसका पाकिस्तान या चीन जैसा कोई विवाद हो.

1948 से तुर्किये का भारत से संबंध

भारत से लगभग 4000 किलोमीटर हवाई दूरी और 8000 किलोमीटर जमीनी दूरी पर स्थित तुर्किये एशिया और यूरोप दोनों का हिस्सा है. हालांकि इसका ज्यादातर हिस्सा एशिया में है और एक छोटा सा हिस्सा ही यूरोप में पड़ता है. इसी के चलते यह नाटो का भी सदस्य है. भारत और तुर्किये के बीच 1948 में राजनयिक संबंध बने थे और ज्यादातर समय दोनों देशों के बीच संबंध अच्छे रहे हैं. हालांकि वहां के वर्तमान राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन के सत्ता में आने के बाद से रिश्तों में कड़वाहट आने लगी है.

फिर क्यों भारत के खिलाफ

भारत और तुर्किये के बीच किसी भी मुद्दे को लेकर कभी भी झड़प नहीं हुई है. फिर भी एर्दोगान (2003 ) के सत्ता में आने के बाद से वह पाकिस्तान के साइड में रहता है और कश्मीर मुद्दे को जोरशोर से उठाता रहता है. असल में एर्दोगान की खुद की राजनीति मुस्लिम दक्षिणपंथी विचारधारा की है, इसी वजह से वह पाकिस्तान का साथ देकर अपने वोटरों को मुस्लिम परस्त होने का संदेश देना चाहते हैं. जिससे उन्हें अपने देश में कट्टरपंथियों का समर्थन मिलता रहे, जिनके दम पर वह सत्ता में बैठे हुए हैं.

इसीलिए वह भारत विरोधी बयान और स्टैंड लेते रहते हैं. इसके अलावा एर्दोगान का तुर्किये को ऑटोमन साम्राज्य जैसा प्रभावशाली बनाना का ख्वाब भी भारत विरोधी स्टैंड का कारण है. तुर्किये मुस्लिम उम्माह यानी सभी मुस्लिम देशों में भाईचारे की बात करता है. एर्दोगान का मुस्लिम दुनिया का नेता बनने का ख्वाब भी उसे पाकिस्तान का साथ देने और भारत का विरोध करने के लिए मजबूर करता है.

भारी पड़ सकता है भारत विरोधी रुख

भारत-पाकिस्तान के दरम्यान हुए हालिया झड़प के दौरान जिस तरह से तुर्किये ने पाकिस्तान का साथ लिया है, इससे उसे भारी खामियाजा उठाना पड़ सकता है. इस घटना के बाद देश में लोगों के बीच तुर्किये बायकॉट का अभियान चल रहा है और लोग तुर्किये के सामानों का बहिष्कार कर रहे हैं. पुणे में व्यापारियों ने तुर्किये से आने वाले सेब के बहिष्कार की घोषणा की है.

हर साल लगभग 3 लाख भारतीय तुर्किये घूमने जाते हैं लेकिन इस घटना के बाद इसमें कमी आई है और कई ट्रैवेल एजेंसियों ने वहां के लिए अपनी बुकिंग बंद कर दी है. ऐसा होता देख वहां का पर्यटन विभाग एक स्पष्टीकरण जारी करते हुए भारतीय सैलानियों को वहां आने का निमंत्रण दे रहा है. बता दें कि दोनों देशों के बीच लगभग 12 बिलियन डॉलर का व्यापार होता है.

किन चीजों का करते हैं व्यापार

भारत और तुर्किये के बीच होने वाले व्यापार में भारत तुर्किये को गाड़ियों के पुर्जे और मोटर वाहन, कपड़ा और रेडीमेड वस्त्र, ऑर्गेनिक केमिकल्स, जेम्स एंड ज्वेलरी, चाय, कॉफी और मसाले, लोहे और स्टील के उत्पाद निर्यात करता है. वहीं तुर्किये से मशीनरी और उपकरण, खनिज ईंधन और तेल, तांबा और तांबे के उत्पाद, चेरी और अनार, और खाद आयात करता है.