साल 2025 में सैलरी में 8.8 फीसदी बढ़ोतरी की उम्मीद, रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा
डेलॉयट इंडिया टैलेंट आउटलुक के रिपोर्ट के अनुसार भारत में कंपनियों में सैलरी में बढ़ोतरी औसतन 8.8 फीसदी रहने की संभावना है. साल 2024 में यह 9 फीसदी थी. कंपनियां अपने वेतन बजट को ऑप्टिमाइज़ करने पर ध्यान दे रही हैं.

भारत में कम सैलरी को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे है. ऐसे में डेलॉयट इंडिया टैलेंट आउटलुक ने एक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में कंपनियों में सैलरी में बढ़ोतरी औसतन 8.8 फीसदी रहने की संभावना है. साल 2024 में यह 9 फीसदी थी. कंपनियां अपने वेतन बजट को ऑप्टिमाइज़ करने पर ध्यान दे रही हैं. सर्वे में यह बताया गया कि करीब 75 फीसदी कंपनियां अपनी सैलरी बढ़ोतरी में या तो कमी करेंगी या पिछले साल के समान रखेंगी. अधिकांश सेक्टर में सैलरी बढ़ोतरी पिछले साल के मुकाबले स्थिर या थोड़ी कम रहने की उम्मीद है.
वेतन में बढ़ोतरी का क्या रहेगा हाल
भारत में औसत वेतन में बढ़ोतरी पिछले एक दशक में सबसे कम होने की उम्मीद है. सर्वे के अनुसार जो कर्मचारी बेहतर प्रदर्शन करेंगे, उन्हें औसत कर्मचारियों से 1.7 गुना अधिक वेतन बढ़ोतरी मिल सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि कंपनियां बेहतर प्रतिभाओं को बनाए रखने पर ध्यान दे रही हैं. ज्यादातर कंपनियां प्रमोशन के साथ मिलने वाली वेतन बढ़ोतरी में कोई बदलाव नहीं करने की सोच रही हैं.
हेड काउंट बढ़ाने की तैयारी में कंपनियां
ET की रिपोर्ट के अनुसार साल 2024 में कर्मचारियों की रेजिग्नेशन रेट 17.4 फीसदी तक कम हो गई है. हालांकि कंपनियां अगले वित्तीय वर्ष में अपनी हेड काउंट बढ़ा सकती हैं. साथ ही 80 फीसदी कंपनियां नए कर्मचारियों को नियुक्त करने की योजना बना रही हैं. सीखने और विकास के मामले में कंपनी डेटा-आधारित तरीका अपना रहे हैं. कंपनियां यह मान रही है कि स्किल की कमी का मूल्यांकन करने, सीखने के प्रभाव और तकनीकी बदलावों के साथ तालमेल बैठाने में चुनौतियां हैं. कुछ कंपनियों ने AI को अपनाने की गति बढ़ाई है.
काम की क्वालिटी बढ़ाने पर भी ध्यान
मानव संसाधन में टेक्नॉलजी का इस्तेमाल करके काम को आसान और बेहतर बनाया जा सकता है. यह वेतन देने, काम की क्वालिटी बढ़ाने, कर्मचारियों को सिखाने को बढ़ावा देने में मदद करता है. लेकिन कई बार एचआर सिस्टम को एक साथ जोड़ने, पैसे खर्च करने और कर्मचारियों को इसका इस्तेमाल करने में परेशानी आती है. इससे काम की क्वालिटी में सुधार नहीं हो पाता है.
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