NSE vs BSE: जानें कौन है शेयर मार्केट का बादशाह, कौन गया चूक और किसने कर दिया बड़ा कमाल
भारत के दो प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज NSE और BSE में बीते वर्षों में बड़ा अंतर देखने को मिला है. NSE ने बेहतर टेक्नीकल एफीसिएंसी, हाई लिक्विडिटी और इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग के जरिए मार्केट में 94 फीसदी हिस्सेदारी पर कब्जा जमा लिया है, जबकि BSE सिर्फ 6 फीसदी पर सिमट गया है. 1875 में शुरू हुआ BSE आज NSE की तुलना में टेक्नोलॉजी, ट्रेडिंग वॉल्यूम और निवेशकों की भागीदारी में पिछड़ गया है.

NSE vs BSE: भारतीय कैपिटल मार्केट के दो प्रमुख स्तंभ हैं. इसमें नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) शामिल हैं. ये दोनों ही भारत के कैपिटल मार्केट को आकार देने में अहम भूमिका निभाते हैं. हालांकि, हाल के वर्षों में NSE ने अपनी टेक्नीकल एफीसिएंसी, हाई लिक्विडिटी और बेहतर मार्केट स्ट्रक्चर के बल पर BSE पर स्पष्ट बढ़त बना ली है. जहां BSE का ऐतिहासिक महत्व है, वहीं NSE ने अपने दमदार प्रदर्शन और इनोवेशन के जरिए निवेशकों के बीच विश्वसनीयता का एक मजबूत आधार तैयार किया है. विश्लेषण से पता चलता है कि NSE, BSE की तुलना में लगभग सभी प्रमुख वित्तीय और ऑपरेशनल पैरामीटर्स जैसे ट्रेडिंग वैल्यूम, कंपनियों की लिस्टिंग, निवेशक भागीदारी, और टेक्नीकल इंफ्रास्ट्रक्चर में बेहतर स्थिति में है.
NSE कैसे निकला आगे
BSE एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है, जिसकी स्थापना 1875 में हुई थी. लेकिन 1992 में स्थापित NSE ने बेहतर टेक्नोलॉजी और आधुनिक सुविधाओं के बल पर जल्दी ही बाजार पर पकड़ बना ली. NSE ने इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग, डेरिवेटिव्स (फ्यूचर्स और ऑप्शन्स) और तेज गति से काम करने वाले सिस्टम्स पर फोकस किया, जिससे यह निवेशकों की पहली पसंद बन गया.
NSE ने तेज ट्रेडिंग, बेहतर रिस्क मैनेजमेंट और अधिक लिक्विडिटी उपलब्ध कराई, जिससे बड़े निवेशकों के साथ-साथ छोटे ट्रेडर्स भी इसकी ओर आकर्षित हुए. वहीं, BSE नई टेक्नोलॉजी और डेरिवेटिव्स मार्केट में पिछड़ गया. यही कारण है कि NSE का ट्रेडिंग वॉल्यूम और बाजार हिस्सेदारी BSE से काफी आगे निकल गई है. आज NSE भारत का सबसे बड़ा और सबसे विश्वसनीय स्टॉक एक्सचेंज बन चुका है.
वैल्यूएशन मैट्रिक्स
NSE का P/E अनुपात 46.02 है, जबकि BSE का P/E अनुपात 74 है. इसका मतलब है कि NSE के शेयर्स, BSE की तुलना में कम कीमत पर बेहतर कमाई दे रहे हैं. दूसरे शब्दों में, BSE के शेयर्स इस समय महंगे लगते हैं जबकि NSE के शेयर्स निवेशकों के लिए अपेक्षाकृत अधिक आकर्षक विकल्प हो सकते हैं.
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NSE का मार्केट में दबदबा
आज NSE ने भारतीय शेयर बाजार का 94 फीसदी हिस्सा अपने नियंत्रण में ले लिया है, जबकि BSE सिर्फ 6 फीसदी पर सिमट गया है. यह बड़ा अंतर दिखाता है कि NSE ने बेहतर प्रोडक्ट्स, आधुनिक टेक्नोलॉजी और निवेशकों के बीच अधिक लोकप्रियता के बल पर बाजार में वर्चस्व स्थापित कर लिया है. दूसरी ओर, BSE इस प्रतिस्पर्धा में लगातार पिछड़ता जा रहा है.
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