एक हो गया हल्‍दीराम का बिछड़ा परिवार, जानें मिलन की वजह और कैसे बदलेगी कंपनी

फूड एंड स्‍नैक्‍स कंपनी हल्‍दीराम दोबारा सुर्खियों में है. इसका नागपुर और दिल्‍ली कंपनीअब एक हो गई है. कंपनी ने इसके मर्जर की जानकारी दी. इससे न सिर्फ कंपनी की साख मजबूत होगी, बल्कि विदेशी निवेशक टेमासेक के साथ से ग्‍लोबल स्‍तर पर भी इसे पकड़ बनाने में मदद मिलेगी. तो किसी वजह से दोनाें हुए एक जानें वजह.

हल्‍दीराम के इन दो ब्रांचेज का हुआ मर्जर Image Credit: money9

Haldiram’s Merger: फूड एंड स्‍नैक्‍स जगत का पॉपुलर नाम हल्दीराम दोबारा सुर्खियों में है. कंपनी ने एक नई शुरुआत के तहत हल्‍दीराम के दिल्ली और नागपुर कंपनियों के मर्जर की घोषणा की है. इस बड़े कदम की जानकारी हल्दीराम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) कृष्ण कुमार छुटानी ने दी. उन्होंने सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म लिंक्डइन पर इसकी जानकारी दी. उन्‍होंने इसे हल्दीराम की कहानी में एक नया और महत्वपूर्ण अध्याय बताया. दोनों कंपनियों मर्जर के बाद अब इसका नाम हल्दीराम स्नैक्स फूड प्राइवेट लिमिटेड (HSFPL) होगा.

परिवार के दो हिस्सों के एक होने के फैसले से न सिर्फ कंपनी की साख मजबूत होगी. बल्कि सिंगापुर की सरकारी कंपनी Temasek के साथ हुई डील से इस देसी ब्रांड को ग्‍लोबल बनाने का सपना भी पूरा होगा. बता दें टेमासेक ने हल्दीराम में 8,500 करोड़ रुपये में 10% हिस्सेदारी खरीदने की डील की थी. ऐसे में हल्‍दीराम के प्रमोटर्स अपनी हिस्‍सेदारी इस दिग्‍गज निवेशक को बेचेंगे. बिछड़े परिवार के एक होने और विदेशी निवेशक के साथ से हल्‍दीराम के विस्‍तार में मदद मिलेगी. इसी प्‍लानिंग के साथ कंपनी जल्‍द ही अपना आईपीओ भी लाने की तैयारी में है.

कंपनी के विस्‍तार में मिलेगी मदद

कृष्ण कुमार छुटानी का कहना है कि ये कंपनी के लिए एक नई शुरुआत है. यह परंपरा, जुनून और भविष्य के लिए साझा सपनों का संगम है. इस कदम से कंपनी को आगे बढ़ने, इसके विस्‍तार, सहयोग करने और नेतृत्व करने के नए रास्ते खुलेंगे. यह हल्दीराम के पार्टनर्स और वेंडर्स के लिए भी अच्छी खबर है. इससे उनके साथ रिश्ते और गहरे होंगे और मौके भी बढ़ेंगे.

ग्लोबल स्‍तर पर पकड़ मजबूत करने का लक्ष्‍य

हल्दीराम का लक्ष्य भारतीय रसोई से लेकर ग्लोबल शेल्फ तक पहुंचना है. ऐसे में कंपनी अपनी पहुंच बढ़ा रही है. हालांकि कंपनी का कहना है कि वो उन चीजों से कभी समझौता नहीं करेंगे, जो उन्‍हें खास बनाती है. उसका मकसद न सिर्फ भारत में अपनी बादशाहत बरकरार रखना है, बल्कि दुनिया भर में अपनी स्वादिष्ट पहचान को मजबूत करना है. यह मर्जर ऐसे समय में हुआ है, जब हाल ही में हल्दीराम ने बड़े निवेशकों का भरोसा हासिल किया है. अमेरिकी फर्म अल्फा वेव ग्लोबल और यूएई की इंटरनेशनल होल्डिंग कंपनी ने इसमें निवेश की घोषणा की थी.

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हल्दीराम का सफर

हल्दीराम की शुरुआत 1937 में बीकानेर में छोटे स्तर से हुई थी, लेकिन आज यह भारत के स्नैकिंग और पैकेज्ड फूड बाजार का दिग्गज है. इसकी शुरुआत गंगा बिशन अग्रवाल ने की थी, उन्‍हें प्यार से हल्दीराम कहा जाता था. बाद में व्यवसाय तीन अलग-अलग संस्थाओं में बंट गया, जिनमें से एक दिल्ली में है, जिसे मनोहरलाल (हल्दीराम के दादा) ने शुरू किया था, वहीं एक नागपुर में है, जो शिव किशन (हल्दीराम के पोते) ने शुरू किया था और एक कोलकाता में है. दिल्ली कंपनी को मनोहर एंड मधुसूदन अग्रवाल और नागपुर कंपनी को कमल कुमार अग्रवाल संभाल रहे थे, अब इन दोनों इकाइयों के विलय से अब कंपनी और मजबूत होगी.