रुपये की बढ़ेगी धाक, RBI ने नेपाल-श्रीलंका से कर दी शुरूआत; डॉलर को मिलेगी सीधी टक्कर

भारतीय रिजर्व बैंक ने भारतीय रुपया को वैश्विक स्तर पर ज्यादा स्वीकार्य बनाने के लिए तीन बड़े कदम उठाए हैं. अब एडी बैंक नेपाल, भूटान और श्रीलंका को रुपया में लोन दे सकेंगे, विदेशी करेंसी के लिए रेफरेंस रेट जारी होंगे और vostro अकाउंट के बैलेंस को कॉर्पोरेट बॉन्ड व कमर्शियल पेपर में निवेश किया जा सकेगा.

अब दुनिया में ज्यादा इस्तेमाल होगा रुपया. Image Credit: CANVA

Indian Rupee: भारतीय रुपया की धाक बढ़ने वाली है. इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने कुछ नए कदम उठाए हैं, जिससे इसकी स्वीकार्यता इंटरनेशनल मार्केट में बढ़ेगी. इसके मद्देनजर RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को तीन बड़े ऐलान किए. सरकार पिछले कई महीनों से रुपया को ग्लोबल करेंसी के रूप में पहचान दिलाने की दिशा में काम कर रही है. इन कदमों से न सिर्फ रुपया स्थिर और भरोसेमंद दिखाई देगा बल्कि भारत की आर्थिक ताकत भी बढ़ेगी.

पड़ोसी देशों को रुपया में लोन की सुविधा

RBI ने कहा कि अब अथॉराइज डीलर बैंक यानी एडी बैंक नेपाल, भूटान और श्रीलंका के गैर निवासी लोगों को रुपया में ट्रेड से जुड़ा लोन दे पाएंगे. इस कदम से भारत और पड़ोसी देशों के बीच व्यापार और भी आसान होगा और रुपये में लेनदेन बढ़ेगा. फिलहाल दक्षिण एशिया को भारत का 90 फीसदी एक्सपोर्ट इन्हीं देशों में जाता है.

विदेशी करेंसी के लिए रेफरेंस रेट

RBI ने विदेशी करेंसी के लिए ट्रांसपेरेंसी रेफरेंस रेट जारी करने का फैसला किया है. यह कदम इंपोर्ट और एक्सपोर्ट की प्राइस को और ज्यादा आसान बनाएगा. इससे कंपनियों को व्यापार की योजना बनाने में मदद मिलेगी और रुपया इनवॉइसिंग और सेटलमेंट में ज्यादा इस्तेमाल होने लगेगा.

वोस्त्रो अकाउंट का दायरा बढ़ा

स्पेशल रुपया वोस्त्रो अकाउंट यानी एसआरवीए के इस्तेमाल को भी बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया है. पहले इन खातों का इस्तेमाल केवल व्यापार सेटलमेंट के लिए होता था, लेकिन अब इनके बैलेंस को कॉर्पोरेट बॉन्ड और कमर्शियल पेपर्स में भी निवेश किया जा सकेगा. अगस्त में RBI ने पहले ही इन्हें सरकारी सिक्योरिटीज में निवेश की अनुमति दे दी थी.

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पहले भी उठाए गए थे कई कदम

RBI पहले ही कई महत्वपूर्ण कदम उठा चुका है. इनमें रुपया में द्विपक्षीय व्यापार समझौते, क्रॉस बॉर्डर ट्रांजेक्शन में यूपीआई जैसी भारतीय पेमेंट सिस्टम को बढ़ावा देना और रुपया की अस्थिरता कम करने के प्रयास शामिल हैं. इन सबका लक्ष्य है कि रुपया ज्यादा स्थिर और इंटरनेशनल लेवल पर ज्यादा प्रभावी बने.