भारत का क्रूड आयात 18 महीने के निचले स्तर पर, मांग घटी या अमेरिका की सख्ती का हुआ असर?
भारत का क्रूड आयात जुलाई में 18 महीने के निचले स्तर पर. ऊर्जा के लिए भारत अब भी मोटे तौर पर जीवाश्म ईंधन पर ही निर्भर है. ऐसे में आयात में इतनी बढ़ी कमी हैरान करने वाली है. जानते हैं यह कमी क्यों आई है, यह मांग में कमजोरी की वजह से है या अमेरिका की नई टैरिफ पॉलिसी ने दबाव बढ़ाया है.
भारत का क्रूड ऑयल आयात जुलाई 2025 में 18 महीने के निचले स्तर पर आ गया है. केंद्र सरकार के पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (PPAC) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई में क्रूड आयात 18.56 मिलियन मीट्रिक टन रहा, जो जून की तुलना में 8.7% कम है. इसके अलावा यह फरवरी 2024 के बाद का सबसे निचला स्तर पर है. आयात में कमी के पीछे जहां एक तरफ घरेलू मांग में कमजोरी है. वहीं, इसके साथ ही अमेरिकी टैरिफ धमकियों के बीच कंपनियों ने अपने फ्यूचर इंपोर्ट को लेकर सतर्कता बरतना शुरू कर दिया है.
सालाना आधार पर भी गिरावट
जुलाई 2024 की तुलना में भी यह आयात 4.3% घटा है, जब आयात 19.40 मिलियन टन था. वहीं पेट्रोलियम उत्पादों का आयात सालाना आधार पर 12.8% घटकर 4.31 मिलियन टन रह गया. इसके इस दौरान पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात भी 2.1% गिरकर 5.02 मिलियन टन पर आ गया.
घरेलू खपत भी कमजोर
ऑयल मिनिस्ट्री के आंकड़ों के मुताबिक भारत की कुल फ्यूल खपत जुलाई में 4.3% घटकर 19.43 मिलियन टन रह गई. यह गिरावट बताती है कि घरेलू स्तर पर ऊर्जा मांग भी धीमी हुई है. इसके अलावा भारत में जारी रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स का असर भी धीरे-धीरे मांग पर दिखने लगा है.
अमेरिका की सख्ती और रूस फैक्टर
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता है, इसलिए ये आंकड़े बेहद अहम हैं. लेकिन आयात घटने की एक वजह अमेरिका की नई पॉलिसी भी मानी जा रही है. 27 अगस्त से अमेरिका ने भारत से आने वाले कुछ सामानों पर 50% तक टैरिफ लगाने का ऐलान किया है. यह कदम भारत की रूस से तेल खरीद को लेकर उठाया गया है. ऐसे में आयात में कमी के पीछे यह भी एक फैक्टर हो सकता है.
रूस से फिर आयात
कंपनियां मांग में उतार-चढ़ाव के आधार पर आयात में कमी करती है. हालांकि, अमेरिकी दबाव के चलते रूस से तेल खरीद में किसी तरह की कटौती नहीं की गई है. केंद्रीय उद्योग मंत्री पीयूष गोयल का कहना है इस मामले में अमेरिका के साथ भारत अपने भविष्य के व्यापारिक रिश्तों को लेकर “खुले दिमाग” से चर्चा करेगा. वहीं, इस बीच सरकारी कंपनियां इंडियन ऑयल और भारत पेट्रोलियम ने सितंबर और अक्टूबर डिलीवरी के लिए रूस से कच्चा तेल खरीदना जारी रखा है. वहीं रूस समर्थित नायरा एनर्जी, जो EU के सैंक्शन के दायरे में है, “डार्क फ्लीट” के जरिये तेल आयात और रिफाइंड फ्यूल का ट्रांसपोर्ट कर रही है.