नेपाल में हर पांचवा युवा बेरोजगार, प्रवासियों के पैसे पर इकोनॉमी, इस अंडर करंट से सुलग रहा पड़ोसी देश
नेपाल में सोशल मीडिया बैन और आर्थिक परेशानियों के कारण भड़की जनक्रांति ने देश को अस्थिर कर दिया है. प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली इस्तीफा देकर गायब हो गए हैं और प्रदर्शनकारियों ने कई सरकारी इमारतों में आग लगा दी है. देश की जीडीपी 46.1 बिलियन डॉलर है और प्रति व्यक्ति आय 1458 डॉलर है. बेरोजगारी और राजनीतिक अस्थिरता ने युवा नाराजगी बढ़ा दी है.
Nepal Crisis: नेपाल में सोशल मीडिया बैन के विरोध में शुरू हुए Gen-Z आंदोलन ने वहां सत्ता परिवर्तन कर दिया है. प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली इस्तीफा देकर किसी अनजान जगह पर छुप गए हैं. प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति प्रधानमंत्री पूर्व प्रधानमंत्री और कई मंत्रियों के घर में आग लगा दी है. इसके अलावा नेपाल की संसद और सुप्रीम कोर्ट में आगजनी की गई है. 9 अगस्त को रात 10 बजे नेपाल की कमान सेना ने संभाल ली है. सेना ने आज 10 अगस्त को शाम 5 बजे तक कर्फ्यू लगा दिया है. नेपाल में अचानक भड़के इस जनआक्रोश के पीछे तात्कालिक कारण सोशल मीडिया पर बैन है लेकिन अगर इसका एनालिसिस किया जाए तो पता चलेगा कि इसके पीछे देश की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था की ही अहम भूमिका है.
कैसी है नेपाल की अर्थव्यवस्था
नेपाल की जीडीपी 46.1 अरब डॉलर है जिसमें सबसे बड़ा योगदान रेमिटेंस 33 फीसदी से आता है. इसका मतलब यह है कि देश की एक बड़ी आबादी देश से बाहर नौकरी करती है और वहां से पैसा अपने देश भेजती है. इससे पता चलता है कि देश में रोजगार की भारी कमी है. अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि 2000 में सिर्फ जीडीपी का 2 फीसदी हिस्सा रेमिटेंस से आता था जो 2024 में बढ़कर 33 फीसदी हो गया है.
वर्ष | रेमिटेंस (% GDP) |
---|---|
2000 | 2 |
2002 | 11.2 |
2006 | 16.8 |
2008 | 23.2 |
2013 | 27.6 |
2016 | 25 |
2021 | 22 |
2023 | 22 |
2024 | 33.1 |
दुनिया में सबसे कम प्रति व्यक्ति आय
नेपाल की प्रति व्यक्ति आय 2025 में सिर्फ 1458 डॉलर है जो कि दुनिया में सबसे कम में से एक है. अगर आंकड़े देखें तो पता चलता है कि 2019 में यह 1186 डॉलर था और उसमें कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है और यह 6 सालों में सिर्फ 1458 डॉलर तक पहुंच पाया है जबकि इसी अवधि में महंगाई तेजी से बढ़ी है.
वर्ष | प्रति व्यक्ति आय ($) |
---|---|
2019 | 1,186 |
2022 | 1,348 |
2025 | 1,458 |
कोविड से अभी भी उबर नहीं पाई इकोनॉमी
नेपाल की इकोनॉमी को कोविड की वजह से बड़ा झटका लगा और इसकी ग्रोथ रेट में गिरावट दर्ज की गई. कोविड के दौरान 2019 में देश की कुल जीडीपी 34.2 अरब डॉलर की थी. पिछले सात सालों में इसकी ग्रोथ धीमी गति से बढ़ते हुए केवल 46.1 बिलियन डॉलर पर पहुंच पाई है.
वर्ष | GDP ($ अरब) |
---|---|
2019 | 34.2 |
2021 | 36.9 |
2025 | 46.1 |
हर पांचवा नेपाली बेरोजगार
नेपाल की आबादी में 15 से 24 साल के युवाओं की संख्या 57.6 लाख है. यह देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा है. लेकिन देश में रोजगार की भारी कमी है और हर पांचवां नेपाली युवा बेरोजगार है. देश में युवा बेरोजगारी दर करीब 20.8 फीसदी है. इससे देश में युवाओं के बीच सरकार को लेकर नाराजगी पहले से थी जो सोशल मीडिया बैन से और भड़क गई.
वर्ष | युवा बेरोजगारी दर (%) |
---|---|
2019 | 19.6 |
2020 | 24.0 |
2023 | 20.8 |
2024 | 20.8 |
कैसी है महंगाई की स्थिति
जुलाई 2024 से जुलाई 2025 तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो नेपाल की महंगाई दर में बड़े उतार-चढ़ाव देखने को मिले. जुलाई 2024 में यह स्तर 3.57 था, जो नवंबर तक लगातार बढ़कर 6.05 के शिखर पर पहुंच गई. इसके बाद गिरावट शुरू हुई और जुलाई 2025 में यह घटकर 2.2 तक आ गई. यह ट्रेंड बताता है कि शुरुआत में तेजी रही, लेकिन साल के मध्य तक गिरावट और अंत में स्थिरता दिखाई दी.
राजनीतिक अस्थिरता भी एक वजह
नेपाल में लंबे समय से राजनीतिक अस्थिरता रही है. 1950 से लेकर अब तक देश में 6 बार अलग अलग संविधान लागू हुए हैं. वहीं 2000 से अब तक यानी 25 सालों में यहां पर 20 प्रधानमंत्री बने हैं जिनमें 4 बार पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और 3 बार केपी शर्मा ओली ने शपथ ली है.