कौन चलाता है Indigo, जिसकी देश में रोज उड़ती हैं 2100 फ्लाइट, हर दूसरा प्लेन इनका, जानें कहां हो गई गड़बड़
IndiGo की फ्लाइटें लगातार रद्द हो रही हैं. दो दिनों में इसकी 200 से ज्यदा फ्लाइटें रद्द हो गई हैं. इससे यात्रियों की परेशानी बढ़ गई है. मगर इस सिस्टम के फेल होने की वजह क्या है और देश की सबसे बड़ी इस एयरलाइन कंपनी को कौन चलाता है, आज हम आपको इसी बारे में बताएंगे.
Indigo Crisis: देश की सबसे बड़ी एयरलाइन IndiGo, जो घरेलू बाजार में 60% से ज्यादा मार्केट शेयर रखती है, इस समय भारी ऑपरेशनल संकट से गुजर रही है. मंगलवार और बुधवार को इसकी 200 से ज्यादा फ्लाइटें रद्द हुई हैं, वहीं सैकड़ों उड़ानें देरी से चल रही हैं. यह गड़बड़ी इतनी तेजी से फैली कि पूरा सिस्टम ही चौपट हो गया है. तो आखिर पूरे सिस्टम के ध्वस्त होने के पीछे क्या है वजह और इतनी बड़ी एविएशन कंपनी को चलाने में किनका है हाथ, आइए जानते हैं.
ये चुनौतियां पड़ीं भारी
IndiGo के एक प्रवक्ता के बयान के मुताबिक पिछले दो दिनों से कंपनी के संचालन पर कई चुनौतियों का असर पड़ा है. इसमें छोटी तकनीकी गड़बड़ियां, सर्दी के मौसम के अनुसार समय-सारणी में बदलाव, प्रतिकूल मौसम, एयर ट्रैफिक सिस्टम में बढ़ी भीड़ शामिल है. इसके अलावा 1 नवंबर से लागू हुए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन नियमों का भी असर इस पर पड़ा है. दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद DGCA की ओर से लागू नए नियम के तहत पायलटों के लिए रात 12 बजे से सुबह 6 बजे तक की लैंडिंग की संख्या सीमित कर दी गई है और साप्ताहिक आराम की जरूरतों को बढ़ा दिया है. इससे क्रू की कमी हो गई है, जिसका फ्लाइट संचालन पर नकारात्मक असर पड़ रहा है.
कैसे पड़ी थी Indigo की नींव?
Indigo की नींव साल 2005 में राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल ने मिलकर रखी थी. भाटिया के पास भारत में मजबूत बिजनेस समझ और एविएशन सर्विस का अनुभव था, जबकि गंगवाल ने दुनिया की बड़ी एयरलाइंस US Airways और United Airlines में नेतृत्व का गहरा अनुभव हासिल किया था. दोनों ने मिलकर भारतीय विमानन उद्योग में क्रांति ला दी. उन्होंने यात्रियों को 24×7 फ्लाइट सर्विस, सस्ते किराए, समय पर चलने वाली उड़ानें आदि सुविधाओं की सौगात दी. राहुल भाटिया IndiGo के सह-संस्थापक, वर्तमान प्रमोटर और प्रबंध निदेशक हैं.
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रिश्तों में पड़ी दरार
राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल के रिश्तों में बाद में दरार आने लगी. रिपोर्टों के मुताबिक गंगवाल ने InterGlobe Enterprises के जरिए IndiGo पर भाटिया के नियंत्रण की सीमा और उससे जुड़े पार्टी ट्रांजैक्शन समेत बोर्ड की स्वतंत्रता व पारदर्शिता पर सवाल उठाने शुरू किए. 2019 में गंगवाल ने SEBI से शिकायत की और इसके बाद दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर केस दायर किए. मामला लंदन आर्बिट्रेशन तक पहुंच गया. फरवरी 2022 में राकेश गंगवाल ने बोर्ड से इस्तीफा दिया और ऐलान किया कि वह अगले 5 साल में अपनी हिस्सेदारी धीरे-धीरे बेच देंगे. उन्होंने मार्केट में अपनी हिस्सेदारी बेचनी शुरू कर दी.
देश में हर दूसरी उड़ान IndiGo की
IndiGo भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन है. घरेलू बाजार में इसकी हिस्सेदारी 62.47% से ज्यादा है. रोजाना 2,100 से ज्यादा उड़ानें संचालित होती है. इसके पास 39 हजार से ज्यादा का वर्कफोर्स है.
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