मॉनेटरी पॉलिसी फ्रेमवर्क की समीक्षा कर रहा RBI, सभी पक्षों से 18 सितंबर तक मांगी राय

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मौद्रिक नीति फ्रेमवर्क की दूसरी समीक्षा से पहले डिस्कशन पेपर जारी किया है. इसमें मौजूदा 4 फीसदी महंगाई लक्ष्य और 2–6 फीसदी टॉलरेंस बैंड की प्रासंगिकता पर राय मांगी गई है. RBI ने हितधारकों से 18 सितंबर 2025 तक सुझाव देने का अनुरोध किया है.

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RBI monetary policy: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गुरुवार को देश के मौद्रिक नीति ढांचे (Monetary Policy Framework) की समीक्षा से जुड़ा एक महत्वपूर्ण डिस्कशन पेपर जारी किया है. इस पत्र के जरिए केंद्रीय बैंक ने मुद्रास्फीति के लक्ष्य, नीति निर्धारण के आधार जैसे अहम मुद्दों पर जनता और विशेषज्ञों की राय मांगी है. RBI ने हितधारकों से 18 सितंबर तक अपने सुझाव देने का अनुरोध किया है. इसमें यह सवाल उठाया गया है कि क्या मौजूदा 4 फीसदी का महंगाई लक्ष्य (Inflation Target) देश की आर्थिक वृद्धि और स्थिरता के बीच सही संतुलन बना रहा है या इसमें बदलाव की जरूरत है.

मौजूदा ढांचा क्या है

2016 में भारत ने फ्लेक्सिबल इन्फ्लेशन टार्गेटिंग फ्रेमवर्क अपनाया था. इसके तहत RBI का लक्ष्य खुदरा महंगाई दर को 4 फीसदी पर बनाए रखना है, जिसमें ऊपर और नीचे 2-2 फीसदी का टॉलरेंस बैंड रखा गया है. यानी महंगाई दर 2 फीसदी से 6 फीसदी के बीच रहे तो इसे स्वीकार्य माना जाता है. यह ढांचा 2021 में फिर से 5 साल के लिए बढ़ाया गया था और 2026 तक लागू है.

चर्चा का विषय क्यों बना?

बीते कुछ वर्षों में भारत ने कई बार ऊंची महंगाई देखी है, खासकर खाद्य वस्तुओं और ईंधन की कीमतों में तेजी के कारण. ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या 4 फीसदी का टार्गेट बहुत कड़ा है और इससे ग्रोथ पर असर पड़ता है. दूसरी ओर, अगर टॉलरेंस बैंड ज्यादा चौड़ा किया जाता है तो महंगाई नियंत्रण से बाहर भी जा सकती है. इसी दुविधा पर RBI जनता, विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं से सुझाव मांग रहा है.

संभावित बदलाव

चर्चा-पत्र में इन मुख्य बिंदुओं पर फीडबैक मांगा गया है.

क्यों अहम है यह समीक्षा

महंगाई का सीधा असर आम जनता की जेब पर पड़ता है. अगर यह ज्यादा बढ़े तो लोगों की खरीद क्षमता घट जाती है और आर्थिक असमानता बढ़ती है. वहीं, बहुत कम महंगाई होने पर निवेश और रोजगार पर नकारात्मक असर पड़ सकता है. इसलिए RBI का उद्देश्य हमेशा संतुलन साधना होता है. यह समीक्षा तय करेगी कि आने वाले वर्षों में महंगाई को किस दायरे में रखा जाएगा और किस रणनीति के तहत नीतियां बनाई जाएंगी.

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आगे का रास्ता

RBI इस चर्चा-पत्र पर 18 सितंबर 2025 तक सुझाव लेगा. उसके बाद सरकार और रिजर्व बैंक मिलकर फैसला लेंगे कि मौजूदा फ्रेमवर्क को जारी रखा जाए या इसमें बदलाव किए जाएं. चूंकि मौजूदा ढांचा 2026 में समाप्त हो रहा है, इसलिए यह समीक्षा आने वाले वर्षों के लिए महंगाई और मौद्रिक नीतियों की दिशा तय करेगी.