निवेश बढ़ाने के लिए सरकार का बड़ा कदम, भारत एक दर्जन से ज्यादा देशों के साथ कर रहा है BIT पर बातचीत
भारत सरकार एक दर्जन से ज्यादा देशों के साथ Bilateral Investment Treaties (BIT) पर बातचीत कर रही है, जिसमें सऊदी अरब, रूस, यूरोपीय संघ जैसे प्रमुख साझेदार शामिल हैं. अगले 6 महीनों में कई BIT पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है. इन समझौतों से भारत में विदेशी निवेश को कानूनी सुरक्षा मिलेगी और FDI फ्लो को नई गति मिलेगी.

Bilateral Investment Treaties: भारत सरकार बाइलेटरल ट्रेड को बढ़ाने के लिए तेजी से कदम उठा रही है. पीटीआई ने एक सरकारी अधिकारी के हवाले से बताया है कि भारत एक दर्जन से अधिक देशों के साथ बाइलेटरल इनवेस्टमेंट ट्रीटीज (BIT) पर सक्रिय रूप से बातचीत कर रहा है. इन देशों में सऊदी अरब, कतर, इजराइल, ओमान, यूरोपीय संघ, स्विट्जरलैंड, रूस और ऑस्ट्रेलिया जैसे प्रमुख आर्थिक भागीदार शामिल हैं. इसके अलावा ताजिकिस्तान, कंबोडिया, उरुग्वे, मालदीव और कुवैत जैसे देशों के साथ भी संवाद जारी है.
बाइलेटरल इनवेस्टमेंट ट्रीटीज का महत्व
बाइलेटरल इनवेस्टमेंट ट्रीटीज (BIT) दो देशों के बीच निवेशकों के हितों की सुरक्षा और निवेश को बढ़ावा देने के लिए बेहद महत्वपूर्ण होती हैं. ये संधियां विदेशी निवेशकों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करती हैं और आर्थिक सहयोग को मजबूती देती हैं. भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है, और सरकार निवेशकों के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है.
3-6 महीनों में पूरी हो सकती हैं कुछ ट्रीटीज
सरकारी अधिकारी के अनुसार, आगामी 3-6 महीनों में कुछ देशों के साथ BIT समझौते पर हस्ताक्षर होने की संभावना है. पिछले बजट में सरकार ने मौजूदा BIT मॉडल को और अधिक निवेशक-अनुकूल बनाने की घोषणा की थी. वर्ष 2024 में भारत ने UAE और उज्बेकिस्तान के साथ BIT पर हस्ताक्षर किए थे.
स्थानीय कानूनी प्रावधान
BIT के तहत, अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का विकल्प अपनाने से पहले निवेशकों को स्थानीय कानूनी उपायों का उपयोग कम-से-कम 3-5 वर्षों तक करना अनिवार्य है. यह प्रावधान देश और निवेशक दोनों के हित में है, क्योंकि इससे करदाताओं के पैसे की रक्षा होती है और लंबी कानूनी प्रक्रियाओं से बचा जा सकता है. हाल ही में भारत ने UAE के साथ हुए BIT में यह अवधि घटाकर 3 वर्ष कर दी है.
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FDI का बढ़ता फ्लो
अप्रैल 2000 से मार्च 2025 तक भारत में FDI फ्लो 1 ट्रिलियन डॉलर को पार कर चुका है. पिछले वित्तीय वर्ष में यह आंकड़ा 81 अरब डॉलर रहा. FDI का सबसे बड़ा हिस्सा मॉरीशस (25 फीसदी), सिंगापुर (24 फीसदी) और अमेरिका (10 फीसदी) से आया. सर्विस सेक्टर, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर, टेलीकम्युनिकेशन और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में सर्वाधिक निवेश दर्ज किया गया है.
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