स्मार्ट वॉच, स्पीकर होंगे महंगे, रेयर अर्थ की किल्लत ने बढ़ाई टेंशन, हालात नहीं सुधरे तो अटकेगा प्रोडक्शन
चीन द्वारा रेयर अर्थ एलिमेंट्स के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से भारत समेत दुनियाभर में इसकी किल्लत बढ़ गई है. इसका सबसे बड़ा असर ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर पर पड़ा है. भारत में स्पीकर, टीवी, स्मार्ट वाच जैसे प्रोडक्ट्स के उत्पादन में देरी हो रही है. कुछ कंपनियां फिनिश प्रोडक्ट्स आयात करने पर विचार कर रही हैं.

Rare Earth Ban Magnet Shortage: चीन ने रेयर अर्थ एलिमेंट्स के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसका असर अब पूरी दुनिया पर दिखने लगा है. भारत भी इस किल्लत से जूझ रहा है. सबसे ज्यादा मार ऑटोमोबाइल सेक्टर पर पड़ी है, जहां कई कंपनियों के प्रोडक्शन में देरी हो रही है. हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि जापान में मारुति सुजुकी की ‘स्विफ्ट’ का उत्पादन तक रोकना पड़ा. हालांकि सिर्फ ऑटोमोबाइल ही नहीं, इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर भी इस फैसले से प्रभावित हो रहा है. भारत में स्पीकर, स्मार्ट वाच, टीवी जैसे कई प्रोडक्ट की मैन्युफैक्चरिंग पर असर पड़ रहा है और हालात ऐसे ही रहा तो कुछ प्रोडक्ट की मैन्युफैक्चरिंग ठप हो सकती है.
कैसे प्रभावित हो रहा है इलेक्ट्रॉनिक्स सेगमेंट
चीन ने जिन सात रेयर अर्थ एलिमेंट्स के निर्यात पर बैन लगाया है, उनमें टेरेबियम और डायस्प्रोसियम शामिल हैं. ये दोनों एलिमेंट्स शक्तिशाली मैगनेट के निर्माण में इस्तेमाल होते हैं, जो इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स के लिए जरूरी होते हैं. किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में इनकी 5 से 7 फीसदी हिस्सेदारी होती है. भारत इन एलिमेंट्स के लिए लगभग 100 फीसदी चीन पर निर्भर है.
बाहर से स्पीकर मंगाने पर विचार
इकोनामिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, रेयर अर्थ की कमी से जूझ रही मैन्युफैक्चरिंग यूनिट अब विदेशों से डायरेक्ट फिनिश प्रोडक्ट मंगाने पर विचार कर रही है. अगर ऐसा होता है तो मेक इन इंडिया योजना को भी झटका लग सकता है. चीन ने ना सिर्फ रेयर अर्थ के निर्यात पर रोक लगाई है बल्कि जिन प्रोडक्ट में ये उपयोग होते हैं उन कंपोनेट्स पर भी बैन लगा दिया है. इसलिए भारत में जो लोग स्पीकर का असेम्बल करते हैं वो भी इस कमी से जूझ रहे हैं. नोएडा, चेन्नई और पुणे में स्थित फैक्ट्रियों में इसका असर देखा जा रहा है.
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रुक सकता है स्पीकर का प्रोडक्शन
रिपोर्ट के मुताबिक कई मैन्युफैक्चरर मैगनेट की कमी को देखते हुए दूसरे विकल्पों पर विचार कर रहे हैं लेकिन अभी तक कोई प्रभावी विकल्प सामने नहीं आया है. चीन सरकार के बैन के बाद वहां से निर्यात करने वाली कंपनियों को कम से कम 60 दिन का इंतजार करना पड़ रहा है. इसके बाद भी वे निर्यात कर पाएंगी या नहीं इसकी गारंटी नहीं है. अगर ऐसा ही चलता रहा तो भारत में स्पीकर के प्रोडक्शन पर इसका असर दिखने लगेगा. क्योंकि स्पीकर बनाने में उपयोग होने वाले मैगनेट इसके टोटल प्रोडक्शन कास्ट का 50 फीसदी होते हैं. देश में कई कंपनियों के पास मैगनेट का 1 महीने से कम का स्टॉक बचा हुआ है. इसके अलावा चीन के बैन के ऐलान के बाद से इसकी कीमतों में तेजी देखी जा रही है और यह 15 फीसदी तक महंगा हो गया है.
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