गोल्ड पर आया ये लेटर उड़ा देगा होश; डिप्रेशन, मंदी और कीमतों का तैयार हो रहा जाल, जानें कैसे
जिस तरह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप ने टैरिफ वार छेड़ी है उससे तो उनके मातहत भी मंदी की आशंका जता रहे हैं. Kobeissi ने अपने लेटर में कहा है कि गोल्ड इस तरह से कारोबार कर रहा है जैसे हम एक डिप्रेशन के दौर में हैं. ऐसे में क्या दुनिया मंदी से भी बदतर किसी चीज की ओर बढ़ रही है ?
Gold Behaving Like World Economy in Depression: हर रोज सुबह उठिए और गोल्ड का एक नया रिकॉर्ड सामने आ जा रहा है. आलम यह है कि अब सबको इसका इंतजार है कि गोल्ड कितनी जल्दी एक लाख का आंकड़ा छुएगा, जैसे कोई काउंटडाउन चल रहा हो. दुनिया भर के दिग्गज चंद दिनों पहले के अपने ही अनुमानों को ऐसा रिवाइज कर रहे हैं, जैसे कोई रेस चल रही है कि कौन ज्यादा टारगेट देगा. गोल्ड इस समय इस तरह व्यवहार कर रहा है जैसे कि दुनिया डिप्रेशन में चली गई हो. क्योंकि वह मानकर चल रहा है विश्व में आर्थिक मंदी चल रही है.
इसकी वजह भी ठोस है जिस तरह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप ने टैरिफ वॉर छेड़ी है उससे तो उनके मातहत भी मंदी की आशंका जता रहे हैं. फेड रिजर्व प्रमुख जोरेम पावेल का बयान इसी ओर इशारा कर रहा है. पावेल ने कहा है कि अमेरिकी इकोनॉमी पर मंदी का खतरा बढ़ गया है.टैरिफ, इम्प्रिग्रेसन पॉलिसी और सरकारी खर्च में कटौती से आर्थिक गतिविधियों पर सीधे तौर पर असर डालेंगी.
अमेरिकी ट्रेजरी से बनाई दूरी
इन सब आशंकाओं के बीच गोल्ड इस समय 3,350 डॉलर प्रति औंस से अधिक की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है. आलम यह है कि चाहे बड़े निवेशक हो या फिर दुनिया भर के रिजर्व बैंक सब अभूतपूर्व तेजी से गोल्ड में निवेश कर रहे हैं. ये सारे निवेशक जोखिम लेने से बच रहे हैं. और अमेरिकी ट्रेजरी जैसे पारंपरिक सेफ ठिकानों से दूरी बना रहे हैं. इसी भय का असरहै कि यूएस गोल्ड वायदा 3,351 डॉलर पर पहुंच गया है.इस रैली ने गोल्ड की कीमतें अकेले 2025 के पहले 120 दिनों में 27 फीसदी से अधिक बढ़ गई हैं, और दुनिया भर के सभी प्रमुख एसेट पीछे हो गए हैं.
सोना हफ्तेभर में 1800 रुपये महंगा, 24 कैरेट ने छुआ 98000 का रिकॉर्ड;
डिप्रेशन के दौर में दुनिया
Kobeissi ने अपने लेटर में कहा है कि गोल्ड इस तरह से कारोबार कर रहा है जैसे हम एक डिप्रेशन के दौर में हैं, इसे एक आंकड़े से समझ सकते हैं. पिछले 20 वर्षों में, गोल्ड ने एसएंडपी 500 से बेहतर प्रदर्शन किया है, एसएंडपी 500 ने जहां 580 फीसदी का रिटर्न दिया है वहीं गोल्ड ने 620 फीसदी का रिटर्न दिया है .और बीते 9 महीने में गोल्ड की कीमतों में 1000 डॉलर प्रति औंस की बढ़ोतरी हो गई है. यह बदलाव अमेरिकी ट्रेजरी जैसी पारंपरिक सुरक्षित के प्रति घटते भरोसे को दिखाता है. जिसने रिकॉर्ड सरकारी उधारी और लगातार महंगाई के बीच भारी नुकसान देखा है. Kobeissi के अनुसार, मार्च 2020 से सोना 114 फीसदी बढ़ा है, जबकि iShares 20+ वर्ष ट्रेजरी बॉन्ड ETF (TLT) 45 फीसदी नीचे गिर गया है. उसने साफ -साफ लिखा है कि जैसे-जैसे इक्विटी बाजार में मंदी आ रही है, और निवेशक गोल्ड में निवेश बढ़ाते जा रहे हैं क्योंकि अब उनके लिए गोल्ड अब एकमात्र सुरक्षित एसेट है.
