ये भारतीय है कनाडा का वॉरेन बफेट, 8 डॉलर से बना दिए 100 अरब डॉलर; जानें किसे बनाया अपना वारिस

साल 1970 के दशक की शुरुआत में जब वत्स हैदराबाद से महज 8 डॉलर लेकर कनाडा पहुंचे, तब किसी ने नहीं सोचा था कि यही शख्स एक दिन दुनिया के सबसे बड़े वैल्यू इन्वेस्टरों में से एक बन जाएगा. आज उन्हें कनाडा के वॉरेन बफे के नाम से जाना जाता है. 75 वर्षीय प्रेम वत्स ने हाल ही में अपनी उत्तराधिकार का नाम ऐलान किया है.

कनाडा के वॉरेन बफेट Image Credit:

Warren Buffett of Canada Prem Watsa: भारतीय मूल के अरबपति प्रेम वत्स की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है. 1970 के दशक में जब वे हैदराबाद से सिर्फ 8 डॉलर लेकर कनाडा पहुंचे थे, तब किसी ने भी नहीं सोचा था कि यही इंसान आगे चलकर दुनिया के बड़े निवेशकों की लिस्ट में शामिल होगा. आज लोग उन्हें कनाडा का वॉरेन बफेट कहते हैं. 75 साल के प्रेम वत्स ने हाल ही में यह भी साफ कर दिया है कि फ्यूचर में उनकी कंपनी फेयरफैक्स फाइनेंशियल होल्डिंग्स की कमान उनका बेटा बेंजामिन वत्स संभालेगा. यह बात द फेयरफैक्स वे नाम की किताब में लिखी है.

वत्स ने 1985 में फेयरफैक्स की शुरुआत की थी. आज यह कंपनी 100 अरब डॉलर की वैल्यू वाली बड़ी वित्तीय कंपनी बन चुकी है. टोरंटो स्टॉक एक्सचेंज में इसके शेयर अक्टूबर 2022 से अब तक करीब चार गुना चढ़ चुके हैं. यह सब वत्स की समझदारी, सादगी और लंबी सोच का नतीजा है.

कैसे बने प्रेम वत्स कनाडा के वॉरेन बफेट?

प्रेम वत्स का जन्म हैदराबाद में एक साधारण परिवार में हुआ था. उनके पिता स्कूल टीचर थे. उन्होंने हैदराबाद पब्लिक स्कूल से पढ़ाई की. यही स्कूल सत्य नडेला, शांतनु नारायण और अजय बंगा जैसे ग्लोबल नेता भी पढ़ चुके हैं. इसके बाद वत्स ने आईआईटी मद्रास से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की.

आईआईएम में दाखिला उन्हें दूसरी बार में मिला था, लेकिन इससे पहले पिता ने उनसे कहा कि वह अपने भाई के पास कनाडा चले जाएं. वत्स बताते हैं कि उन्हें भारत छोड़ने का कोई शौक नहीं था, लेकिन 22 साल की उम्र में पिता की बात माननी पड़ती है. कनाडा पहुंचकर उन्होंने अपनी पढ़ाई की फीस निकालने के लिए एयर कंडीशनर और फर्नेस बेचने का काम किया. यही काम आगे चलकर उनके अंदर मेहनत और प्रैक्टिकल सोच लेकर आया.

साल 1974 में उन्हें टोरंटो की एक बीमा कंपनी में एनालिस्ट की नौकरी मिली. किस्मत देखिए, इंटरव्यू में वे अकेले पहुंचे थे, और नौकरी मिल भी गई. यहीं उन्हें बेंजामिन ग्राहम की वैल्यू इन्वेस्टिंग की सोच के बारे में पता चला यानी कम दाम पर अच्छी कंपनियों में निवेश करना और लंबे समय तक रखना. इसी ने उनकी पूरी जिंदगी की दिशा तय कर दी.

वैल्यू इन्वेस्टिंग की ओर कदम और करियर की उड़ान

लगभग दस साल बाद उन्होंने अपनी निवेश कंपनी बनाई. इसके अगले ही साल उन्होंने मार्केल फाइनेंशियल नाम की एक बीमा कंपनी खरीदी, जो लगभग डूबने की कगार पर थी. वत्स ने अपनी सोच और मेहनत से इस कंपनी को दोबारा खड़ा किया. 1987 में इसका नाम बदलकर फेयरफैक्स कर दिया गया, जिसका मतलब ही है ईमानदारी और मिल-जुलकर आगे बढ़ने वाले सौदे. वत्स ने फेयरफैक्स को उसी मॉडल पर बनाया, जिस पर अमेरिका में वॉरेन बफेट की कंपनी चलती है यानी बीमा कारोबार से जो पैसा मिलता है, उसे समझदारी से निवेश में लगाना.

वत्स हमेशा कहते हैं कि निवेश की असली ताकत ईमानदारी, अनुशासन और लंबी सोच में है. उन्होंने कई बार मुश्किल वक्त को पहले ही समझ लिया था. 1987 की बड़ी बाजार गिरावट, 1990 में जापान की आर्थिक परेशानी और 2008 की अमेरिकी मंदी इन सभी के दौरान उन्होंने सही समय पर फैसले लिए और भारी नुकसान से बचे. हालांकि तूफान हर किसी को झकझोरता है. हरिकेन हार्वी, इरमा, मारिया और कोविड-19 के दौरान फेयरफैक्स को काफी नुकसान झेलना पड़ा. लेकिन वत्स की कंपनी हर बार फिर से उठ खड़ी हुई. यही वजह है कि 2022 से इसके शेयरों में जोरदार तेजी आई है.

जानें किसे बनाया अपना वारिस?

अब प्रेम वत्स अपने बेटे बेंजामिन को धीरे-धीरे कंपनी संभालने की जिम्मेदारी दे रहे हैं. बेंजामिन भी वैल्यू इन्वेस्टिंग में पारंगत माने जाते हैं और उनकी अपनी निवेश कंपनी भारत के बाजार में काफी एक्टिव हैं. खुद प्रेम वत्स कहते हैं कि भारत फ्यूचर में दुनिया की सबसे अच्छी निवेश जगह बनने जा रहा है. इसी वजह से उन्होंने 2014 में फेयरफैक्स इंडिया बनाई और अब तक भारत में करीब 7 अरब डॉलर लगा चुके हैं. आने वाले समय में वे 5 अरब डॉलर और निवेश करने की तैयारी में हैं.

Fairfax के भारत में प्रमुख निवेश

भारत में उनके बड़े निवेशों में आईआईएफएल ग्रुप, बेंगलुरु एयरपोर्ट और कई मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां शामिल हैं. कुछ नियमों की वजह से उन्हें सीएसबी बैंक में हिस्सेदारी कम करनी पड़ी थी, लेकिन भारत में निवेश करने का उनका भरोसा और मजबूत होता जा रहा है. 8 डॉलर लेकर कनाडा पहुंचे प्रेम वत्स आज 100 अरब डॉलर की कंपनी के मालिक हैं.

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