ट्रंप टैरिफ का दिख रहा भारत पर असर, प्रीमियम व्हिस्की पर कस्टम ड्यूटी घटाने को लेकर लिकर इंडस्ट्री में बवाल
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की यात्रा पर थे. उनकी यात्रा से पहले भारत ने बॉर्बन व्हिस्की पर सीमा शुल्क 150 फीसदी से घटाकर 100 फीसदी कर दिया. हालांकि, इस फैसले से भारतीय अल्कोहल इंडस्ट्री नाखुश नजर आ रही है और सरकार से इसे वापस लेने की मांग कर रही है. साथ ही, इसे चरणबद्ध तरीके से लागू करने का अनुरोध किया है.
डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति का असर दुनिया के कई देशों पर दिखना शुरू हो गया है. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की यात्रा पर थे. इस दौरान ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ का जिक्र किया था. ट्रंप का कहना था कि जो देश अमेरिका पर जितना टैरिफ लगाएगा, अमेरिका भी उतना ही टैक्स उनके ऊपर लगाएगा. पीएम मोदी की अमेरिकी यात्रा से पहले भारत ने बॉर्बन व्हिस्की पर कस्टम ड्यूटी घटा दी थी. इस फैसले को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को खुश करने के नजरिए से देखा जा रहा था. हालांकि अब इसका विरोध हो रहा है और भारतीय एल्कोहल इंडस्ट्री इसे वापस लेने की मांग कर रही है.
क्या हो रहा विरोध
सरकार ने बॉर्बन व्हिस्की पर सीमा शुल्क 150 फीसदी से घटाकर 100 फीसदी किए जाने के बाद भारतीय शराब इंडस्ट्री ने सरकार से इम्पोर्टेड शराब पर दी जाने वाली सभी एक्साइज छूट को वापस लेने की मांग की है. उनका कहना है कि सीमा शुल्क में कटौती से भारत की स्पिरिट और वाइन प्रोडक्ट्स को नुकसान होगा.
कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज (CIABC) ने सरकार से इम्पोर्टेड शराब के डंपिंग को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने और भारतीय शराब प्रोडक्ट्स के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेहतर पहुंच सुनिश्चित करने का आग्रह किया है.
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क्या है भारतीय उद्योग की मांग
CIABC के महानिदेशक अनंत एस. अय्यर ने कहा, “सरकार को सीमा शुल्क में कटौती और एफटीए के तहत अन्य छूट से संबंधित मुद्दों पर निर्णय लेते समय भारतीय शराब निर्माताओं के हितों की रक्षा करनी चाहिए. हमने राज्य सरकारों से इम्पोर्टेड शराब पर दी जाने वाली सभी एक्साइज छूट वापस लेने का अनुरोध किया है, क्योंकि सीमा शुल्क में कटौती से भारतीय स्पिरिट और वाइन प्रोडक्टों को और नुकसान होगा.
यह भारतीय कंपनियों के लिए दोहरी मार होगी.” अय्यर ने यह भी कहा कि भारतीय शराब निर्माता इम्पोर्ट ड्यूटी में कटौती का विरोध नहीं कर रहे हैं, हालांकि उन्होंने अनुरोध किया है कि इसे 10 साल की अवधि में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाए.
घरेलू इंडस्ट्री को नुकसान
अय्यर ने चेतावनी दी कि सस्ते इम्पोर्ट के कारण स्पिरिट और वाइन सेक्टर की घरेलू इंडस्ट्री को खतरा है, जिसने वर्षों से मजबूत प्रीमियम प्रोडक्ट्स के निर्माण में मेहनत की है. अय्यर ने बताया कि अल्कोहल इंडस्ट्री राज्य सरकारों को 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक का रेवेन्यू प्रदान करती है, इसके अलावा केंद्र सरकार को सीमा शुल्क और जीएसटी से भी आय होती है. यह इंडस्ट्री रोजगार और एग्रीकल्चर प्रोडक्शन को भी समर्थन देती है.