भारत के पास भी रेयर अर्थ का भंडार MP , झारखंड से लेकर केरल तक मौजूद, चीन का तोड़ सकता है गुरूर
भारत ने जापान को रेयर अर्थ निर्यात पर रोक लगाने की योजना बनाई है ताकि घरेलू जरूरतों को पूरा किया जा सके और चीन पर निर्भरता घटाई जा सके. IREL को निर्यात रोकने और घरेलू प्रोडक्शन बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं. भारत के पास बड़ी मात्रा में रेयर अर्थ रिजर्व है लेकिन तकनीक और इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी के चलते इसका उत्पादन सीमित है.

Rare Earth: चीन ने कुछ दिन पहले रेयर अर्थ के निर्यात पर रोक लगा दी थी, जिससे पूरी दुनिया में इस एलिमेंट की कमी आ गई. गौरतलब है कि चीन के पास वर्तमान में पूरी दुनिया के रेयर अर्थ प्रोडक्शन का 90 फीसदी हिस्सा है. इस वजह से भारत भी प्रभावित हुआ और यहां भी इसकी कमी महसूस की जा रही है. सरकार इससे निपटने के लिए चीन से बात कर रही है. इसके अलावा भारत सरकार रेयर अर्थ को लेकर लंबी प्लानिंग कर रही है, जिसके तहत भारत ने जापान को निर्यात की जाने वाली रेयर अर्थ पर रोक लगाने जा रहा है. भारत रिजर्व के मामले में पांचवे नंबर पर आता है लेकिन इसका प्रोडक्शन बहुत ही कम है.
13 साल पुराने समझौते पर रोक
चीन के फैसले से सबक लेते हुए भारत अब रेयर अर्थ के मामले में आत्मनिर्भर होने की प्लानिंग कर रहा है. इसी के तहत पहला कदम उठाते हुए जापान को जाने वाली रेयर अर्थ पर रोक लगाने की योजना है. रायटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, रेयर अर्थ सुरक्षा का काम देखने वाली कंपनी IREL को जापान को निर्यात करने वाले 13 साल पुराने एक समझौते को स्थगित करने को कहा गया है. इसके अलावा कंपनी को रेयर अर्थ का प्रोडक्शन बढ़ाने पर फोकस करने को कहा गया है.
प्रोडक्शन बढ़ाने में क्या है दिक्कत
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने IREL के अधिकारियों के साथ एक बैठक में आदेश दिया था कि देश में रेयर अर्थ का प्रोडक्शन बढ़ाया जाए. इसके बाद से ही IREL देश में दुर्लभ खनिजों को यहीं रखने और इसका प्रोडक्शन बढ़ाने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है. हालांकि इस प्रक्रिया में कई अड़चनें भी हैं जैसे कि भारत के पास इतनी तकनीक नहीं है जिससे रेयर अर्थ का प्रोडक्शन तेजी से किया जा सके. इसके अलावा देश में अभी इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी भी है. इसे देखते हुए IREL ने चार नए यूनिट बनाने का फैसला लिया है लेकिन उन्हें अभी तक इसकी स्वीकृति नहीं मिली है.
कैटेगरी | डिटेल |
---|---|
कुल भंडार (Reserve) | 69 लाख टन (6.9 मिलियन टन) |
वार्षिक उत्पादन | लगभग 2,900 टन |
वार्षिक आयात | लगभग 53,748 टन (2023 का अनुमान) |
प्रमुख आयात स्रोत | चीन, अमेरिका, जापान |
प्रमुख खनन क्षेत्र | ओडिशा, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, राजस्थान |
प्रमुख तत्व | सेरीयम, लैंथेनम, नियोडिमियम, प्रसीओडिमियम, डायसप्रोसियम, यूरोपियम, गैडोलिनियम |
मुख्य उपयोग | इलेक्ट्रिक वाहन, डिफेंस सिस्टम, मोबाइल, सोलर पैनल, मैग्नेट, हाईटेक उपकरण |
भारत में कहां कहां है रेयर अर्थ
भारत में रेयर अर्थ तत्व मुख्य रूप से समुद्री तटीय रेत और कुछ इनलैंड एरिया में पाए जाते हैं. ओडिशा के गंजम जिले (चाटरपुर), केरल के चवरा और अलप्पुझा, तमिलनाडु के कन्याकुमारी और मनावलाकुरिची, आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम और विशाखापत्तनम के तटीय क्षेत्रों में मोनाजाइट रेत में ये एलिमेंट मौजूद हैं. इसके अलावा, मध्य प्रदेश के झाबुआ (अम्बा डोंगर), झारखंड के पूर्वी सिंहभूम और राजस्थान के बाड़मेर बेसिन में भी इनकी मौजूदगी पाई गई है.
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कौन से एलिमेंट पाए जाते हैं
भारत में मिलने वाले प्रमुख रेयर अर्थ तत्वों में सेरीयम (Cerium), लैन्थेनम (Lanthanum), नियोडिमियम (Neodymium), प्रसीओडिमियम (Praseodymium), डायसप्रोसियम (Dysprosium), यूरोपियम (Europium) और गैडोलिनियम (Gadolinium) शामिल हैं. इनका उपयोग हाई टेक उपकरणों, इलेक्ट्रिक वाहनों और डिफेंस प्रोडक्ट में होता है.
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