ऑपरेशन सिंदूर से डरी चाइनीज कंपनियां- TATA, मित्तल, Dixon के साथ बड़ी डील पर मंडरा रहा खतरा!
भारत और पाकिस्तान के युद्ध के में बीच चीन ने पाक का समर्थन किया है जिसके बाद भारतीय कंपनियों के लिए मुश्किलें बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है. उनका मानना है कि भारत चीन पर एक्शन ले सकता है, इससे कई बड़ी डील्स पर रिस्क बढ़ गया है.

India Pakistan China: भारत और पाकिस्तान की लड़ाई के बीच जब चीन ने पाकिस्तान का खुले तौर पर समर्थन किया तो अब माना जा रहा है कि भारत चीन को लेकर सख्त होगा. लेकिन इस सख्ती का असर भारत की उन कंपनियों पर पड़ने की आशंका है जो चीन की कंपनियों के साथ काम करना चाहती है. इसमें Dixon Technologies, Tata, MI, BYD, Oppo, Vivo कई कंपनियां और डील्स रिस्क पर हैं. ऐसे में क्या सख्ती हो सकती है? और भारत की किन बड़ी कंपनियों को नुकसान होने का डर सता रहा है.
क्या असर पड़ेगा?
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, कई कंपनियों के CEO का मानना है कि चीन ने पाक को जो समर्थन दिया है उस वजह से भारत और चीनी कंपनियों की कई डील्स पर असर पड़ सकता है. इनमें Haier कंपनी है जो अपनी भारतीय यूनिट में हिस्सेदारी बेचना चाहती है. इसके अलावा दो जॉइंट वेंचर भी सरकारी मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, Haier की डील में रिलायंस इंडस्ट्रीज और भारती ग्रुप के सुनील मित्तल और वारबर्ग पिंकस का समूह प्रमुख दावेदार हैं. ये सभी डील्स प्रेस नोट 3 में आती हैं.
क्या है प्रेस नोट 3
2020 में जब गलवान में चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष हुआ था तब भारत ने चीन को लेकर सख्त रुख अपना कर प्रेस नोट 3 लागू किया. ये एक तरह की पॉलिसी है जिसके तहत भारत की सीमा से लगे देशों (खासकर चीन) के नागरिक या कंपनियों को भारत में निवेश करने से पहले सरकार से मंजूरी लेना जरूरी है. इसके तहत अब तक कुछ ही बड़ी चीनी कंपनियों को मंजूरी मिल पाई है.
रिपोर्ट के मुताबिक, PLI स्कीम का फायदा भी चीनी कंपनियों को कम से कम ही मिलता है.
भारतीय कंपनियों का डर
रिपोर्ट के मुताबिक, एक सीईओ ने कहा कि सरकार का रुख चीन को लेकर फिर बदल रहा है. हमें डर है कि ज्यादातर डील्स को प्रेस नोट 3 के तहत मंजूरी नहीं मिलेगी. ये एक रिस्क है.
रिपोर्ट के मुताबिक एक स्मार्टफोन कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर के सीईओ को भी लगता है कि प्रेस नोट 3 के ज्यादातर एप्लिकेशन को रोक दिया जाएगा या खारिज किया जाएगा. उन्होंने कहा कि फिर भी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री को चीन की तकनीक की जरूरत है. ऑप्शन के तौर पर जापान और दक्षिण कोरिया हैं लेकिन चीनी तकनीक काफी किफायती है.
रिस्क पर ये कंपनियां!
- भारत की कंपनी Dixon Technologies की दो एप्लिकेशन फंसी हुई है. एक स्मार्टफोन कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर Longcheer के साथ जॉइंट वेंचर के लिए और दूसरा HKC Corp के साथ डिस्प्ले मॉड्यूल बनाने के लिए.
- Tata की कंपनी Voltas और शंघाई हाईली ग्रुप कम्प्रेसर निर्माण के लिए जॉइंट वेंचर की बात कर रहे थे.
- Micromax की कंपनी भगवती प्रोडक्ट्स, PG Electroplast और Epack Durable जैसी बाकी भारत की मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां भी PLI योजना के लिए अप्लाई कर रही थी.
- रिपोर्ट के मुताबिक, भारत को अप्रैल 2020 से दिसंबर 2023 के बीच प्रेस नोट 3 के तहत कुल 11.9 अरब डॉलर के 526 विदेशी निवेश प्रस्ताव मिले थे. इनमें से 124 को मंजूरी मिली, 201 खारिज हुए और बाकी अभी लंबित हैं.
- SAIC Motor, Haier, Oppo, Vivo, Xiaomi, BYD और Shanghai Highly Group जैसी बड़ी चीनी कंपनियों को भारत में प्रेस नोट 3 और अन्य रेगुलेटरी अड़चनों का सामना करना पड़ा है.
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