GST Collection August 2025: सालाना आधार पर 6.5 फीसदी बढ़ाेतरी, केंद्र के खजाने में आए 1.86 लाख करोड़
त्योहारों से पहले सरकार GST रिफॉर्म की तैयारी में जुटी है. इन बदलावों से पहले GST कलेक्शन का डाटा सामने आया है. सोमवार को जारी लेटेस्ट डाटा के मुताबिक अगस्त 2025 में GST कलेक्शन में सालाना आधार पर 6.5 फीसदी का उछाल आया है.
GST collection August 2025: सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम (CBIC) ने सोमवार को GST Collection का डाटा जारी कर दिया है. लेटेस्ट डाटा के मुताबिक अगस्त 2025 में GST Collection सालाना आधार पर 6.5 फीसदी बढ़कर 1.86 लाख करोड़ पहुंच गया है. वहीं, पिछले वर्ष अगस्त 2024 में यह 1.75 लाख करोड़ रुपये रहा था. इससे पहले पिछले महीने यानी जुलाई 2025 में भी सालाना आधार पर GST Collection में 7.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी. यह जुलाई 2025 में 1.96 लाख करोड़ रुपये रहा था, जबकि जुलाई 2024 में यह 1.82 लाख करोड़ रुपये रहा था. इस तरह मासिक आधार पर कलेक्शन में कमी आई है.
डोमेस्टिक कलेक्शन कितना बढ़ा?
CBIC के डाटा के मुताबिक अगस्त 2025 में Domestic GST Collection 1.37 लाख रुपये रहा. इसमें सालाना आधार पर 9.6% की ग्रोथ देखने को मिली है. जबकि, पिछले वर्ष यानी अगस्त 2024 में यह कलेक्शन 1.25 लाख करोड़ के करीब रहा था.
सालाना आधार पर मौजूदा वित्त वर्ष में अप्रैल से अगस्त तक के कलेक्शन को देखा जाए, तो इस साल अगस्त तक कुल GST Collection 10 लाख करोड़ रुपये के करीब रहा है. सालाना आधार पर इसमें 9.9 फीसदी का उछाल आया है. पिछले वर्ष की समान अवधि में यह रकम 9.13 लाख करोड़ रुपये के करीब रही थी.
आयात पर घटा कलेक्शन
अगस्त 2025 में आयात से GST कलेक्शन में कमी आई है. अगस्त 2024 में जहां आयात पर GST Collection 49,976 करोड़ रुपये रहा था. वहीं, इस साल अगस्त में यह कलेक्शन 49,354 करोड़ रुपये रहा है. इस तरह सालाना आधार पर इसमें 1.2 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है. वहीं, अप्रैल से अगस्त की अवधि के लिहाज से देखें, तो इसमें 12.4 फीसदी की ग्रोथ देखने को मिली है. पिछले वर्ष अप्रैल से अगस्त 2024 के दौरान आयात से कुल GST कलेक्शन 2.18 लाख करोड़ रुपये रहा था, जो इस साल बढ़कर 2.45 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है.
रिफंड कितना बढ़ा-घटा?
अगस्त 2025 में कुल GST रिफंड 19,359 करोड़ रहा, जो पिछले साल अगस्त 2024 के 24,150 करोड़ की तुलना में करीब 19.9% कम है. वित्त मंत्रालय के मुताबिक रिफंड में यह गिरावट मुख्य रूप से पिछले साल की तुलना में कम बैकलॉग रिफंड और बेहतर रीयल-टाइम प्रोसेसिंग के कारण है. यानी सरकार की टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन क्षमता सुधरी है, जिससे बड़े पैमाने पर पेंडिंग रिफंड निपटा दिए गए हैं और अब रिफंड का प्रवाह अधिक संतुलित और नियंत्रित हो गया है.