अब चीन के भरोसे नहीं रहेगा भारत, देश में जल्द शुरू होगा रेयर अर्थ का प्रोडक्शन; सरकार लॉन्च करेगी ₹7,350 करोड़ की योजना
केंद्र सरकार जल्द ही 7,350 करोड़ रुपये की योजना शुरू करने जा रही है ताकि देश में रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट (REPM) का उत्पादन बढ़ाया जा सके और विदेशी आयात पर निर्भरता कम हो. योजना के तहत 5 इंटीग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित की जाएंगी. चयनित कंपनियों को बिक्री आधारित प्रोत्साहन और 15 फीसदी कैपिटल सब्सिडी दी जाएगी.
Rare Earth Magnets: केंद्र सरकार जल्द ही 7,350 करोड़ रुपये की नई योजना लॉन्च करने जा रही है, जिसका उद्देश्य देश में रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट (REPM) के प्रोडक्शन को बढ़ावा देना और विदेशी इंपोर्ट पर निर्भरता कम करना है. यह कदम ऐसे समय में उठाया जा रहा है जब चीन ने अप्रैल में REPM के एक्सपोर्ट पर रोक लगाकर भारत के ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर को झटका दिया था. इस योजना के तहत सरकार 5 इंटीग्रेटेड REPM मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स की स्थापना करेगी, जिनकी टोटल प्रोडक्शन कैपेसिटी 6,000 टन सालाना होगी. कंपनियों को बिक्री आधारित प्रोत्साहन और 15 फीसदी कैपिटल सब्सिडी दी जाएगी ताकि वे हाई टेक्निक और इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश कर सकें.
इंपोर्ट पर निर्भरता घटाना है उद्देश्य
सरकार की नई योजना का मुख्य लक्ष्य एक पूरी तरह इंडिजिनियस मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम तैयार करना है. इसके तहत भारत में हर साल 6,000 टन तक REPM उत्पादन क्षमता विकसित की जाएगी. यह योजना सात साल तक चलेगी और इसमें खनन से लेकर मेटल कन्वर्जन और अंत में मैग्नेट प्रोडक्शन तक की पूरी वैल्यू चेन को शामिल किया गया है.
वर्तमान में भारत अपनी लगभग 100 फीसदी REPM जरूरतों का इंपोर्ट करता है, जिससे लागत बढ़ती है और सप्लाई पर कंट्रोल सीमित रहता है. डोमेस्टिक प्रोडक्शन शुरू होने से भारत ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, विंड एनर्जी और रक्षा जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बन सकेगा.
5 मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स की होगी स्थापना
इस योजना के तहत सरकार 5 इंटीग्रेटेड REPM मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स की स्थापना का सपोर्ट करेगी. प्रत्येक इकाई की उत्पादन क्षमता 600 टन से लेकर 1,200 टन प्रतिवर्ष तक होगी. इसके लिए ग्लोबल टेंडर के जरिए बिडिंग प्रक्रिया चलाई जाएगी, जिसमें पात्र कंपनियों का सेलेक्शन ट्रांसपेरेंट लीस्ट कॉस्ट सिस्टम के तहत किया जाएगा. तकनीकी पात्रता के बाद वित्तीय बोली में सबसे कम प्रोत्साहन मांगने वाली 5 कंपनियों को इस योजना का लाभ मिलेगा.
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कच्चे माल सप्लाई की योजना
भारत में फिलहाल NdPr ऑक्साइड का उत्पादन सीमित है. इंडियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड (IREL) हर साल लगभग 500 टन NdPr ऑक्साइड का उत्पादन करता है, जिससे करीब 1,500 टन REPM तैयार किया जा सकता है. योजना के तहत चयनित कंपनियों को IREL की ओर से कुछ मात्रा में ऑक्साइड दिया जाएगा, जबकि बाकी कंपनियों को अपनी जरूरत का कच्चा माल स्वयं वैश्विक बाजार से खरीदना होगा. L1, L2 और L3 कंपनियों को IREL की ओर से क्रमशः 200, 167 और 133 टन ऑक्साइड उपलब्ध कराया जाएगा, जबकि L4 और L5 कंपनियों को पूरा 400 टन ऑक्साइड खुद की सोर्सिंग से जुटाना होगा.
MHI करेगी निगरानी
इस योजना को भारी उद्योग मंत्रालय (MHI) लागू करेगा. एक अंतर मंत्रालयी मॉनिटरिंग कमेटी इसकी प्रगति पर नजर रखेगी और तय समयसीमा में काम पूरा कराने को सुनिश्चित करेगी. योजना को अन्य सरकारी कार्यक्रमों से स्वतंत्र रूप से चलाया जाएगा.