AC होंगे 2000 से 3000 रुपये सस्ते, नए स्टार लेबल नियम लागू होने के बाद भी नहीं लगेगा महंगाई का झटका: ICRA
22 सितंबर से सब-2-टन एसी पर जीएसटी 28 फीसदी से घटकर 18 फीसदी हो गया है. जिससे कीमतों में 2,000 से 3,000 रुपये तक की बचत होगी. जनवरी 2026 से नए स्टार लेबल नियम लागू होंगे, जिससे दाम बढ़ सकते हैं, लेकिन नेट फायदा कंज्यूमर के पक्ष में रहेगा. FY2026 में वॉल्यूम घट सकता है, लेकिन लंबे समय में इंडस्ट्री की ग्रोथ मजबूत बनी रहेगी.
22 सितंबर से लागू होने जा रही जीएसटी की सस्ती दर का असर एसी की कीमतों पर दिखने लगा है. गर्मियों में जब एसी की मांग सबसे ज्यादा रहती है, उसी वक्त जीएसटी में की गई कटौती कंज्यूमर के लिए बड़ी राहत लेकर आई है. यह फायदा जनवरी 2026 से लागू होने वाले नए ऊर्जा दक्षता नियमों से होने वाली लागत बढ़ोतरी को भी आंशिक रूप से बैलेंस करेगा.
ICRA की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सब-2-टन एसी यानी ऐसे एसी जिनकी कूलिंग कैपेसिटी 2 टन से कम है, उन पर जीएसटी को 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी कर दिया गया है. इससे कीमतों में 6 से 8 फीसदी की कमी आएगी. इसका सीधा फायदा कंज्यूमर्स को मिलेगा. रिपोर्ट के अनुसार, हर यूनिट पर 2,000 से 3,000 रुपये तक की बचत होगी.
2026 में दाम फिर बढ़ेंगे, लेकिन फायदा रहेगा
हालांकि जनवरी 2026 से लागू होने वाले नए स्टार लेबल नियमों के कारण एसी की कीमतें बढ़ सकती हैं. ICRA की सीनियर वाइस प्रेसिडेंट किंजल शाह का कहना है कि यह बढ़ोतरी जीएसटी कटौती के मुकाबले कम होगी, इसलिए उपभोक्ताओं को नेट फायदा फिर भी मिलेगा. इसके अलावा, FY2026 की तीसरी तिमाही में लोग प्री-बाइंग करेंगे, जिससे कंपनियों को भी बिक्री में मदद मिलेगी.
ICRA (Investment Information and Credit Rating Agency of India Ltd.) का अनुमान है कि FY2026 में एसी इंडस्ट्री का वॉल्यूम 10 से 15 फीसदी घटकर 11.0 से 11.5 मिलियन यूनिट रह जाएगा, जबकि FY2025 में यह 12.5 से 13.0 मिलियन यूनिट था. इसकी मुख्य वजह अप्रैल–जुलाई 2025 के दौरान असामान्य और ज्यादा बारिश रही. इस दौरान हीटवेव कम दिनों तक रही और उत्तर व मध्य भारत में बिक्री 15 से 20 फीसदी तक घट गई. जबकि पिछले साल इसी समय में 40 से 50 फीसदी की तेज ग्रोथ हुई थी.
लंबे समय में मजबूत रहेगा बाजार
ICRA का मानना है कि FY2026 के बाद एसी इंडस्ट्री की ग्रोथ मजबूत बनी रहेगी. अभी भी देश में एसी की पैठ कम है, शहरीकरण बढ़ रहा है और रिप्लेसमेंट डिमांड भी मजबूत है. अगले दो सालों में मैन्युफैक्चरिंग क्षमता 40 से 50 फीसदी तक बढ़ने की उम्मीद है, जिसके लिए 4,500 से 5,000 करोड़ रुपये का कैपेक्स होगा. साथ ही, सरकार की प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम से पार्ट्स का लोकल प्रोडक्शन 50 से 60 फीसदी से बढ़कर FY2028 तक 70 से 75 फीसदी तक पहुंचने का अनुमान है.
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