अब पानी के लिए तिल-तिल तरसेगा पाकिस्तान, सलाल और बगलिहार डैम पर भारत की इस कार्रवाई से नींद होगी हराम
भारत ने सिंधु जल संधि को स्थगित करते हुए जम्मू-कश्मीर के सलाल और बगलिहार डैम पर हर महीने फ्लशिंग ऑपरेशन शुरू करने का फैसला लिया है. मई में पहली बार करीब 7.5 मिलियन क्यूबिक मीटर गाद हटाई गई. साथ ही, रुकी हुई पनबिजली परियोजनाओं को तेजी से शुरू किया जाएगा.
Salal Dam Baglihar Dam Flushing Operation: केंद्र सरकार ने सिंधु जल संधि को अस्थायी रूप से निलंबित करने के बाद अब जल संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. जम्मू-कश्मीर की चिनाब नदी पर बनेसलाल (690 मेगावाट) और बगलिहार (900 मेगावाट) पनबिजली परियोजनाओं पर अब हर महीने फ्लशिंग ऑपरेशन किया जाएगा. फ्लशिंग का मतलब है डैम में जमा गाद, मिट्टी और रेत को पानी के तेज बहाव से बाहर निकालना. यह प्रक्रिया बांध की वाटर स्टोरेज की क्षमता को बनाए रखने और टरबाइनों की कार्यक्षमता सुधारने में मदद करती है. इसके लिए दोनों डैम में कुछ दिनों तक पानी को रोका जाएगा फिर इन्हें एक साथ छोड़ा जाएगा.
कैसे तिल-तिल तरसेगा पाकिस्तान
सरकार के इस फैसले से अब दोनों डैम पर एक महीने तक पानी रोका जाएगा, जिससे नदी का प्रभाव बेहद कम हो जाएगा और इससे पाकिस्तान में नदी के पानी की कमी होगी, फिर जब डैम में एक स्तर तक पानी भर जाएगा तो इसको अचानक छोड़ा जाएगा जिससे की डैम की गाद हटाया जा सके. इस वजह से नदी का प्रभाव अचानक बढ़ जाएगा जिससे पाकिस्तान में बाढ़ जैसे हालात बन जाएगी.
पहली बार हुआ ऐसा ऑपरेशन
इंडियन एक्सप्रेस के रिपोर्ट के मुताबिक, मई की शुरुआत में किए गए पहले फ्लशिंग ऑपरेशन में करीब 7.5 मिलियन क्यूबिक मीटर गाद निकाली गई. यह सलाल डैम के निर्माण (1987) और बगलिहार डैम के शुरू होने (2008-09) के बाद पहली बार हुआ है.
पाकिस्तान को नहीं दी जाएगी जानकारी
सरकार ने साफ किया है कि अब ना तो पाकिस्तान को हाइड्रोलॉजिकल डेटा दिया जाएगा और ना ही फ्लशिंग जैसे ऑपरेशनों की जानकारी साझा की जाएगी. पहले IWT के तहत भारत को किसी भी नए प्रोजेक्ट या ऑपरेशन से 6 महीने पहले सूचना देना अनिवार्य था, लेकिन भारत द्वारा इस संधि को निलंबित करने के बाद अब यह बाध्यता नहीं रही.
जल्द शुरू होंगे ये प्रोजेक्ट्स
सरकार ने पाकिस्तान की आपत्तियों के चलते रुके हुए कुछ प्रमुख हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स को फिर से तेजी से शुरू करने की योजना बनाई है, जिनमें पाकल डुल (1,000 मेगावाट), किरु (624 मेगावाट),क्वार (540 मेगावाट) और रतले (850 मेगावाट) शामिल हैं. ये सभी परियोजनाएं भी चिनाब नदी पर आधारित हैं.
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क्या है सिंधु जल संधि
यह संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई थी. इसके तहत पूर्वी नदियां सतलुज, ब्यास, रावी भारत को और पश्चिमी नदियां इंडस, झेलम, चिनाब पाकिस्तान को आवंटित की गई थीं.भारत ने अब इस संधि को निलंबित कर दिया है. भारत ने 24 अप्रैल को पाकिस्तान को संधि के स्थगन की औपचारिक जानकारी दी थी. इसके बाद पाकिस्तान ने मई में बातचीत के लिए तारीख सुझाई है और भारत की चिंताओं पर चर्चा को तैयार होने के संकेत दिए हैं.