RBI ने NBFC को दिया सख्त निर्देश- कहा बंद कर दें ये काम

RBI ने प्राडइवेट इक्किटी और वेंचर कैपिटल फंड्स के लिए गाइडलाइन जारी की है. आरबीआई ने कई NBFCs चेताया है कि उन्हें डॉयरेक्टर को नियुक्त करना चाहिए और ऑब्जर्वर को उनके पद से हटाना चाहिए.

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने NBFC को दिया आदेश Image Credit: Getty image

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने प्राइवेट इक्किटी (PE) और वेंचर कैपिटल (VC) फंड्स के लिए एक जरूरी गाइडलाइन जारी की है. इसके तहत अब इन फंड्स को उन नॉन बैंकिंग फॉइनेंशियल कंपनियों (NBFCs) में अपनी हिस्सेदारी के साथ ‘पावर विदाउट रिस्पॉन्सिबिलिटी’ का लाभ नहीं मिलेगा. अक्सर प्राइवेट इक्किटी और वेंचर कैपिटल फंड्स एनबीएफसी में अपना शेयर खरीदने के बाद बोर्ड में डॉयरेक्टर नियुक्त करने के बजाय ऑब्जर्वर रखते हैं, ताकि वे धोखाधड़ी, फंड डायवर्जन जैसे गंभीर चूक होने पर डॉयरेक्टर पर लगने वाले आरोप से बचा जा सके. इसलिए आरबीआई ने कई NBFCs चेताया है कि उन्हें डॉयरेक्टर को नियुक्त करना चाहिए और ऑब्जर्वर को उनके पद से हटाना चाहिए.

RBI ने कई एनबीएफसी को इस बारे में अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं और बोला है कि कंपनियों को अब ‘ऑब्जर्वर्स’ से इस्तीफा दिलवाना होगा, जिसके बाद उन्हें डायरेक्टर के रूप में नियुक्ति की अनुमति दी जा सकती है.

ईटी के अनुसार, आरबीआई के अधिकारी ने ने कहा कि ‘ऑब्जर्वर’ भी डॉयरेक्टर की तरह बोर्ड बैठक में हिस्सा लेते हैं और अपने आइडिया शेयर करते हैं. वे जिस फंड को रिप्रजेंट करते हैं उसके बारे में बताते हैं. हालांकि वे डॉयरेक्टर की कानूनी जिम्मेदारियों से मुक्त होते है. उन्होंने बताया कि कानून के तहत ‘ऑब्जर्वर’ की नियुक्ति के लिए कोई प्रावधान नहीं है.

क्या करते हैं PE और VC ?

प्राइवेट इक्किटी (PE) और वेंचर कैपिटल (VC) फंड्स स्थानीय और विदेशी निवेशकों, इन्स्टिट्यूशन्स के पैसे को मैनेज करते हैं. ये या तो ऑनशोर या टैक्स-फ्रेंडली क्षेत्रों में रजिस्टर्ड होते हैं. भले ही उनके पास कम हिस्सेदारी हो, लेकिन उनके पास वीटो अधिकार होते हैं, जो एनबीएफसी के मैनेजमेंट को जरूरी निर्णयों को प्रभावी करते हैं. आरबीआई की यह गाइडलाइंस पिछले एक साल में एनबीएफसी के लिए सख्त नियमों के लागू होने के बाद आई है, जिसके कारण उनके गवर्नेंस इंफ्रास्ट्रक्चर पर सवाल उठे हैं. इस दौरान कई एनबीएफसी को नियामक कार्रवाई का सामना करना पड़ा है और इसके बाद एग्जीक्यूटिव, इंडिपेंडेंट और नॉमिनी निदेशकों की भूमिका पर भी चर्चा हुई है.

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क्या कहा RBI ने ?

हाल फिलहाल में एनबीएफसी ने पीई और वीसी इन्वेस्टर्स से काफी ज्यादा पैसे जुटाए हैं. आरबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2020 से 2023 के बीच 160 से अधिक डील्स में 88,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश वित्तीय कंपनियों में किया गया है. इसी अवधि के दौरान, स्थानीय बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं की कंपनियों (जिनमें फिनटेक कंपनियां भी शामिल हैं) को पीई और वीसी निवेशकों से 2.59 लाख करोड़ रुपये का निवेश मिला है.