ट्रंप का जेनेरिक दवाइयों पर बड़ा ऐलान, भारतीय फार्मा कंपनियों के शेयर उछले, ठंडे बस्ते में टैरिफ का प्लान

ट्रंप प्रशासन ने फिलहाल विदेश से आने वाली जेनेरिक दवाओं पर टैक्स लगाने की अपनी योजना रोक दी है. अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली करीब आधी जेनेरिक दवाएं भारत से जाती हैं. इस कदम से लाखों अमेरिकी मरीजों को राहत मिलेगी, जो सस्ती दवाओं के लिए इन्हीं आयातित दवाओं पर निर्भर हैं.

डोनाल्ड ट्रंप

US Tariff On India: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने विदेश से आने वाली जेनेरिक दवाओं पर टैरिफ लगाने के अपने प्रस्ताव को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया है. इस कदम से भारतीय दवा उद्योग को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली लगभग आधी जेनेरिक दवाएं भारत से आती हैं. इसके अलावा, इस फैसले से उन लाखों अमेरिकी नागरिकों को भी राहत मिली है, जो हाई ब्लड प्रेशर, अल्सर और कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों के इलाज के लिए भारतीय जेनेरिक दवाओं पर निर्भर हैं. साथ ही, फैसले के बाद भारतीय दवा कंपनियों के शेयरों में तेजी देखने को मिली है.

अमेरिका में भारत का जेनेरिक दवाओं पर दबदबा

भारत अमेरिका के लिए जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा सप्लायर है. ग्लोबल मेडिकल डेटा एनालिसिस कंपनी IQVIA के आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय कंपनियां अमेरिकी बाजार में 47 फीसदी जेनेरिक दवाएं सप्लाई करती हैं, जबकि अमेरिकी कंपनियों की हिस्सेदारी केवल 30 फीसदी है. भारत की दवा कंपनियां हाई ब्लड प्रेशर, मेंटल हेल्थ और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल जैसी बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली 50 फीसदी से ज्यादा दवाएं अमेरिका को निर्यात करती हैं.

भारतीय कंपनियों के शेयरों में उछाल

इस खबर के बाद भारतीय फार्मा कंपनियों के शेयरों में तेजी देखी गई. प्रमुख फार्मा कंपनियों के स्टॉक्स में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इनमें,

भारत की मल्टीनेशनल फार्मास्यूटिकल कंपनी सिप्ला के शेयर में 9 अक्टूबर यानी गुरुवार को दोपहर 1 बजे 1.22 फीसदी की तेजी के साथ 1512.70 रुपये पर कारोबार हो रहा है. वहीं, कंपनी एक हफ्ते में 0.60 फीसदी की गिरावट के साथ 1513.40 रुपये पर कारोबार कर रही. 9 अक्टूबर को सिप्ला कंपनी का मार्केट कैप 1,20,737 करोड़ रुपये है. कंपनी का P/E रेशियो 22.42 है, वहीं ROE 16.90 फीसदी है. कंपनी का 52 हफ्ते का लो 1335 रुपये रहा जबकि 52 हफ्ते का हाई 1702 रुपये है.

सन फार्मा की बात करें तो 9 अक्टूबर को दोपहर 1 बजे 0.83 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 1645 रुपये पर कारोबार कर रही है. कंपनी ने पिछले एक हफ्ते में 2.82 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की है, जबकि एक साल में कंपनी के शेयर में 13 फीसदी की गिरावट रही. फिलहाल कंपनी का मार्केट कैप 3,91,487 करोड़ रुपये है.

डॉ. रेड्डी के शेयरों में 9 अक्टूबर को 1.35 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ ₹1251 पर कारोबार हो रहा है. कंपनी का शेयर एक हफ्ते में 0.51 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ ₹1251 पर रहा, जबकि एक साल में 6.60 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. फिलहाल कंपनी का मार्केट कैप ₹1,03,025 करोड़ रुपये है। कंपनी का ROE 16.86 फीसदी है, जबकि P/E रेशियो 17.94 है.

क्यों रोका गया टैरिफ लगाने का फैसला?

दरअसल, ट्रम्प की पार्टी के भीतर दवाओं पर लगने वाले टैरिफ के मुद्दे पर मतभेद है. पार्टी का एक धड़ दवा निर्माण को अमेरिका वापस लाने और राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर टैरिफ लगाने के पक्ष में है. लेकिन ट्रम्प की डोमेस्टिक पॉलिसी काउंसिल ने चेतावनी दी कि अगर जेनेरिक दवाओं पर टैरिफ लगाया गया तो दवाओं की कीमतें बढ़ेंगी और अमेरिका में दवाओं की कमी हो जाएगी. काउंसिल का तर्क था कि भारत जैसे देशों में उत्पादन लागत इतनी कम है कि टैरिफ लगाने के बावजूद अमेरिका में दवा निर्माण आर्थिक रूप से लाभदायक नहीं रहेगा.

भारतीय दवा उद्योग की वैश्विक ताकत

भारत का दवा निर्यात लगातार बढ़ रहा है और वित्त वर्ष 2024-25 में यह 30 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया. अकेले अमेरिका को भारत ने FY24 में 8.7 बिलियन डॉलर की दवाएं निर्यात की हैं. केवल अगस्त 2025 में निर्यात 2.51 बिलियन डॉलर रहा, जो अगस्त 2024 के 2.35 बिलियन डॉलर से अधिक है.

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