अभी और गिरेगा रुपया, 92 होगा नया लेवल; इस दिग्गज बैंकर ने बता दी पूरी कहानी
भारतीय रुपये में जारी कमजोरी के बीच एचडीएफसी बैंक के ट्रेजरी प्रमुखों ने आने वाले समय के लिए गिरावट का संकेत दिया है. रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका–भारत व्यापार समझौते में देरी, बढ़ता चालू खाता घाटा और विदेशी इनवेस्टमेंट फ्लो में कमी रुपये पर दबाव बढ़ा रही है. रुपया हाल में 90.42 के ऑल टाइम लो तक फिसल गया और एशिया की सबसे कमजोर करेंसी में शामिल हो गया.
Indian rupee outlook: भारतीय रुपये में लगातार गिरावट जारी है और रिपोर्ट में और गिरावट की संभावना जताई जा रही है. रॉयटर्स से एचडीएफसी बैंक के ट्रेजरी प्रमुख ने कहा कि अमेरिका–भारत व्यापार समझौते के समय को लेकर अनिश्चितता के कारण रुपये में अस्थिरता बढ़ रही है. साथ ही उन्होंने कहा कि जल्दी समझौता नहीं होने के कारण रुपये की कीमत 92 रुपये प्रति डॉलर तक गिर सकती है.
गुरुवार को ऑल टाइम लो पर पहुंचा
गुरुवार को रुपया 90.42 के ऑल टाइम लो पर आ गया, जिससे आठ महीने से चली आ रही गिरावट और बढ़ गई है. रिपोर्ट के मुताबिक रुपया एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करेंसी बन गया है. बढ़ते व्यापार घाटे से लेकर कमजोर इनवेस्टमेंट फ्लो तक, कई चुनौतियों ने दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में डॉलर के फ्लो को कम कर दिया है.
अमेरिकी डील के साथ हो सकता है बदलाव
मार्केट कैपिटलइजेशन के हिसाब से भारत के सबसे बड़े प्राइवेट लेंडर एचडीएफसी बैंक के ट्रेजरी ग्रुप हेड अरूप रक्षित ने रॉयटर्स को बताया कि, “चालू खाता घाटा बढ़ रहा है, स्थानीय इक्विटी से निकासी हो रही है, इसलिए वास्तविक सप्लाई साइड (डॉलर की) में समस्या आ रही है.”
बैंक के अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही में भारत का चालू खाता घाटा जीडीपी के 1.4 फीसदी तक पहुंच जाएगा, जो पहली छमाही में 0.8 फीसदी था. इस बीच, विदेशी निवेशकों ने इस साल अब तक स्थानीय शेयरों से 17 अरब डॉलर निकाले हैं. रक्षित ने कहा, “अगर अमेरिका के साथ व्यापार समझौता निकट भविष्य में हो जाता है, तो रुपया जल्दी ही स्थिर हो सकता है. अन्यथा रुपया 90 और 92 के बीच रह सकता है.”
बजट से उम्मीद
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 27 के लिए बजट पेश करने की तैयारी कर रही हैं. यह उनका मोदी सरकार के तहत लगातार 9वां बजट होगा. 2026–27 का बजट नजदीक आने के साथ, केंद्र विदेशी मुद्रा भंडार, रुपये, विदेशी पोर्टफोलियो फ्लो और व्यापक वैश्विक आर्थिक माहौल में उतार–चढ़ाव पर बारीकी से नजर रख रहा है.
ये ऐसे कारक हैं जो राजकोषीय रणनीति, बाजार की धारणा और विकास प्राथमिकताओं को प्रभावित करेंगे. वैश्विक पृष्ठभूमि भी अनिश्चित बनी हुई है. ट्रम्प प्रशासन की नीतियों और अधिक आक्रामक व्यापार रुख के बीच वित्त वर्ष 27 के बजट में स्थिरता, निवेश और फ्लेक्सीबिलिटी को प्राथमिकता दिए जाने की उम्मीद है.
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