BSNL कैसे बन गई कमाऊ पूत, 17 साल का धुला दाग; क्या फिर से कनेक्ट होगा इंडिया
BSNL एक समय भारत सरकार की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली सरकारी कंपनी थी. टेलीकॉम क्षेत्र में उसका एकछत्र राज था. लेकिन उसका जब बुरा दौर शुरू हुआ तो उसका घाटा 15500 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. और वह इस लेवल पर पहुंच गई कि इसे बेचने तक की बातें होने लगी.
BSNL Revival Story: सफेद हाथी कमाऊ पूत बन जाय ऐसे उदाहरण बहुत कम मिलते हैं. लेकिन BSNL ने यह कमाल करके दिखा दिया है. हम ऐसा इसलिए क्यों कह रहे हैं क्योंकि एक बार नहीं लगातार दूसरी तिमाही है जब देश की एक मात्र सरकारी टेलीकॉम कंपनी प्रॉफिट में आई है. BSNL को करीब 17 साल बाद सबसे पहले बीते अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में 262 करोड़ रुपये का नेट प्रॉफिट हुआ था, उसके बाद अब अक्टूबर-दिसंबर में उसे 280 करोड़ का नेट प्रॉफिट हुआ है. यानी बैक-टू-बैक प्रॉफिट है.
ऐसा तो BSNL के इतिहास में विरले ही हुआ है. क्योंकि इन उदाहरणों को छोड़कर बीएसएनएल को आखिरी बार 2008-09 में प्रॉफिट हुआ था. जब उसके पास 5,745 करोड़ रुपये का सरप्लस था. लेकिन उसके बाद बीएसएनएल के बुरे दिन की जो शुरूआत हुई, वह इस लेवल पर पहुंच गई कि इसे बेचने तक की बातें होने लगी. क्योंकि एक समय बीएसएनएल का घाटा 15500 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था. इन आंकड़ों से दो सवाल उठते हैं, पहला यह कि भारत का कमाऊ पूत कैसे सफेद हाथी बना और दूसरा कि ऐसा क्या हुआ कि सेफद हाथी जो मरणासन्न स्थिति में पहुंच गया था, वह कैसे रिवाइव होकर फिर से कमाऊ पूत बनने लगा है.
पहले बात BSNL के सुनहरे दौर की..
बीएसएनएल एक समय भारत सरकार की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली सरकारी कंपनी थी. टेलीकॉम क्षेत्र में उसका एक छत्र राज था. उसकी एक बड़ी वजह यह थी कि प्राइवेट प्लेयर बाजार में अभी पैर पसार रहे थे. जबकि बीएसएनएल के पास डिपॉर्टमेंट ऑफ टेलिकॉम का मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर था. असल में बीएसएनएल का गठन ही बदलते बाजार को देखते हुए साल 2000 में किया गया था. उसे 2001-02 में 6,312 करोड़ रुपये का नेट प्रॉफिट हुआ था. इसके बाद कंपनी ने 2004-05 में 10,183 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया और यह कंपनी का उस वक्त तक का सबसे अधिक मुनाफा था. लेकिन जैसे-जैसे बाजार में एयरटेल, हच, टाटा इंडीकॉम, एमटीएस, यूनीनॉर जैसे कंपनियों की एंट्री हुई, बीएसएनएल अपने सरकारीपन के कारण बाजार में पिछड़ती गई. और 2009-10 में पहली बार 1840.7 करोड़ रुपये का घाटा हुआ. इसके बाद जो घाटे का सिलिसिला शुरू हुआ वह 15 हजार करोड़ को पार कर गया. आलम यह था कि 14 जून 2019 को कंपनी को सरकार को पत्र लिखकर बताना पड़ा कि कर्मचारियों को जून का वेतन देना भी मुश्किल है, अगर सरकार की तरफ से कोई आर्थिक मदद नहीं मिलती है तो कामकाज जारी रखना भी मुश्किल हो जाएगा.
