सुजलॉन एनर्जी को इस काम के लिए NSE-BSE से मिला लेटर, जानें- क्या करने जा रही है कंपनी
Suzlon Energy: पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी सुजलॉन ग्लोबल सर्विसेज लिमिटेड का मर्जर पैरेंट यूनिट में किया जाएगा. सुजलॉन ने रिजर्व को कम करके और रिस्ट्रक्चर करके अपने संचित घाटे को एडजस्ट करने की योजना बनाई है.
Suzlon Energy: सुजलॉन एनर्जी को कॉरपोरेट रिस्ट्रक्चरिंग प्लान के लिए नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और बीएसई से ‘नो एडवर्स ऑब्जर्वेशन’ पत्र प्राप्त हुआ है, जिसके तहत इसकी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी सुजलॉन ग्लोबल सर्विसेज लिमिटेड का मर्जर पैरेंट यूनिट में किया जाएगा. सुजलॉन ने शुक्रवार को एक्सचेंजों को एक फाइलिंग में गुरुवार, 3 जुलाई को NSE और BSE से पत्र प्राप्त करने की जानकारी दी. ‘स्कीम ऑफ अरेजमेंट’ के तहत, जिसमें कंपनी, उसके शेयरधारक और लेनदार शामिल हैं, सुजलॉन एनर्जी रिजर्व में कमी और रिस्ट्रक्चरिंग का काम करेगी.
घाटे को एडजस्ट करने की योजना
सुजलॉन ने रिजर्व को कम करके और रिस्ट्रक्चर करके अपने संचित घाटे को एडजस्ट करने की योजना बनाई है. खासतौर से जनरल रिजर्व में क्रेडिट बैलेंस को रिटेन्ड अर्निंग्स में ट्रांसफर करना. इसका मतलब है कि सुजलॉन मौजूदा रिजर्व (लाभदायक वर्षों के दौरान निर्मित) का उपयोग रिटेन्ड अर्निंग्स खाते में दर्शाए गए पिछले घाटे को मिटाने के लिए करेगा.
कंपनी ने कहा कि इससे बैलेंस शीट साफ होगी, जिससे कंपनी को डिविडेंड के भुगतान करने और निवेशकों को आकर्षित करने की क्षमता में सुधार हो सकता है.
कंपनी को क्या-क्या करना होगा
- कंपनी को डिटेल डिसक्लोजर का पालन करना होगा, जिसमें यह शामिल होगा कि रिजर्व को कैसे समायोजित किया जाएगा. घाटे और रिजर्व निधियों का ऐतिहासिक निर्माण, योजना का औचित्य, शेयरधारकों पर प्रभाव, लागत-लाभ विश्लेषण, तथा योजना से पूर्व और बाद में अपडेटेड बैलेंस शीट.
- कंपनी को यह सुनिश्चित करना होगा कि स्टॉक एक्सचेंज में योजना दाखिल करने के बाद कंपनी द्वारा पेश की गई अतिरिक्त जानकारी, यदि कोई हो, सुजलॉन और एक्सचेंजों की वेबसाइटों पर प्रदर्शित की जाए.
- कंपनी को यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रस्तावित योजना में शामिल संस्थाएं स्टॉक एक्सचेंज द्वारा सेबी के पास ड्राफ्ट प्लान दाखिल करने के बाद इसमें कोई भी बदलाव नहीं करेंगी, सिवाय उन बदलावों के जो विनियामकों/प्राधिकरणों/न्यायाधिकरणों द्वारा अनिवार्य किए गए हों.
- कंपनी को समय-समय पर जारी सेबी सर्कलुर का अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए.
- कंपनी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विचाराधीन योजना में वित्तीय विवरण 6 महीने से अधिक पुराने नहीं हों