Rupee vs USD: क्रूड और डॉलर ने मिलकर रुपये को घेरा, 7 पैसे कमजोरी के साथ 89.43 पर बंद

डॉलर की मजबूती, महंगे क्रूड, FII सेलिंग और सुस्त बाजार सेंटीमेंट के बीच रुपया 7 पैसे टूटकर 89.43 पर बंद हुआ. डॉलर डिमांड बढ़ने से दबाव बढ़ा है. विश्लेषकों के अनुसार फेड रेट कट उम्मीदें राहत दे सकती हैं. मार्च से अक्टूबर तक रुपया 3.5% कमजोर हुआ है.

डॉलर और रुपया Image Credit: Money9live

शुक्रवार को भारतीय रुपया 7 पैसे टूटकर 89.43 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर की मजबूती और क्रूड ऑयल के बढ़ते दाम रुपये के लिए दोहरी मार साबित हुए. ट्रेडिंग की शुरुआत 89.41 पर हुई और दिन के दौरान रुपया 89.49 के लो तक फिसल गया. पिछले कारोबारी दिन यह 89.36 पर बंद हुआ था.

लगातार दूसरे दिन कमजोरी से संकेत साफ है कि ग्लोबल फाइनेंशियल सेटअप रुपये पर दबाव बनाए हुए है. डॉलर इंडेक्स 0.18% बढ़कर 99.69 पर पहुंच गया, जिससे डॉलर मजबूत हुआ. जब भी वैश्विक स्तर पर डॉलर की मांग बढ़ती है, उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राएं, जैसे रुपया कमजोर पड़ जाती हैं. शुक्रवार को भी यही ट्रेंड दिखा.

FII सेलिंग और सुस्त घरेलू बाजार ने बढ़ाया दबाव

घरेलू मोर्चे पर भी रुपये को राहत नहीं मिली. शेयर बाजार में निवेशक सेंटीमेंट कमजोर रहा. सेंसेक्स 13.71 अंक गिरकर 85,706.67 पर और निफ्टी 12.60 अंक गिरकर 26,202.95 पर बंद हुआ. इक्विटी बाजार में यह हल्की गिरावट रुपया ट्रेडिंग पर असर डालती है, क्योंकि निवेशक जोखिम लेने से पीछे हटते हैं.

इसके अलावा, विदेशी निवेशकों की बिकवाली ने स्थिति और खराब की. गुरुवार को एफआईआई ने 1,255 करोड़ रुपये की नेट सेलिंग की, जो रुपये की दिशा पर सीधा असर डालती है. जब एफआईआई बाजार से पैसा निकालते हैं, तो डॉलर डिमांड बढ़ती है और रुपया कमजोर होता है.

महीने के अंत में बढ़ी डॉलर की मांग

ट्रेडर्स के मुताबिक, महीने के आखिर में इंपोर्टर्स और बैंकों द्वारा डॉलर खरीद में तेजी आई है. पेमेन्ट सेटलमेंट के लिए हर महीने यह ट्रेंड दिखता है, लेकिन इस बार डॉलर पहले से ही मजबूत था. ऐसे में लगातार डॉलर डिमांड ने रुपये को और कमजोर किया.

साथ ही, ब्रेंट क्रूड में 0.27% की तेजी के साथ कीमत 63.51 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई. भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का बड़ा हिस्सा आयात करता है, इसलिए क्रूड महंगा होने पर डॉलर आउटफ्लो बढ़ता है और रुपये पर दबाव आता है.

फेड रेट कट उम्मीदें दे सकती हैं सपोर्ट

Mirae Asset Sharekhan के रिसर्च एनालिस्ट अनुज चौधरी कहते हैं कि शॉर्ट-टर्म में डॉलर इंडेक्स रिकवरी और घरेलू मार्केट की कमजोरी ने रुपये को नीचे किया है. हालांकि, वे यह भी मानते हैं कि दिसंबर में फेड के रेट कट की उम्मीदें आगे चलकर रुपये के लिए सपोर्ट बन सकती हैं. जियोपॉलिटिकल तनाव कम होने से भी राहत मिल सकती है. USD-INR को वे 89.25–89.70 के दायरे में ट्रेड होते देखने की उम्मीद जताते हैं.

लॉन्ग-टर्म ट्रेंड: 3.5% गिरा रुपया

वित्त मंत्रालय की अक्टूबर आर्थिक समीक्षा के अनुसार, मार्च से अक्टूबर 2025 के बीच भारतीय रुपया 3.5% कमजोर हुआ है. यह गिरावट उभरती अर्थव्यवस्थाओं की करेंसी मूवमेंट के अनुरूप मानी जा रही है. यानी भारतीय मुद्रा में तीव्र गिरावट की बजाय धीरे-धीरे दबाव बढ़ा है, जो ग्लोबल इकोनॉमिक साइकिल का हिस्सा है.

कहां जा रहा है रुपया?

फिलहाल ट्रेडर्स की नजर आज आने वाले घरेलू मैक्रोइकनॉमिक डाटा पर है. अगर आंकड़े बेहतर आते हैं, तो रुपये को छोटी राहत मिल सकती है. हालांकि, डॉलर इंडेक्स, FII की प्रवृत्ति और क्रूड की दिशा अगले सप्ताह भी करेंसी मार्केट की चाल तय करेंगे.

Latest Stories