कैसे भट्ठा बैठा
बीएसएनएल के धराशायी होनी की वजह उस दौर की सरकारी नीतियां थी. लेखक को बीएसएनएल के एक पूर्व सीएमडी ने बताया था कि बीएसएनएल कभी प्रोफेशनल कंपनी के रूप में काम ही नहीं कर पाई. उस दौर में कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के पास स्वतंत्र अधिकार नहीं थे. ऐसे दौर में जब फटाफट फैसले लिए जाते हैं, कंपनी को एक उपकरण खरीदने के लिए लालफीताशाही से गुजरना पड़ता था. कंपनी को 4G के दौर में 3G सेवाएं देनी पड़ती थी. क्योंकि उसे 4G स्पेक्ट्रम नीलामी में शामिल ही नहीं होने दिया गया. इसी तरह उस वक्त वाईमैक्स तकनीकी में निवेश का फैसला भी किया गया. इन दो फैसलों से ही कंपनी को सरकार को करीब 19 हजार करोड़ रुपये चुकाने पड़े.उसके बाद से कंपनी कभी संभल ही नहीं पाई.
यही नहीं कंपनी में लालफीताशाही ऐसी थी कि सभी कामों के लिए टेंडर जारी करना पड़ता था. उस दौर में उसे कोर्ट-कचहरी के भी चक्कर खूब काटने पड़े. जब भी कोई टेंडर जारी किया जाता तो मामला कोर्ट तक पहुंच जाता था. इस वजह से 2005-06 से लेकर अक्टूबर 2011 तक कंपनी कोई टेंडर ही नहीं आवंटित कर पाई. जिसका सीधा असर कंपनी की सर्विस क्वॉलिटी पर पड़ा.
टॉप-5 फिक्स्ड (वायर्ड) ब्रॉडबैंड सर्विस प्रोवाइडर
सर्विस प्रोवाइडर | ग्राहकों की संख्या (मिलियन में) |
---|---|
रिलायंस जियो इंफोकॉम लिमिटेड | 11.48 |
भारती एयरटेल लिमिटेड | 8.55 |
भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) | 4.32 |
एट्रिया कन्वर्जेंस टेक्नोलॉजीज लिमिटेड | 2.30 |
केरल विज़न ब्रॉडबैंड लिमिटेड | 1.33 |
टॉप-5 वायरलेस (मोबाइल व फिक्स्ड वायरलेस) ब्रॉडबैंड सर्विस प्रोवाइडर
सर्विस प्रोवाइडर | ग्राहकों की संख्या (मिलियन में) |
---|---|
रिलायंस जियो इंफोकॉम लिमिटेड | 465.10 |
भारती एयरटेल लिमिटेड | 280.76 |
वोडाफोन आइडिया लिमिटेड | 125.63 |
भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) | 29.94 |
आईबस वर्चुअल नेटवर्क सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड | 0.09 |
इसके अलावा कर्मचारियों की संख्या और उनका वेतन भी कंपनी पर भारी पड़ा. असल में बीएसएनएल गठन के समय यह सोचा नहीं गया कि उसे कितने कर्मचारियों की जरूरत पड़ेगी और उस पर दूरसंचार विभाग के तहत आने वाले चार लाख से ज्यादा कर्मचारी बीएसएनएल के कर्मचारी बना दिए गए. उस समय कर्मचारियों की सैलरी कंपनी की कुल कमाई का करीब 22 फीसदी हिस्सा हुआ थी. जो 2018-19 तक आते-आते 75 फीसदी हो गया, क्योंकि कंपनी की कमाई गिरती जा रही थी.
अब कैसे बदले हालात
बीएसएनएल के रिवाइवल के लिए मोदी सरकार ने सबसे पहले कर्मचारियों की संख्या में कटौती करने की रणनीति पर फोकस किया. इसके लिए साल 2019 में सरकार ने बीएसएनएल और एमटीएनएल के लिए 69,000 करोड़ का रिवाइवल पैकेज मंजूर किया, जिसमें एक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (VRS) भी शामिल थी. इस योजना के तहत 93,000 से अधिक कर्मचारियों ने VRS लिया. इसके बाद के सरकार ने दो और रिवाइवल पैकेज जारी किए. साल वर्ष 2022 में 1.64 लाख करोड़ का पैकेज बीएसएनएल की बैलेंस शीट को मजबूत करने और 4G नेटवर्क के तेजी से विस्तार के लिए दिया गया. इसके बाद साल 2023 में 89,000 करोड़ का एक और पैकेज दिया गया, जिसका उद्देश्य 4G और 5G स्पेक्ट्रम की खरीद,डेटा सेवाओं का विस्तार और निजी नेटवर्क को बढ़ावा देना था.
