‘ट्रिप’ के बहाने आए 700 अधिकारी, 108 किलो सोना किया जब्त; 19 घंटे तक गुपचुप चला ऑपरेशन
केरल से अलग-अलग जगहों से 700 अधिकारियों को बुलाया गया और पिछले 6-7 महीने की प्लानिंग और ट्रेनिंग के बाद उन्हें त्रिशूर में छापेमारी के लिए भेजा गया.

केरल के त्रिशूर में जीएसटी विभाग ने छापेमारी कर 108 किलो सोना जब्त किया है. ये मामला टैक्स चोरी का है क्योंकि इस 108 सोने का ज्वैलर्स के पास हिसाब ही नहीं था. केरल में ऐसा पहली बार हुआ. ये छापा बुधवार शाम 4:30 बजे से गुरुवार सुबह 11 बजे तक चला. छापेमारी 78 गहनों की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट और होलसेल डीलरों पर की गई. इस ऑपरेशन का नाम ‘तोरे डेल ओरो’ यानी टॉवर ऑफ गोल्ड रखा गया था.
गुप्त तरीके से हुई छापेमारी
इस पूरे छापेमारी के ऑपरेशन को गुप्त रखा गया. वैसे ऑपरेशन गुप्त ही होते हैं लेकिन इस ऑपरेशन के लिए त्रिशूर में 700 अधिकारियों की जरूरत थी. अगर एक साथ शहर में 700 अधिकारी आते तो छापेमारी का पता लग सकता था. इसलिए इसे गुप्त रखने के लिए 700 अधिकारियों को ‘प्लेजर ट्रिप’ के बहाने त्रिशूर लाया गया था.
जीएसटी के स्पेशल कमिश्नर रेन अब्राहम ने बताया कि इन छापों में किसी को नहीं छोड़ा गया, यूनिट बड़ी हो, मझोली हो या छोटे स्तर की, हर तरह के कारोबार को टारगेट किया गया. एक कंपनी के मालिक ने लगभग 1200 करोड़ रुपये के कारोबार का कबूलनामा भी किया है जिसका कोई हिसाब-किताब ही नहीं है.
कुछ कंपनियां ऐसी थी जहां टैक्स चोरी का कोई मामला नहीं मिला, वहीं कुछ का कारोबार 10 करोड़ रुपये से कम था जहां टैक्स चोरी का मामला पकड़ा गया.
कितना जुर्माना लगा?
जब्त किया गए सोने को खजाने में भेजा जाएगा, हालांकि कंपनियों को जीएसटी और जुर्माने देने के बाद ये सोना वापस मिल जाएगा. अधिकारियों ने बताया कि कंपनियों को 3% जुर्माना और ब्याज के साथ-साथ 3% जीएसटी भी चुकाना होगा. टैक्स की दरें मौजूदा बाजार मूल्य के अनुसार तय की जाएंगी. अब तक कुछ यूनिट्स से लगभग 5.5 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूल किया गया है और जब्त किया गया सोना उन्हें वापस कर दिया गया है.
कब से चल रही थी ऑपरेशन की प्लानिंग?
जीएसटी इंटेलिजेंस के डिप्टी कमिश्नर दिनेश कुमार ने बताया कि 6-7 महीने से खुफिया जानकारी जुटाई गईं और फिर प्लान कर छापेमारी की गई है. इस ऑपरेशन की जानकारी केवल पांच से छह वरिष्ठ अधिकारियों के साथ ही साझा की गई थी.
छापे के लिए कोच्चि और त्रिशूर में अधिकारियों को ट्रेनिंग दी गई थी. इसे गुप्त रखना मुश्किल था लेकिन आखिरकार विभाग को इसमें सफलता मिली. सभी अधिकारियों को ट्रिप के नाम पर बसों और गाड़ियों में त्रिशूर के थेक्के गोपुरा नाडा इलाके में लाया गया, और वहां अलग-अलग टीमों में बांटकर छापे के लिए भेजा गया.
कुछ अधिकारी दुकानों के बाहर निगरानी रख रहे थे, तो कुछ ऑटो-रिक्शा में बैठ कर बाहर से नजर बनाए हुए थे. कुछ स्टाफ ने सोने के साथ भागने की कोशिश की, लेकिन अधिकारियों ने उनका पीछा कर उन्हें पकड़ लिया.
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