4 लोगों ने छोटे कमरे से शुरू की थी Jane Street, आज 1.7 लाख करोड़ का साम्राज्य; ऐसे करती है मोटी कमाई
SEBI ने अमेरिका की बड़ी क्वांट ट्रेडिंग फर्म Jane Street को भारतीय बाजार में बैन किया और 4,843 करोड़ रुपये की कथित अवैध कमाई लौटाने का आदेश दिया. जानिए पूरा मामला, कंपनी का कारोबार और असल में इसका मालिक कौन है.

Who is Jane Street SEBI Bans: सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी SEBI ने एक बड़े कदम के तहत अमेरिका की नामी ट्रेडिंग फर्म Jane Street और उसकी भारत में काम कर रही सहयोगी कंपनियों को भारत में ट्रेडिंग करने से रोक दिया है. इसके साथ ही सेबी ने कंपनी से भारतीय बाजार में की गई कथित “अवैध कमाई” के तौर पर 4,843 करोड़ रुपये वापस करने का भी आदेश दिया है. यह कार्रवाई इसलिए अहम मानी जा रही है क्योंकि जेन स्ट्रीट दुनिया की सबसे बड़ी क्वांटिटेटिव ट्रेडिंग कंपनियों में से एक है और इसे बाजार में हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग (HFT) की महारत रखने वाली फर्म कहा जाता है.
इस खबर के बाद भारतीय शेयर बाजार में हड़कंप मच गया. लेकिन असल में क्या है जेन स्ट्रीट और क्या है इसका कारोबार. असल में कितनी है इसकी कमाई. इन सभी बातों को विस्तार में जानेंगे.
आखिर कौन है Jane Street और क्या है इसका बिजनेस मॉडल?
जेन स्ट्रीट की शुरुआत साल 2000 में न्यूयॉर्क के एक छोटे से दफ्तर से हुई थी. इसे चार दिमागी धुरंधर- Drew Krichman, Tim Reynolds, Marc Gerstein और Rob Granieri ने मिलकर बनाया. Jane Street का कोई एक मालिक नहीं है. यह एक प्राइवेट कंपनी है, जिसका कंट्रोल इसके सीनियर पार्टनर्स और फाउंडिंग टीम के पास है. आज यह फर्म क्वांटिटेटिव और हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग की दुनिया में एक बड़ा नाम बन चुकी है.
इसके पास दुनियाभर में 3,000 से ज्यादा कर्मचारी हैं और यह अमेरिका, यूरोप और एशिया में फैले 5 ग्लोबल ऑफिसेस के जरिए कारोबार करती है. साल 2024 में कंपनी का रेवेन्यू 20.5 बिलियन डॉलर (करीब 1.7 लाख करोड़ रुपये) रहा. खासतौर पर एशियाई बाजारों में कंपनी की मौजूदगी तेजी से बढ़ी है. भारत के डेरिवेटिव्स मार्केट में भी इसकी हिस्सेदारी पिछले कुछ सालों में बहुत बढ़ी थी.
Jane Street पर SEBI की बड़ी कार्रवाई- क्यों मचा हड़कंप?
जेन स्ट्रीट ने पिछले कुछ सालों में भारत के डेरिवेटिव्स बाजार में अपनी पकड़ मजबूत की थी. डेरिवेटिव्स मार्केट यानी ऐसा फाइनेंशियल कॉन्ट्रैक्ट्स जिनकी कीमत किसी दूसरी चीज पर निर्भर करती है, जैसे- सोना-चांदी, करेंसी, इंडेक्स या ब्याज दर. सेबी की जांच में सामने आया कि कंपनी ने भारतीय बाजार में एक ऐसी रणनीति अपनाई, जिससे उसने ऑप्शंस ट्रेडिंग में तो भारी मुनाफा कमाया, लेकिन इसके लिए उसने स्टॉक्स और फ्यूचर्स में ऐसे ट्रेड किए, जिससे बाजार के इंडेक्स के स्तरों में बड़ा उतार-चढ़ाव आया. सेबी के मुताबिक, जेन स्ट्रीट ने जानबूझकर बाजार को ऊपर-नीचे करके अपने ऑप्शंस ट्रेड्स को फायदेमंद बनाया. सेबी की रिपोर्ट के मुताबिक, जेन स्ट्रीट ने भारतीय बाजार में दो बड़े पैमाने पर मैनिपुलेटिव ट्रेडिंग पैटर्न अपनाएं-
“मॉर्निंग पंप, आफ्टरनून डंप” फॉर्मूला
कंपनी ने सुबह के समय बड़ी मात्रा में बैंक निफ्टी स्टॉक्स और फ्यूचर्स खरीदे, जिससे इंडेक्स ऊपर गया. दिन के अंत में उसने इन्हीं पोजीशंस को तेजी से बेचा, जिससे इंडेक्स नीचे गिरा. इसका फायदा कंपनी ने ऑप्शंस मार्केट में उठाया.
