फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स के मिस-सेलिंग पर नकेल कसने की तैयारी में RBI, विज्ञापन से लेकर बिक्री तक जारी होंगे सख्त नियम
भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स की मिस-सेलिंग रोकने के लिए विज्ञापन, मार्केटिंग और बिक्री से जुड़े नए व्यापक नियम लाने की तैयारी में है. RBI का फोकस उपभोक्ता सुरक्षा मजबूत करने, डिजिटल फ्रॉड पर लगाम लगाने और बैंकों की जवाबदेही बढ़ाने पर रहेगा.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाने जा रहा है. केंद्रीय बैंक जल्द ही वित्तीय उत्पादों और सेवाओं की मिस-सेलिंग रोकने के लिए बैंकों और अन्य रेगुलेटेड एंटिटीज (REs) को विज्ञापन, मार्केटिंग और बिक्री से जुड़े व्यापक दिशा-निर्देश जारी करेगा. यह जानकारी RBI की बैंकिंग इन इंडिया 2024-25: ट्रेंड एंड प्रोग्रेस रिपोर्ट में दी गई है. रह सोमवार को जारी की गई. RBI ने साफ किया है कि आगे उसकी नीतियों का फोकस साइबर सुरक्षा, फ्रॉड रोकथाम, ग्राहक संरक्षण और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने पर रहेगा.
रिपोर्ट में क्या कहा गया है
रिपोर्ट में कहा गया है कि फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स की गलत बिक्री का असर न सिर्फ ग्राहकों पर पड़ता है, बल्कि इससे पूरे वित्तीय तंत्र की साख और स्थिरता को भी नुकसान पहुंचता है. इसी को देखते हुए Reserve Bank of India मौजूदा नियमों की समीक्षा कर रहा है और एक समान (हार्मोनाइज्ड) गाइडलाइंस लाने की तैयारी में है. इसमें रिकवरी एजेंट्स की भूमिका, कर्ज वसूली की प्रक्रिया और कंडक्ट से जुड़े मामलों को भी शामिल किया जाएगा.
डिजिटल और साइबर फ्रॉड को लेकर RBI ने कहा कि वह गृह मंत्रालय समेत अन्य हितधारकों के साथ मिलकर ऐसे उपाय विकसित कर रहा है, जिससे ऑनलाइन धोखाधड़ी पर लगाम लगाई जा सके और ग्राहक सुरक्षा को मजबूत किया जा सके. रिपोर्ट में जोर दिया गया है कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों को मजबूत आंतरिक नियंत्रण, पर्याप्त ग्रिवांस रिड्रेसल ऑफिसर्स और डिजिटल फाइनेंशियल लिटरेसी पर खास ध्यान देना होगा.
RBI ने यह भी कहा कि 2017 में जारी अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन में ग्राहकों की सीमित देनदारी से जुड़े निर्देशों की समीक्षा की जा रही है. इसकी वजह नए पेमेंट चैनल्स का उभरना, डिजिटल ट्रांजैक्शंस का बढ़ता वॉल्यूम और फ्रॉड के बदलते तरीके हैं.
RBI ने विकसित किया एक खास टूल
RBI ने हाल के कदमों का जिक्र करते हुए बताया कि MuleHunter.ai नाम का एक टूल विकसित किया गया है, जिससे म्यूल अकाउंट्स की पहचान की जा सके. यह सिस्टम 17 दिसंबर 2025 तक 23 बैंकों में लागू किया जा चुका है. इसके अलावा, डिजिटल पेमेंट्स इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (DPIP) पर भी काम चल रहा है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से संदिग्ध लेनदेन को फ्लैग करेगा और फ्रॉड रोकने में मदद करेगा.
फ्रॉड के आंकड़े क्या कहते हैं
रिपोर्ट के मुताबिक, 2024-25 में फ्रॉड के मामलों की संख्या घटी, लेकिन फ्रॉड में शामिल रकम बढ़ी है. इसकी एक बड़ी वजह 122 मामलों (₹18,336 करोड़) का दोबारा मूल्यांकन और रिपोर्टिंग है जो सुप्रीम कोर्ट के 27 मार्च 2023 के फैसले के अनुपालन में किया गया. घटनाओं के आधार पर देखें तो कार्ड/इंटरनेट फ्रॉड मामलों की संख्या में 66.8% हिस्सेदारी रही, जबकि रकम के लिहाज से एडवांस से जुड़े फ्रॉड का हिस्सा 33.1% रहा है. निजी बैंकों में मामलों की संख्या ज्यादा रही, जबकि सरकारी बैंकों में रकम के लिहाज से फ्रॉड अधिक दर्ज किए गए.
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