ईरान पर अमेरिका हमले के बाद तेल की कीमतों में दिखी तेजी, ट्रंप ने रोकी सैन्य कार्रवाई फिर भी क्यों डरा है बाजार?

एक अचानक फैसला, एक धमाका और अब पूरी दुनिया की नजरें एक जगह टिकी हैं. तेल की कीमतें बढ़ रही हैं, बाजार सहम रहा है, और विशेषज्ञ चिंतित हैं. क्या इस बार सिर्फ एक हमला पूरी वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति को डांवाडोल कर देगा? जानिए इस उथल-पुथल के पीछे की असली वजह.

तेल के दामों में इजाफा Image Credit: Getty Images

Oil Price Hike: मध्य पूर्व में पहले से जारी संघर्ष के बीच रविवार, 22 जून को अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों से वैश्विक तेल बाजार में हलचल मच गई है. डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा इस कार्रवाई से यह स्पष्ट हो गया कि अमेरिका अब इजरायल को खुला समर्थन देने की स्थिति में है. इससे न केवल क्षेत्रीय तनाव बढ़ा है, बल्कि ऊर्जा आपूर्ति पर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं.

ब्रेंट और WTI क्रूड में तेजी

हमले के बाद ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्स में 0.40 फीसदी की तेजी दर्ज की गई, जो 31 सेंट बढ़कर 77.32 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया. वहीं, अमेरिका का WTI क्रूड 0.73 फीसदी या 54 सेंट चढ़कर 74.04 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेड कर रहा था.
इस तेजी को फिलहाल ‘सप्लाई में संभावित बाधा’ और ‘भूराजनीतिक अनिश्चितता’ से जोड़कर देखा जा रहा है.

कच्चे तेल की कीमतें पहले ही तीन हफ्तों से बढ़ रही हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि अब निवेशक तेल बाजार से जुड़ी हर छोटी-बड़ी खबर पर नजर बनाए रखेंगे, क्योंकि आने वाले दिनों में अस्थिरता और बढ़ सकती है.

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ईरान, OPEC+ समूह का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक है और संगठन की कुल आपूर्ति का लगभग एक-तिहाई हिस्सा अकेले देता है. ऐसे में अगर ईरान की ओर से कोई बड़ा कदम उठाया गया या तेल ट्रांसपोर्टिंग का रास्ता रोका गया, तो कीमतों में और उछाल आ सकता है.

ट्रंप बोले- “सैन्य कार्रवाई की कोई योजना नहीं“ लेकिन बाजार सशंकित

हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बयान दिया कि फिलहाल आगे कोई सैन्य कार्रवाई की कोई बातचीत नही है फिर भी बाजारों में डर कायम है. विश्लेषकों का मानना है कि ईरान की संभावित जवाबी कार्रवाई और स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद करने की धमकी से वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति बाधित हो सकती है.