गोल्ड से भी अनमोल हुआ ये मैटेरियल, अटकेगी कार-फोन की डिलिवरी, ईलाज भी फंसा; चीन ने लगाई नजर

रेयर अर्थ मेटल्स की वैश्विक मांग लगातार बढ़ रही है. चीन द्वारा इन पर बैन लगाने से भारत सहित पूरी दुनिया में इसकी कमी महसूस की जा रही है. ये एलिमेंट्स कार, मोबाइल, बैटरी, मिसाइल सिस्टम और MRI जैसी मेडिकल तकनीकों में इस्तेमाल होते हैं. भारत में इसका भंडार तो है, पर उत्पादन बहुत कम है.

ये एलिमेंट्स कार, मोबाइल, बैटरी, मिसाइल सिस्टम और MRI जैसी मेडिकल तकनीकों में इस्तेमाल होते हैं. Image Credit: money9live

Rare Earth Elements: रेयर अर्थ इस समय यह नाम चर्चा में है. चीन द्वारा इस मैटेरियल पर आयात बैन लगाने के बाद दुनिया भर के कई देशों सहित भारत में भी इसकी भारी कमी हो गई है. बैन के चलते इसकी कीमत और महत्व सोने चांदी जैसे महंगे मेटल से भी ज्यादा कीमती हो गई है. इसकी कीमत इतनी ज्यादा है कि अगर चीन का प्रतिबंध ज्यादा दिन तक चलता है तो आप अपने मन की कार या डिजिटल गैजेट खरीदने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है. पिछले हफ्ते चीन द्वारा बैन लगाने के बाद से ही दुनिया भर के ऑटोमोबाइल सेक्टर में हलचल मच गई है. तो आइए जानते हैं कि यह इतनी महत्वपूर्ण क्यों है और किन चीजों को बनाने में इसका उपयोग किया जाता है.

क्या होता है रेयर अर्थ

रेयर अर्थ एलिमेंट्स(REEs) उन 17 केमिकल एलिमेंट्स का ग्रुप है जो आपस में काफी मिलते-जुलते हैं. इनमें 15 लैन्थेनाइड्स जैसे नियोडिमियम, सेरियम, लैंथेनम और स्कैन्डियम और इट्रियम शामिल हैं. ये अक्सर इन्हीं मिनरल में मिलते हैं. हालांकि इन्हें “रेयर” कहा जाता है, लेकिन ये धरती की परत में प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, बस इनका उच्च मात्रा में मिलना मुश्किल होता है.

चीन में दुनिया का सबसे ज्यादा 44 मिलियन टन रिजर्व है और पूरी दुनिया में वह इसका सबसे ज्यादा प्रोडक्शन भी करता है. इसी लिए इस पर उसका एकाधिकार भी है. चीन के बाद ब्राजील 21 mt, भारत 6.9 mt, ऑस्ट्रेलिया 5.7 mt, रूस 3.8 mt, वियतनाम 3.5 mt और अमेरिका 1.9 मिलियन टन का रिजर्व मौजूद है. भारत पूरी दुनिया में तीसरा ऐसा देश है जहां सबसे ज्यादा इसका भंडार है लेकिन इसका प्रोडक्शन मात्र 2900 टन है.

क्यों जरूरी है रेयर अर्थ

रेयर अर्थ आज की आधुनिक तकनीक और ग्रीन एनर्जी के लिए बहुत जरूरी है. इसका उपयोग कार बनाने से लेकर मोबाइल तक में होता है. इसमें मैग्नेटिक (चुंबकीय), ऑप्टिकल (प्रकाशीय) और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक (विद्युत-रासायनिक) गुण होते हैं.

कहां उपयोग होता है रेयर अर्थ

इसका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट जैसे मोबाइल, कंप्यूटर, टीवी, बैटरी और सेंसर में होता है. वही ग्रीन एनर्जी में एयर टर्बाइन नियोडिमियम मैग्नेट) और इलेक्ट्रिक वाहन मोटर और बैटरी में होता है. इसके अलावा रक्षा क्षेत्र में मिसाइल गाइडेंस सिस्टम, जेट इंजन, लेजर टारगेटिंग में, उपभोक्ता और औद्योगिक उत्पादों में एलईडी लाइट, कैटेलिटिक कनवर्टर और कांच की पॉलिश और रंग देने में, चिकित्सा में एमआरआई मशीन, कैंसर उपचार में उपयोगी रेडियोआइसोटोप में होता है.

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बैन का क्या होगा असर

अगर चीन का बैन ज्यादा लंबा खिंचता है तो देश के अंदर ऑटोमोबाइल सेक्टर में चिप की कमी आ सकती है, जिसके कारण ग्राहकों को कार खरीदने के लिए इंतजार करना पड़ सकता है. इसके अलावा देश के अंदर बन रही कई सैन्य योजनाएं लटक सकती हैं. इसके अलावा एलईडी लाइट, एमआरआई मशीन की भी कमी हो सकती है.

क्या कर रही है भारत सरकार

भारत अब रेयर अर्थ मैग्नेट के लिए चीन पर अपनी निर्भरता को कम करने की तैयारी कर रहा है. 9 जून को बर्न में भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि भारत अब इन जरूरी मटेरियल्स को खुद देश में बनाने की कोशिश कर रहा है. इसके लिए सरकार उद्योग से जुड़े लोगों के साथ मिलकर काम कर रही है, ताकि चीन से आयात पर निर्भरता कम की जा सके. उन्होंने यह भी बताया कि जब तक भारत में पूरी व्यवस्था नहीं बन जाती, तब तक कुछ जरूरी सामान चीन से मंगाने की अस्थायी योजना भी बन रही है.