PSBs में तूफानी तेजी के बीच, सेक्टर की प्रॉफिट ग्रोथ सुस्त; Q2 FY26 में SCBs का मुनाफा सिर्फ 1.4% बढ़ा
Q2FY26 में SCBs का नेट प्रॉफिट सिर्फ 1.4% बढ़कर 0.94 लाख करोड़ रहा. PSBs ने 4.7% ग्रोथ के साथ बढ़त बनाई, जबकि प्राइवेट बैंकों पर अनसिक्योर्ड और MFI सेगमेंट का दबाव दिखा. NIM और NII कमजोर रहे लेकिन कैपिटल बफर मजबूत. H2FY26 में क्रेडिट ग्रोथ और त्योहारों से सुधार की उम्मीद बनी हुई है.
CareEdge की ताजा Q2FY26 बैंकिंग रिपोर्ट बताती है कि भारतीय शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंक (SCBs) के मुनाफे की रफ्तार पर ब्रेक लगा है. सिस्टम-वाइड प्रॉफिट ग्रोथ सिर्फ 1.4% y-o-y रही और कुल नेट प्रॉफिट लगभग 0.94 लाख करोड़ पर सिमट गया. रिपोर्ट के मुताबिक NII और NIM दबाव में रहे, क्रेडिट कॉस्ट बढ़ी और कुछ सेगमेंट्स ने ग्रोथ को सीमित किया. इसके बावजूद पब्लिक सेक्टर बैंकों (PSBs) का प्रदर्शन प्राइवेट बैंकों (PVBs) से मजबूत दिखा और सेक्टर के कैपिटल बफर और बेहतर हुए.
PSBs आगे, प्राइवेट बैंक पीछे रहे
Q2FY26 में PSBs ने नेट प्रॉफिट में 4.7% y-o-y बढ़त दर्ज की. उनका मुनाफा लगभग 0.50 लाख करोड़ पर पहुंचा और रिपोर्ट के अनुसार इस आउटपरफॉरमेंस के पीछे असल में बेहतर फी इनकम, कुछ टैक्स रिफंड, मजबूत ट्रेजरी और अपेक्षाकृत लोअर CD रेशियो की भूमिका रही. कई बड़े PSBs में स्टेक-सेल ट्रांजैक्शंस का इफेक्ट भी Q2 में शामिल है, जिसने बॉटम लाइन को और मजबूती दी.
प्राइवेट बैंकों की स्थिति कमजोर
इसके उलट प्राइवेट बैंकों की स्थिति कमजोर रही. PVBs का नेट प्रॉफिट 2.1% y-o-y गिरकर करीब 0.43 लाख करोड़ रहा. अनसिक्योर्ड और माइक्रोफाइनेंस पोर्टफोलियो में बढ़ी स्लिपेज, कॉर्पोरेट लोन की धीमी मांग और ऊंची प्रोविजनिंग ने उनकी लाभप्रदता पर दबाव बढ़ाया. रिपोर्ट के अनुसार कई प्राइवेट बैंकों का RoA सिकुड़ गया है क्योंकि तनावग्रस्त पोर्टफोलियो का अनुपात बढ़ा और इन्क्रीमेंटल NIM एक्सपेंशन रुक गया.
नॉन-इंटरेस्ट इनकम ने दिया सहारा
CareEdge डाटा बताता है कि सेक्टर की NII ग्रोथ धीमी रही, क्योंकि रीप्राइसिंग के चलते फंड कॉस्ट बढ़ी, जबकि एसेट रीप्राइसिंग का फायदा सीमित रहा. कई बैंकों में NIM दबाव 10–20 bps तक दर्ज हुआ. इस दौरान fee income और ट्रेजरी गेन्स ने सिस्टम-वाइड आय को अस्थायी सपोर्ट दिया, वरना प्रॉफिट ग्रोथ और कम होती.
ट्रेजरी गेन्स से सरकारी बैंकों को फायदा
ट्रेजरी गेन्स खास तौर पर PSBs के लिए सहारा बने, जबकि प्राइवेट बैंकों को रिटेल पोर्टफोलियो में तनाव के चलते अतिरिक्त provisioning करनी पड़ी. रिपोर्ट इशारा करती है कि NIM अब एक फ्लैट ट्रैजेक्ट्री पर पहुंच चुका है और H2FY26 में क्रेडिट ग्रोथ पर ही रिकवरी निर्भर करेगी.
अनसिक्योर्ड और MFI सेगमेंट में प्रेशर
सिस्टम-वाइड GNPA और NNPA मोटे तौर पर स्थिर रहे, लेकिन अनसिक्योर्ड लोन, क्रेडिट कार्ड, और MFI सेगमेंट में तनाव बढ़ रहा है. प्राइवेट बैंकों में यह दबाव ज्यादा दिखा. कई PVBs ने Q2 में बढ़े हुए राइट ऑफ्स और हायर क्रेडिट कॉस्ट की रिपोर्ट की, जिससे उनकी बॉटम लाइन और RoA प्रभावित हुए.
मॉनिटरिंग की जरूरत
CareEdge का आकलन है कि इन रिटेल-हेवी सेगमेंट्स में H2FY26 भी मॉनिटरिंग की जरूरत रहेगी. हालांकि कॉर्पोरेट बुक में अधिकांश बैंकों की एसेट क्वालिटी नियंत्रित बनी हुई है और कोई बड़ा सिस्टेमिक शॉक नहीं दिखता.
कैपिटल बफर और मजबूत
रिपोर्ट के अनुसार SCBs का मीडियन CAR 17.1% है जबकि PSBs का CET-1 बफर भी FY25 के मुकाबले सुधरा है. H1FY26 में बड़े PSBs ने QIPs और स्टेक-सेल के जरिए लगभग 45,000 करोड़ रुपये जुटाएं, जबकि प्राइवेट बैंकों ने करीब 15,000 करोड़ पूंजी बढ़ाई. इससे सेक्टर संभावित एक्सपेक्टेड क्रेडिट लॉस (ECL) ट्रांजिशन के लिए और तैयार दिखता है. साथ ही, LCR कंफर्टेबल और PSBs का CD रेशियो प्राइवेट बैंकों से कम होने के कारण उनकी लिक्विडिटी प्रोफाइल और मजबूत मानी जा रही है. रिपोर्ट कहती है कि सिस्टम-वाइड कैपिटल बफर पर्याप्त हैं और निकट भविष्य में किसी बड़े पूंजी संकट का अंदेशा नहीं.
H2FY26 में राहत की उम्मीद
त्योहारी सीजन, बेहतर डिमांड, सुधरते मानसून प्रभाव और सितंबर में CRR राहत से H2FY26 में क्रेडिट ग्रोथ को गति मिलने की संभावना रिपोर्ट में जताई गई है. हालांकि NIM प्रेशर और रिटेल सेगमेंट में बढ़ते तनाव को देखते हुए प्रॉफिट ग्रोथ में तेज उछाल की संभावना सीमित है. कुल मिलाकर Q2FY26 के नतीजों का संदेश यही है कि PSBs की मजबूती सेक्टर को संभाल रही है, लेकिन प्राइवेट बैंकों के कमजोर प्रदर्शन, बढ़ती प्रोविजनिंग और NIM पर दबाव के चलते भारतीय बैंकिंग सेक्टर की ग्रोथ अगले कुछ क्वार्टर्स तक मध्यम रह सकती है.