रुपये की कमजोरी पड़ी भारी, विदेशी मुद्रा भंडार में आई 4 अरब डॉलर से ज्यादा की कमी, अब इतना हुआ

RBI के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 21 नवंबर, 2025 तक भारत के फॉरेक्स रिजर्व करीब 688.1 अरब डॉलर रहा. फॉरेन करेंसी एसेट्स में दबाव दिखा, जबकि गोल्ड रिजर्व की वैल्यू मजबूत हुई. साप्ताहिक और सालाना रुझान क्या संकेत दे रहे हैं जानें.

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार Image Credit: Money9live

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में पिछले सप्ताह तेज गिरावट दर्ज की गई है. RBI के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 21 नवंबर, 2025 को खत्म सप्ताह में देश का कुल फॉरेक्स रिजर्व घटकर 688.10 अरब डॉलर पर आ गया, जबकि पिछले सप्ताह 14 नवंबर 2025 को यह 692.57 अरब डॉलर रहा था. यानी कुल मिलाकर रिजर्व में 4.47 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई है. रुपये की कमजोरी और डॉलर इंडेक्स की मजबूती इस गिरावट के प्रमुख कारण रहे.

डॉलर की मजबूती का असर

विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक फॉरेन करेंसी एसेट्स (FCA) पिछले सप्ताह के मुकाबले दबाव में दिखा. 14 नवंबर के 562.29 अरब डॉलर की तुलना में FCA 21 नवंबर, 2025 को घटकर 560.60 अरब डॉलर रह गया. यह स्पष्ट संकेत है कि डॉलर की मजबूत चाल के बीच RBI को मार्केट में इंटरवेंशन करना पड़ा, जिसकी वजह से FCA में साप्ताहिक आधार पर गिरावट आई. रुपये के मूल्य में उतार-चढ़ाव और वैश्विक यील्ड बढ़ने का असर FCA की वैल्यू पर साफ दिखा.

गोल्ड रिजर्व की वैल्यू भी घटी

सप्ताहिक आधार पर गोल्ड रिजर्व में भी दबाव देखने को मिला है. 14 नवंबर, 2025 को गोल्ड रिजर्व 106.85 अरब डॉलर था, जो 21 नवंबर को घटकर 104.18 अरब डॉलर रह गया. यानी लगभग 2.67 अरब डॉलर की गिरावट आई है. इसका प्रमुख कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतों में आई कमी है. हालांकि, सालाना आधार पर सोने की वैल्यू अब भी ऊंचाई पर है और कुल रिजर्व को बड़ा सपोर्ट दे रही है.

SDR और IMF पोजिशन लगभग स्थिर

स्पेशल ड्रॉइंग राइट (SDR) में मामूली गिरावट दर्ज की गई और यह 14 नवंबर के 18.65 अरब डॉलर से घटकर 18.56 अरब डॉलर रह गया. IMF में भारत की रिजर्व पोजिशन भी लगभग स्थिर रही और यह 4.78 अरब डॉलर से हल्की गिरावट के साथ 4.75 अरब डॉलर पर आ गई. इन दोनों श्रेणियों में उतार-चढ़ाव स्वाभाविक हैं और इनका असर कुल रिजर्व पर सीमित रहता है.

कुल रिजर्व में क्यों आई इतनी बड़ी गिरावट

कुल फॉरेक्स रिजर्व में 4.47 अरब डॉलर की गिरावट मुख्य रूप से FCA और गोल्ड की वैल्यू में आए दबाव का नतीजा है. डॉलर इंडेक्स के मजबूत रहने, अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में उछाल और विदेशी पोर्टफोलियो फ्लो में कमजोरी ने रिजर्व पर सप्ताहिक दबाव बढ़ाया. रुपये की हल्की कमजोरी ने भी RBI को स्थिरता के लिए बाजार में डॉलर बेचने की स्थिति में रखा, जो FCA गिरावट में परिलक्षित हुआ.

आगे के लिए संकेत क्या हैं

ग्लोबल मार्केट में डॉलर की दिशा और कच्चे तेल की कीमतें आने वाले सप्ताहों में भारत के फॉरेक्स रिजर्व के लिए निर्णायक साबित होंगी. विशेषज्ञ मानते हैं कि रिजर्व का स्तर अब भी मजबूत है, लेकिन साप्ताहिक उतार-चढ़ाव बढ़ने का अर्थ है कि बाहरी जोखिम अभी भी बने हुए हैं. वर्षों से रिजर्व में दिखाई दे रही स्थिर वृद्धि भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़े झटकों से बचाने की क्षमता तो देती है, लेकिन FCA की कमजोरी निकट अवधि में नजर रखने वाला एक प्रमुख कारक रहेगी.