JNU के बाद जामिया मिलिया ने तुर्किये से तोड़े सभी करार, पाक परस्ती पर शैक्षणिक संस्थानों भी दे रहे जवाब

भारत में अचानक एक के बाद एक बड़े शैक्षणिक संस्थानों ने विदेश नीति से जुड़ा चौंकाने वाला कदम उठाया है. ये फैसला ऐसे वक्त में आया है जब देश की सुरक्षा, कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को लेकर माहौल काफी संवेदनशील है. जानिए इन संस्थानों ने क्या बड़ा फैसला लिया है.

जामिया मिलिया इस्लामिया Image Credit: Salman Ali/HT via Getty Images

भारत-पाकिस्तान के बीच मौजूदा तनाव और तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन द्वारा पाकिस्तान के खुले समर्थन के बाद अब भारतीय शैक्षणिक संस्थानों ने सख्त रुख अपनाना शुरू कर दिया है. देश की जानी-मानी यूनिवर्सिटी जामिया मिल्लिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) ने तुर्की सरकार से संबद्ध सभी संस्थानों के साथ किए गए समझौतों को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का ऐलान किया है. यह फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है.

जामिया का स्पष्ट संदेश: “हम राष्ट्र के साथ हैं”

जामिया ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर एक बयान जारी करते हुए कहा, “राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर, जामिया मिल्लिया इस्लामिया और तुर्की सरकार से संबद्ध किसी भी संस्थान के बीच हुआ कोई भी MoU तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है, जब तक की कोई अगला आदेश न आए. जामिया मिल्लिया इस्लामिया राष्ट्र के साथ खड़ी है.”

तुर्किये से सभी करार सबसे पहले JNU ने खत्म किया. बुधवार यानी 4 अप्रैल को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) ने जानकारी दी कि उसने तुर्की की Inonu University से हुए अपने अकादमिक समझौते को खत्म करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. JNU की वाइस-चांसलर संतिश्री धुलीपुडी ने कहा, “हमने Inonu University के साथ MoU को खत्म करने की औपचारिक सूचना दे दी है. राष्ट्रीय हित सर्वोपरि है और अकादमिक संस्थानों को भी देश के साथ खड़ा होना चाहिए.”

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ऑपरेशन सिंदूर के बाद बदला माहौल

हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद देश में तुर्की के खिलाफ नाराजगी का माहौल है. भारत में यह माना जा रहा है कि तुर्की का पाकिस्तान के समर्थन में बयान देना न केवल कूटनीतिक हस्तक्षेप है बल्कि भारत की सुरक्षा को भी चुनौती देने जैसा है. ऐसे में अब भारत की शीर्ष यूनिवर्सिटीज का ये सख्त कदम यह संकेत देता है कि राष्ट्रीय हित के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा फिर चाहे वो शिक्षा क्षेत्र ही क्यों न हो.