इसके बाद BSNL ने साल 2023 में 19,000 करोड़ के जरिए 1 लाख 4G लोकेशन डेवलप करने का प्लान बनाया. दिसंबर 2024 तक 62,000 से अधिक 4G टावर लगाए जा चुके थे और जून 2025 तक सभी टावरों के चालू होने का टारगेट भी पूरा कर लिया गया. इसके अलावा BSNL ने National WiFi Roaming, BiTV , IFTV (FTTH ग्राहकों के लिए) जैसी सेवाएं शुरू की है. बढ़ते भरोसे के बाद BSNL अब 4G और 5G नेटवर्क के विस्तार पर फोकस कर रहा है, और 2025 के अंत तक मोबाइल ग्राहकों में अपनी हिस्सेदारी 25 फीसदी तक करने पर फोकस कर रही है.
- नई रणनीति की वजह से कंपनी के 27 टेलिकॉम सर्किल अब EBITDA पॉजिटिव हो गए हैं,जबकि पिछले वर्ष यह केवल 17 थे. इसी तरह 10 सर्किल नेट प्रॉफिट की स्थिति में आ गए हैं, जबकि पिछले साल केवल 3 सर्किल ही थे.
- इसी तरह BSNL ने न केवल कमाई बढ़ाई बल्कि खर्चों पर भी सख्ती से कंट्रोल किया. कंपनी ने वित्तीय लागत को 14% घटाकर 1,527 करोड़ रुपये कर लिया.इसके साथ ही, इस वर्ष कंपनी ने अब तक का सबसे बड़ा कैपिटल इन्वेस्टमेंट किया है. कंपनी ने 26,000 करोड़ से अधिक के खर्च से कंपनी 4G रोलआउट, टावर्स, उपकरण और स्पेक्ट्रम खरीद पर निवेश किया है. इसके अलावा एसेट मोनेटाइजेशन से करीब 1120 करोड़ रुपये की कमाई की है.
श्रेणी | FY-25 | FY-24 | वृद्धि / सुधार (%) |
---|---|---|---|
Profit After Tax (Q4) | ₹280 करोड़ | –₹849 करोड़ | |
Profit After Tax (Q3) | ₹262 करोड़ | — | पहला बैक-टू-बैक लाभदायक तिमाही |
सालाना घाटा (PAT) | ₹2,247 करोड़ | ₹5,370 करोड़ | 58% की कमी |
EBITDA | ₹5,396 करोड़ | ₹2,164 करोड़ | मार्जिन: 23.01% → 10.15% |
EBITDA-पॉजिटिव सर्कल | 27 सर्कल | 17 सर्कल | +10 सर्कल |
PAT-पॉजिटिव सर्कल | 10 सर्कल | 3 सर्कल | +7 सर्कल |
ऑपरेटिंग रेवेन्यू | ₹20,841 करोड़ | ₹19,330 करोड़ | +7.8% |
कुल आय (Total Income) | ₹23,427 करोड़ | ₹21,302 करोड़ | +10% |
मोबिलिटी रेवेन्यू | ₹7,499 करोड़ | — | +6% |
FTTH रेवेन्यू | ₹2,923 करोड़ | — | +10% |
लीज्ड लाइन (Ent. सहित) | ₹4,096 करोड़ | — | +3.5% |
एसेट मोनेटाइजेशन | ₹1,120 करोड़ | — | +77% |
कुल खर्च | ₹25,841 करोड़ | ₹26,673 करोड़ | –3% |
फाइनेंस कॉस्ट | ₹1,527 करोड़ | ₹1,780 करोड़ | –14% |
Depreciation & Amort. | ₹6,283 करोड़ | ₹5,755 करोड़ | बढ़ोतरी |
CAPEX (संपत्ति जोड़) | ₹26,022 करोड़ | — | उच्चतम निवेश (4G + स्पेक्ट्रम) |
इन कदमों का असर अब कंपनी के रिवाइवल पर दिख रहा है. साफ है कि बीएसएनएल अब प्रोफेशनल कंपनी के रूप में काम कर रही है और अगर वह इसी राह पर चली तो वह अपने मजबूत विरासत से प्राइवेट कंपनियों की भी बड़ी टक्कर दे सकेगी.