बॉन्ड से ऐतिहासिक पलायन
इस कदम के पीछे निवेशकों द्वारा गवर्नमेंट सिक्योरिटी के प्रति सोच का बदलाव भी है. पिछले वर्ष अमेरिका के नेशनल डेट पर ब्याज खर्ज 1.2 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया. यही नहीं बड़े पैमाने पर बॉन्ड जारी किए जा रहे हैं. अकेले 2023 में करीब 23 ट्रिलियन डॉलर के बॉन्ड जारी किए गए. सप्लाई बढ़ने से कीमतों गिर गई हैं और निवेशकों को दूसरे विकल्प तलाशने के लिए प्रेरित कर रही हगैं,
Kobeissi के अनुसार, गोल्ड ने पिछले चार से पांच सालों में बॉन्ड रिटर्न को पूरी तरह से पीछे छोड़ दिया है. इसी वजह से दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने धीरे-घीरे गोल्ड की खरीद बढ़ा दी है. पिछले तीन वर्षों में, उन्होंने 3,176 टन गोल्ड खरीदा है. रिपोर्ट के अनुसार इस साल शुद्ध निवेश पहले ही 80 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुका है जो कि 2020 में कोरोना के चरम पर बने रिकॉर्ड से डबल है.
इन्वेस्टमेंट बैंकर भी गोल्ड को ही सपोर्ट कर रहे हैं. गोल्डमैन सैक्स ने इस हफ्ते अपने गोल्ड की कीमतों के पूर्वानुमान को बढ़ाकर 2025 के अंत तक 3,700 डॉलर प्रति औंस कर दिया है.इस साल यह तीसरा संशोधन है.यह सोने के 1 जनवरी के 2,623 डॉलर की तुलना में से 41 फीसदी ज्यादा है. गोल्डमैन यही नहीं रूका है, उसने कहा है कि अगर जोखिम बढ़ता है तो कीमतें 4,500 डॉलर प्रति औंस तक पहुँच सकती हैं, जो कि 71.5% की चौंका देने वाली बढ़ोतरी हैं. इसी तरह ANZ ने 2025 के अंत के अपने लक्ष्य को बढ़ाकर 3,600 डॉलर कर दिया है. UBS, सिटी और ड्यूश बैंक ने भी अपने पूर्वानुमान बढ़ाए हैं, Kobeissi ने यहां तक लिख दिया है कि गोल्ड की खरीदारी इस लेवल पर पहुंच गई है, जिससे संकेत मिलता है कि ग्लोबल इकोनॉमी मंदी के स्तर पर है.
भारत भी पार्टी में शामिल
भारत के गोल्ड बाजार वैश्विक उन्माद को ही दिखा रहे हैं. मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर जून वायदा 95,894 रुपये प्रति 10 ग्राम के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया और रिटेल में 20 अप्रैल को 24 कैरेट सोने के भाव 98,020 रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. Kobeissi ने चेतावनी दी है कि अगर इक्विटी अपने निचले स्तर पर पहुंचती है तो सोना 3,500 डॉलर से ऊपर जा सकता है. फिलहाल, सोना एक ऐसी कहानी कह रहा है जो बाजारों ने पहले भी सुनी है जैसे डर, पलायन और वित्तीय तनाव. लेकिन इस उछाल का पैमाना और कीमतें बढ़ने की स्पीड इतिहास बनाने की ओर है और इसने निवेशकों को यह पूछने पर मजबूर कर दिया है कि क्या दुनिया मंदी से भी बदतर किसी चीज के लिए तैयार है.