सोने में निवेश को लेकर है उलझन? टिके रहें, निकलें या डबल करें निवेश, वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने दी है ये राय

2025 में सोने ने 47% का रिकॉर्ड रिटर्न दिया है. पिछले तीन दिन में सोना लगातार नए ऑल टाइम हाई पर पहुंच चुका है. ऐसे में सोने में निवेश को लेकर तमाम निवेशकों के मन में यह उलझन है कि अब क्या करना चाहिए, क्या अब भी खरीदना चाहिए, इंतजार करें या जिन्होंने खरीद लिया है वे टिके रहें या मुनाफावसूली करें? इन सवालों के जवाब वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने अपनी एक रिपोर्ट में दिए हैं, जानिए इसमें क्या कहा गया है?

सोने में निवेश Image Credit: Money9live/Canva

सोने की चमक लगातार बढ़ रही है. सितंबर 2025 में गोल्ड ने एक बार फिर नया रिकॉर्ड बनाया और लगातार तीसरे महीने नई ऊंचाई पर पहुंच गया. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) की ताजा रिपोर्ट Gold Market Commentary – September 2025 के मुताबिक पिछले महीने सोना 12 फीसदी चढ़कर 3,825 डॉलर प्रति आउंस पर बंद हुआ, जो अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है. साल की शुरुआत से अब तक इसमें 47 फीसदी की जबरदस्त तेजी दर्ज की गई है, जो 1979 के बाद किसी भी साल का सबसे ज्यादा कैलेंडर रिटर्न है.

इन वजहों से पकड़ी रफ्तार

रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर में सोने के भाव में तेजी के तीन बड़े कारण रहे. पहला, जियो-पॉलिटिकल तनाव, दूसरा डॉलर की कमजोरी और तीसरा ऑप्शंस मार्केट में बढ़ी हुई गतिविधि. इन सबके चलते निवेशकों का भरोसा गोल्ड पर और बढ़ गया. WGC के मुताबिक, पिछले महीने गोल्ड ETF में अब तक का सबसे बड़ा इनफ्लो दर्ज हुआ. कुल 17.3 अरब डॉलर का निवेश आया, जिसमें से 10.6 अरब डॉलर सिर्फ नॉर्थ अमेरिका से रहे, जबकि यूरोप से 4.4 अरब डॉलर और एशिया से 2.1 अरब डॉलर के इनफ्लो हुए.

ऑल टाइम हाई का सफर

ETF में हुए भारी निवेश की वजह से सोने ने 2025 में अब तक 39 बार नया ऑल-टाइम हाई रिकॉर्ड बनाया है. रिपोर्ट बताती है कि कुछ निवेशकों ने मुनाफा वसूली भी की है, जिसके चलते 30 सितंबर को कीमतों में हल्की गिरावट आई थी, लेकिन शाम तक खरीदारी लौट आई और सोना फिर ऊंचे स्तर पर बंद हुआ.

क्या अब सोना ओवरबॉट है?

WGC का मानना है कि इतनी तेज बढ़त के बाद अब सोना टैक्टिकली ओवरबॉट है. ऐसे में टॉप लेवल से सेलिंग प्रेशर देखने को मिल सकता है. ऐसे मे करंट लेवल पर नए निवेशकों के लिए एंट्री लेना जोखिमभरा हो सकता है. हालांकि, रिपोर्ट यह भी बताती है कि लॉन्गटर्म के लिए सोना अभी भी “स्ट्रैटेजिकली अंडर-ओन्ड” है. निवेशकों के पोर्टफोलियो में गोल्ड होल्डिंग्स अपेक्षाकृत कम हैं, जो भविष्य में और खरीदारी को प्रेरित कर सकती हैं. काउंसिल के मुताबिक, कई देशों के सेंट्रल बैंक पिछले तीन सालों से लगातार हर गिरावट पर गोल्ड खरीद रहे हैं. इसका मतलब है कि बाजार में मांग बनी हुई है और हर डिप को निवेशक मौके की तरह ले रहे हैं.

इक्विटी मार्केट पर मंडरा रहा खतरा

रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर महीना ऐतिहासिक रूप से शेयर बाजारों के लिए कमजोर रहा है. अमेरिकी बाजार के वैल्यूएशन ऊंचे हैं, मुनाफे के अनुमान गोल्डीलॉक्स लेवल पर हैं और टेक्निकल संकेत भी करेक्शन की ओर इशारा कर रहे हैं. इस स्थिति में सोना एक भरोसेमंद हेज के रूप में काम कर सकता है.

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के पांच दशक के विश्लेषण के मुताबिक, जब भी S&P 500 अपने शिखर से 10% गिरा, उस दौरान सोने ने औसतन 3.4% का पॉजिटिव रिटर्न दिया है. यानी अगर अक्टूबर में शेयर बाजार में दबाव आता है, तो सोना फिर से सुरक्षित ठिकाने (safe haven) के रूप में उभर सकता है.

डॉलर की चाल से तय होगी अगली दिशा

रिपोर्ट में कहा गया है कि फिलहाल अमेरिकी डॉलर ओवरसोल्ड है, जबकि गोल्ड ओवरबॉट, इसलिए आने वाले दिनों में डॉलर में उछाल की संभावना सोने पर अस्थायी दबाव डाल सकती है. लेकिन काउंसिल का मानना है कि जब तक किसी बड़ी लिक्विडिटी क्राइसिस के संकेत नहीं दिखते, तब तक सोने की हेजिंग क्षमता बरकरार रहेगी. इसके साथ ही कहा गया है कि इस समय बाजार कई अनिश्चितताओं से गुजर रहा है. इनमें अमेरिकी सरकारी फंडिंग विवाद, ट्रेड टेंशन, रोजगार डाटा में कमजोरी और महंगाई के डर से निवेशक गोल्ड में टिके हुए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि सोने में फिलहाल कई सपोर्टिव फैक्टर मौजूद हैं और अगर इक्विटी में गिरावट आती है, तो गोल्ड और मजबूती दिखा सकता है.

निवेशक क्या करें?

रिपोर्ट में कहा गया है कि जो निवेशक पहले से गोल्ड में पोजीशन लिए हुए हैं, उन्हें टिके रहना चाहिए. शॉर्ट टर्म मुनाफावसूली के बाद कीमतों में हर गिरावट पर धीरे-धीरे खरीदारी का मौका बनेगा. वहीं, लंबी अवधि के निवेशक अपने पोर्टफोलियो में गोल्ड को हेज के रूप में जरूर बनाए रखें, क्योंकि WGC के मुताबिक, अब भी दुनियाभर के पोर्टफोलियो में गोल्ड का हिस्सा औसतन बहुत कम है.

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