पाक को IMF के आगे टेकने पड़ेंगे घुटने, लोन के लिए पूरी करनी होगी 11 नई शर्तें; भारत से दुश्मनी पड़ी भारी
IMF ने पाकिस्तान पर बेलआउट पैकेज की अगली किस्त जारी करने से पहले 11 नई शर्तें लगाई हैं. इन शर्तों में 17.6 ट्रिलियन का बजट पास करना, कृषि आयकर लागू करना, डिफेंस बजट में इजाफा करने के अलावा कई दूसरी शर्तें भी शामिल है.
IMF 11 Conditions for Pakistan: इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) ने पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज की अगली किस्त जारी करने के लिए 11 नई शर्तें लगाई है. साथ ही IMF ने चेतावनी दी है कि भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव इस योजना के फिस्कल, एक्सटर्नल और रिफॉर्म गोल के लिए खतरा बन सकते हैं. नए शर्तों में अनिवार्य रूप से बजट पास करने से लेकर कृषि आयकर कानून लागू करना शामिल है. मालूम हो कि भारत पाकिस्तान के बीच चल रहे युद्ध जैसे माहौल के बीच ही पाकिस्तान को IMF की ओर से बड़ा लोन मिला था.
इस दौरान भारत ने पाकिस्तान को कर्ज न देने की अपील करते हुए वोटिंग के दौरान अनुपस्थित रहा था. भारत का कहना था कि पाकिस्तान इन पैसों का इस्तेमाल आतंक के लिए करेगा. हालांकि फिर भी पाकिस्तान को लोन मिल गया था. अब आईएमएफ ने पाकिस्तान के सामने बेलआउट पैकेज की अगली किस्त से पहले नई शर्तों का अंबार लगा दिया है. आइए जानते हैं क्या हैं शर्तें.
क्या है IMF की नई शर्तें?
- 17.6 ट्रिलियन का बजट पास करना अनिवार्य: पाकिस्तान की संसद को साल 2026 का बजट पास करना होगा जिसमें विकास कार्यों के लिए 1.07 ट्रिलियन रुपये का प्रावधान है. IMF के लक्ष्यों के मुताबिक यह बजट जून 2025 तक होना चाहिए.
- एग्रीकल्चर इनकम टैक्स लागू करना: चारों प्रांतों को कृषि आयकर कानून लागू करना होगा. इसके लिए रिटर्न प्रोसेसिंग, टैक्सपेयर्स की पहचान, रजिस्ट्रेशन और जागरूकता अभियान चलाना होगा. इसकी डेडलाइन जून 2025 है.
- गवर्नेंस एक्शन प्लान: IMF की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान को गवर्नेंस डायग्नोस्टिक असेसमेंट के आधार पर सुधार योजनाएं सार्वजनिक करनी होंगी.
- वित्तीय रणनीति की रूपरेखा: सरकार को 2027 के बाद की वित्तीय रणनीति और 2028 से आगे के इंस्टीट्यूशनल और रेगुलेटरी ढांचे की योजना तैयार करनी होगी.
- डिफेंस बजट में इजाफा: रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पाकिस्तान ने अगले वित्तीय वर्ष के लिए 2.414 ट्रिलियन का रक्षा बजट तय किया है जो पिछले साल से 12 फीसदी अधिक है. वहीं, सरकार ने हालिया तनाव के बाद इसे और बढ़ाकर 2.5 ट्रिलियन करने का संकेत भी दिया है.
एनर्जी सेक्टर से जुड़ी 4 नई शर्तें
- बिजली दरों की वार्षिक समीक्षा: सरकार को 1 जुलाई 2025 तक नई बिजली दरों की अधिसूचना जारी करनी होगी ताकि लागत वसूली हो सके.
- गैस टैरिफ में सेमी-एनुअल बदलाव: 15 फरवरी 2026 तक गैस दरों में संशोधन की अधिसूचना जारी करनी होगी.
- कैप्टिव पावर लेवी को स्थायी बनाना: संसद को इस महीने के अंत तक कानून पास करना होगा ताकि यह लेवी स्थायी हो जाए.
- बिजली बिल पर सरचार्ज की सीमा हटाना: 3.21 रुपये प्रति यूनिट की अधिकतम सीमा को खत्म करने के लिए कानून बनाना होगा.
अन्य शर्तें
- पुरानी कारों के आयात पर प्रतिबंध हटाना: IMF ने कहा है कि तीन साल से पुरानी कारों के आयात पर सभी प्रतिबंध हटाने के लिए संसद में कानून पेश किया जाए.
- स्पेशल टेक्नोलॉजी जोन से टैक्स छूट खत्म करने की योजना: सरकार को इस साल के अंत तक ऐसी सभी छूटों को 2035 तक खत्म करने की रणनीति तैयार करनी होगी.
भारत-पाक बढ़ते तनाव के बीच आईएमएफ की शर्तें
IMF की रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के सप्ताहों में भारत-पाक के बीच तनाव बढ़ा है जिससे इस कार्यक्रम पर नकारात्मक असर पड़ सकता है. हालांकि, पाकिस्तान का शेयर बाजार अब भी स्थिर बना हुआ है. 7 मई को भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत आतंकी ठिकानों ध्वस्त किया था. ये ऑपरेशन 22 अप्रैल को जम्मू के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसमें मारे जाने वाले 26 लोगों की मौत के बदला के रूप में किया गया था. इसके बाद 8 से 10 मई के बीच पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की. आखिरकार 10 मई को दोनों देशों के बीच समझौता हुआ और तनाव कम हुआ.
क्या होता है बेलआउट पैकेज?
जब कोई देश आर्थिक संकट (जैसे – कर्ज चुकाने में असमर्थता, विदेशी मुद्रा की कमी, महंगाई, राजकोषीय घाटा आदि) में होता है और उसके पास खुद को संभालने के लिए पर्याप्त पैसे या संसाधन नहीं होते तब IMF उस देश को “बेलआउट पैकेज” के रूप में आर्थिक मदद (loan या सहायता) देता है. इससे वह अपने पुराने कर्ज चुका सकता है. जरूरी आयात कर सकता है. अपनी मुद्रा को स्थिर कर सकता है और आर्थिक तंत्र को पटरी पर ला सकता है. इसके बदले आईएमएफ कुछ शर्तें भी लगाता है.