GST कटौती का मिलेगा पूरा फायदा, सरकार ने दी अनसोल्ड स्टॉक की कीमतों में बदलाव की अनुमति

सरकार ने मैन्यफैक्चरर, पैकर्स और इम्पोर्टर्स को यह अनुमति दी है कि वे पहले से बने और पैक किए गए सामान के अनसोल्ड स्टॉक पर MRP में बदलाव कर सकते हैं. यह पहल GST रेट कटौती के बाद कारोबारियों को पैकेजिंग सामग्री की बर्बादी से बचाएगी.

जीएसटी Image Credit: tv9 bharatvarsh

केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामलों के विभाग ने पैक्ड कमोडिटीज नियम, 2011 के तहत आदेश जारी कर कहा कि कंपनियां उन सामानों की कीमतें बदल सकती हैं, जो जीएसटी रेट बदलने से पहले बने, पैक किए और आयात किए गए थे. इससे बदले हुए GST के हिसाब से इन सामानों की कीमत को बढ़ाया या घटाया जा सकता है. मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक इस तरह के बदलाव 31 दिसंबर या पुराना स्टॉक रहने तक किए जा सकते हैं.

क्या है MRP में संशोधन की प्रक्रिया?

कंपनियां स्टिकर, स्टैम्पिंग या ऑनलाइन प्रिंट के जरिये नई कीमतें दिखा सकती हैं. हालांकि, प्रोडक्ट्स पर पुरानी कीमत भी स्पष्ट रूप से दिखनी चाहिए. यह सुविधा 31 दिसंबर, 2025 तक या स्टॉक समाप्त होने तक लागू रहेगी. नई MRP में केवल जीएसटी में हुए बदलाव का असर ही दिखाना होगा. यदि टैक्स घट है, तो नई कीमत मूल कीमत से अधिक नहीं हो सकती. इस तरह के बदलाव करने वाली कंपनियों को दो अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित करना होगा और डीलरों तथा राज्य व केंद्रीय लीगल मेट्रोलॉजी अधिकारियों को कीमत में बदलाव की जानकारी देनी होगी.

गड़बड़ी पर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान

यदि कंपनियां जीएसटी कटौती का लाभ ग्राहकों तक नहीं पहुंचातीं हैं, तो यह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 2(47) के तहत अनुचित व्यापार प्रथा मानी जाएगी. इस तरह के मामले में पहली बार दोषी पाए जाने पर 10 लाख और फिर से दोषी पाए जाने पर 50 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने 22 सितंबर के बाद कीमतों की निगरानी का ऐलान किया है, ताकि उपभोक्ताओं को पूरी राहत मिले.

GST कटौती से उपभोक्ताओं को राहत

3 सितंबर को जीएसटी रेट्स में बदलाव के बाद अब दो स्लैब और 5% और 18% रह गए हैं. ज्यादातर रोजमर्रा की जरूरत की चीजों जैसे हेयर ऑयल, शैंपू, टूथपेस्ट, टॉयलेट सोप, ब्रश आदि पर जीएसटी 18% से घटाकर 5% कर दिया गया. मक्खन, घी, चीज़, डेली स्प्रेड और पैक किए गए नमकीन जैसे उत्पादों पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% कर दी गई. इससे उपभोक्ताओं को कीमतों में राहत मिलेगी. हालांकि कंपनियों को पुराने स्टॉक को मैनेज करने और नया स्टॉक समय पर बाजार तक पहुँचाने में असुविधा हो सकती है. इसी कारण सरकार ने MRP में संशोधन की अनुमति दी है.