Mega PSB Merger से 2.3 लाख कर्मचारियों पर सीधे असर! प्रमोशन, ट्रांसफर से लेकर इन चीजों पर संकट; एक्सपर्ट ने गिना दी एक-एक बात

सरकार आठ सरकारी बैंकों को चार बड़े बैंकों में मिलाने की तैयारी में है. नीति आयोग की सिफारिश के बाद प्रस्तावित इस मेगा बैंक मर्जर से करीब 2.3 लाख कर्मचारियों की नौकरी, तबादले और पदों के पुनर्गठन को लेकर चिंता बढ़ गई है. कर्मचारी संगठनों में असुरक्षा की भावना गहराई है.

बैंक मर्जर से नौकरी पर संकट Image Credit: Money9 Live

Bank merger impact on employees: देश के बैंकिंग सेक्टर में एक बार फिर बड़ा बदलाव होने जा रहा है. सरकार आठ सरकारी बैंकों को चार बड़े बैंकों में मिलाने की तैयारी में है, ताकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की क्षमता, पूंजी और प्रतिस्पर्धा वैश्विक स्तर पर मजबूत हो सके. यह प्रस्ताव नीति आयोग (NITI Aayog) की उस सिफारिश के बाद चर्चा में आया है जिसमें कहा गया था कि भारत को ‘कम लेकिन मजबूत’ सरकारी बैंक चाहिए, जो निजी और विदेशी बैंकों के मुकाबले खड़े हो सकें.

लेकिन इस बदलाव की सबसे बड़ी कीमत शायद वे लोग चुका सकते हैं, जिन्होंने इन बैंकों को दशकों तक संभाला है. इस योजना ने 2,29,800 कर्मचारियों से ज्यादा की नौकरी, तबादले और भविष्य को लेकर अनिश्चितता बढ़ा दी है. शाखाओं के पुनर्गठन और पदों के दोहराव के बीच सबसे ज्यादा चिंता अब कर्मचारियों के बीच दिखाई दे रही है.

आंकड़ों में सिमटी बेचैनी

इन आठ सरकारी बैंकों में आज लाखों लोगों का करियर टिका है:

इन आठों बैंकों में कुल मिलाकर करीब 2,29,800 से ज्यादा लोग काम करते हैं. अगर इन्हें चार बड़े बैंकों में मिलाया गया, तो सिर्फ एकाउंट्स और टेक्नोलॉजी का नहीं, बल्कि हजारों कर्मचारियों के पदों, शाखाओं और जिम्मेदारियों का ‘डुप्लीकेशन’ होगा, जो नौकरियों का संतुलन को बिगाड़ सकती हैं.

“एक इलाके में दो बैंक नहीं रह सकते”

बैंकिंग सेक्टर के एक्सपर्ट और Voice of Banking के फाउंडर अश्विनी राणा के मुताबिक, मर्जर के बाद सबसे पहले असर शाखाओं पर पड़ेगा. वे कहते हैं, “जब दो या तीन बैंकों की शाखाएं एक ही इलाके में होंगी, तो प्रबंधन निश्चित रूप से उनमें से कुछ को बंद करेगा. इससे कर्मचारियों के तबादले, सीटों के घटने और कई जगह पद समाप्त होने जैसी स्थिति बन सकती है.”

यानी जिन कर्मचारियों ने वर्षों तक एक ही शहर में सेवाएं दी है, उन्हें अब नए शहरों या राज्यों में ट्रांसफर का सामना करना पड़ सकता है.

प्रमोशन और वेतन संरचना पर भी असर

हर बैंक की अपनी HR Policy होती है, प्रमोशन, ग्रेड, बोनस और भत्ते तक के नियम अलग होते हैं. मर्जर के बाद इन सबको एक समान बनाना आसान नहीं होता. पिछले मर्जर के दौरान भी यह देखा गया था कि अलग बैंकों के कर्मचारियों को समान ग्रेड और सैलरी स्ट्रक्चर में लाने में महीनों लग गए थे. अब अगर 8 बैंक एक साथ मिलते हैं, तो स्थिति और पेचीदा होगी.

ऐसे में वरिष्ठता को लेकर असमानता बढ़ सकती है. जिनकी प्रमोशन लाइन तैयार थी, उन्हें फिर से लंबा इंतजार करना पड़ सकता है.

ग्रामीण शाखाओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती

मर्जर का एक और बड़ा प्रभाव ग्रामीण शाखाओं पर पड़ेगा. इन शाखाओं में कर्मचारियों की संख्या पहले से ही सीमित है और ग्राहक आधार भी कमजोर होता है. अगर मर्जर के बाद शाखाओं के पुनर्गठन के नाम पर कुछ ग्रामीण शाखाएं बंद होती हैं, तो वहां के कर्मचारियों को या तो शहरी इलाकों में भेजा जाएगा या फिर उनका पद ही खत्म हो सकता है.

अश्विनी राणा कहते हैं, “सरकार जब बैंकों का मर्जर करती है, तो वह टेक्निकल और बैलेंस शीट के नजरिए से सोचती है, लेकिन जमीनी स्तर पर काम करने वाले कर्मचारियों की व्यावहारिक स्थिति पर ध्यान नहीं देती.”

भर्ती के दरवाजे भी बंद होने का डर

इस मर्जर से न सिर्फ मौजूदा कर्मचारियों बल्कि आने वाले बैंकिंग उम्मीदवारों के लिए भी स्थिति कठिन हो सकती है. पिछले अनुभव बताते हैं कि जब भी बैंकों का मर्जर होता है, नई भर्तियां धीमी पड़ जाती हैं क्योंकि प्रबंधन पहले मौजूदा कर्मचारियों को समायोजित करने में व्यस्त रहता है. मार्केट एक्सपर्ट का मानना है कि “अगर यह मर्जर लागू हुआ, तो अगले दो-तीन साल तक पब्लिक सेक्टर बैंकों में भर्ती की रफ्तार काफी धीमी हो जाएगी.”

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सरकार के रोडमैप का इंतजार

सरकार का मकसद बैंकिंग सिस्टम को ज्यादा मजबूत और प्रतिस्पर्धी बनाना है. बड़े बैंकों से कैपिटल कपैसिटी, मजबूत मैनेजमेंट और तकनीकी फ्रेमवर्क बेहतर करने की उम्मीद है. हालांकि, इस प्रक्रिया में कर्मचारियों से जुड़ी चुनौतियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. शाखाओं के पुनर्गठन, ट्रांस्फर और पदों के पुनर्मूल्यांकन जैसी परिस्थितियां कर्मचारियों के लिए अनिश्चितता पैदा कर सकती हैं.

फिलहाल यह देखना होगा कि सरकार और बैंक प्रबंधन इस बदलाव को किस तरह लागू करते हैं, ताकि सुधार की प्रक्रिया सुचारु भी रहे और कर्मचारियों के हित भी सुरक्षित रहें.