भारत का राजकोषीय घाटा सात महीने में 52% के पार, टैक्स कलेक्शन और RBI डिविडेंड से अब बढ़ी उम्मीदें

अप्रैल से अक्टूबर तक केंद्र सरकार का वित्तीय घाटा 8.25 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो सालाना अनुमान का 52.6 फीसदी है. इस दौरान खर्च और रेवेन्यू का अंतर बढ़ा, हालांकि RBI डिविडेंड ने गैर-कर रेवेन्यू को मजबूत किया.

भारत का राजकोषीय घाटा बढ़ा Image Credit: Freepik

भारतीय अर्थव्यवस्था ऐसे समय से गुजर रही है जब सरकार को विकास की रफ्तार बनाए रखने के साथ-साथ अपने खर्च और आय के संतुलन को भी संभालना है. इसी बीच अप्रैल से अक्टूबर 2025 के आंकड़ों ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करना सरकार के लिए अभी भी एक बड़ी चुनौती है. चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में देश का वित्तीय घाटा 8.25 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया, जो सालाना अनुमान का 52.6 फीसदी है. यह पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ा हुआ स्तर है, जब इसी अवधि में यह 46.5 फीसदी था.

पहले सात महीनों में खर्च और आय का संतुलन कमजोर

सरकार की कुल प्राप्तियां अप्रैल से अक्टूबर तक 18 लाख करोड़ रुपये रहीं, जो पूरे साल के बजट लक्ष्य का 51.5 फीसदी है. कुल खर्च इस अवधि में 26.25 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो लक्ष्य का 51.8 फीसदी है. पिछले वर्ष के मुकाबले देखा जाए तो आय थोड़ी कम और खर्च थोड़ा ज्यादा हुआ है.

रेवेन्यू कलैक्शन 17.63 लाख करोड़ रुपये रहीं. इसमें 12.74 लाख करोड़ रुपये टैक्स रेवेन्यू से और 4.89 लाख करोड़ रुपये गैर-कर रेवेन्यू से आए. हालांकि टैक्स कलेक्शन का स्तर इस बार बजट अनुमान के केवल 44.9% तक पहुंचा, जो पिछले वर्ष के 50.5% से कम है. वहीं गैर-कर रेवेन्यू ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया और यह बजट लक्ष्य के 83.9% तक पहुंच गया.

RBI डिविडेंड से मिली बड़ी राहत

गैर-कर रेवेन्यू में उछाल का एक बड़ा कारण है भारतीय रिजर्व बैंक का रिकॉर्ड डिविडेंड. आरबीआई ने इस वर्ष केंद्र सरकार को 2.69 लाख करोड़ रुपये का डिविडेंड ट्रांसफर किया, जो पिछले वर्ष मिले 2.11 लाख करोड़ रुपये से काफी ज्यादा है. इससे सरकार को अपना राजकोषीय घाटा नियंत्रित रखने में महत्वपूर्ण मदद मिलेगी.

इसी अवधि में रेवेन्यू घाटा 2.44 लाख करोड़ रुपये रहा

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस वित्त वर्ष के बजट में 2025-26 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 4.4% तय किया है. सरकार का उद्देश्य 2026 तक इसे 4.5% से नीचे लाना है. FY25 का घाटा GDP के 4.8% पर रहा था. हालांकि यह टारगेट ऐसे समय में रखा गया है जब अर्थव्यवस्था चार साल में सबसे धीमी वृद्धि की ओर बढ़ रही है और उपभोग बढ़ाने के लिए सरकार को खर्च भी बढ़ाना पड़ सकता है. साथ ही, टैक्स दरों में कटौती की संभावना भी रेवेन्यू पर दबाव डाल सकती है.

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सब्सिडी पर 2.46 लाख करोड़ रुपये का खर्च

खर्च के मोर्चे पर सरकार ने खाद्य, उर्वरक और पेट्रोलियम जैसी प्रमुख सब्सिडियों पर 2.46 लाख करोड़ रुपये खर्च किए, जो इस साल के संशोधित लक्ष्य का 64% है. यह पिछले वर्ष की तुलना में थोड़ा अधिक है. सरकार अब उम्मीद कर रही है कि मजबूत टैक्स कलेक्शन और आर्थिक गतिविधियों में तेजी से अगले महीनों में घाटा नियंत्रित रखने में मदद मिलेगी.