एक्सपायरी डे इंडेक्स मैनिपुलेशन
ऑप्शंस एक्सपायरी वाले दिनों पर जेन स्ट्रीट ने आखिरी घंटों में बड़े ट्रेड्स कर इंडेक्स के क्लोजिंग लेवल्स को प्रभावित किया. इससे ऑप्शंस की प्राइसिंग में बदलाव हुआ और कंपनी को भारी मुनाफा हुआ.
किन तरीकों से जेन स्ट्रीट ने की कमाई?
यह फॉर्मूले इतने प्रभावी रहे कि कंपनी ने 2023 और 2024 के बीच सिर्फ ऑप्शंस मार्केट से 44,358 करोड़ रुपये की कमाई की. हालांकि, सेबी की रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि स्टॉक्स और फ्यूचर्स में ट्रेड करते हुए कंपनी को करीब 7,600 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. इसके बावजूद ऑप्शंस से हुए फायदे ने कुल मिलाकर उसे लगभग 36,671 करोड़ रुपये का नेट प्रॉफिट दिला दिया. सेबी की कैलकुलेशन के मुताबिक
- 44,358 करोड़ रुपये– ऑप्शंस मार्केट से कमाई
- 7,208 करोड़ रुपये – स्टॉक फ्यूचर्स में नुकसान
- 191 करोड़ रुपये – इंडेक्स फ्यूचर्स में नुकसान
- 288 करोड़ रुपये – कैश मार्केट में नुकसान
- 36,671 करोड़ रुपये – कुल शुद्ध मुनाफा
भारत में ट्रेडिंग बैन- किन कंपनियों पर लगा प्रतिबंध?
सेबी ने कहा कि यह रणनीति भारतीय शेयर बाजार के नियमों के खिलाफ है क्योंकि इससे बाजार में हेरफेर यानी मैनिपुलेशन हुआ और बाकी निवेशक बड़े स्तर पर प्रभावित हुए. इसी आधार पर भारतीय रेग्युलेटर ने जेन स्ट्रीट और उससे जुड़ी चार अन्य संस्थाओं पर बैन लगा दिया. जिन संस्थाओं पर सेबी ने रोक लगाई है-
- JSI Investments
- JSI2 Investments Pvt Ltd
- Jane Street Singapore Pte Ltd
- Jane Street Asia Trading
इन सभी पर अब भारतीय शेयर बाजार में किसी भी तरह का कारोबार करने की मनाही होगी. इसके अलावा सेबी ने इनकी भारतीय बैंकिंग और फाइनेंशियल गतिविधियों पर भी रोक लगा दी है. अब मूल बात कि असल में जेन स्ट्रीट है कौन जिसने भारतीय शेयर बाजार को कुछ हद तक अपने हिसाब से बदलता रहा.
भारत के डेरिवेटिव्स बाजार में कैसे बनाई पकड़?
असल में भारत का डेरिवेटिव्स बाजार पिछले पांच सालों में दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे तेजी से बढ़ने वाला बाजार बन गया है. यहां पर रिटेल निवेशकों की भागीदारी काफी तेजी से बढ़ी है. इसका उदाहरण हमें समय-समय पर आने वाले निवेशकों की भागीदारी के डाटा से मिल सकता है. सिर्फ 2019 से 2024 के बीच डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग वॉल्यूम में 40 गुना की बढ़ोतरी हुई.
पहले जहां सिर्फ बड़े संस्थागत निवेशक इस बाजार में सक्रिय रहते थे, वहीं अब छोटे निवेशक भी सस्ते और तेजी से निपटने वाले साप्ताहिक ऑप्शंस की वजह से बड़ी संख्या में शामिल हो रहे हैं. ऐसे बाजार में जेन स्ट्रीट जैसी फर्मों के लिए छोटे-छोटे पैटर्न पकड़कर तेजी से मुनाफा कमाना आसान हो गया. लेकिन सेबी का कहना है कि इस प्रक्रिया में कंपनी ने बाजार की नैचुरल डिमांड और सप्लाई को बिगाड़ा.
अब आगे क्या? Jane Street का जवाब और कानूनी लड़ाई
जेन स्ट्रीट ने इन आरोपों को खारिज किया है. कंपनी का कहना है कि वह सेबी के आदेश को चुनौती देगी और यह साबित करेगी कि उसके सभी ट्रेडिंग पैटर्न नियमों के मुताबिक थे. सेबी ने कंपनी को अपने आदेश पर आपत्ति दर्ज कराने और सुनवाई की मांग करने के लिए 21 दिन का वक्त दिया है. अगर जेन स्ट्रीट इस फैसले को चुनौती देती है, तो मामला सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) और आगे चलकर सुप्रीम कोर्ट तक भी जा सकता है.
यह मामला इसलिए अहम है क्योंकि यह भारत में विदेशी निवेशकों (FPIs) की भूमिका और बाजार रेग्युलेशन पर बड़ा सवाल खड़ा करता है. अगर सेबी का यह एक्शन कायम रहता है, तो यह विदेशी ट्रेडिंग फर्मों के लिए एक कड़ा संदेश होगा कि भारत के बाजार में नियमों का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
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