रूसी क्रूड ऑयल पर भारत को निशाना बनाया जाना ‘अनुचित’, आलोचना ‘तर्कहीन’ : विदेश मंत्रालय
रूसी क्रूड ऑयल आयात पर अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) की तरफ से लगातार भारत को निशाना बनाया जा रहा है. भारत ने पहली बार इस मामले में आधिकारिक प्रतिक्रिया दी है. विदेश मंत्रालय ने अमेरिका और EU को दो टूक शब्दों में कहा है कि भारत की घेराबंद पूरी तरह गलत और अलाचेना तर्कहीन है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से भारत और रूस के बीच होने वाले क्रूड ऑयल कारोबार को निशाना बनाए जाने पर विदेश मंत्रालय ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. विदेश मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) रूसी तेल की खरीद को लेकर भारत को तरीके से निशाना बना रहे हैं. इसके अलावा इस मामले में भारत की अलोचना भी तर्कहीन है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोमवार को जारी बयान में कहा कि भारत का रूस से तेल खरीदना एक राष्ट्रीय आवश्यकता है, जबकि आलोचना करने वाले देश स्वयं रूस के साथ व्यापक व्यापार कर रहे हैं.
विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में 6 बिंदुओं में भारत के पक्ष को स्पष्ट किया गया है. इसके साथ ही बताया गया है किस तरह अमेरिका और EU रूस के साथ भारत के व्यापार पर सवाल उठा रहे हैं. लेकिन, खुद बेरोकटोक रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं.
अमेरिका ने किया प्रोत्साहित
विदेश मंत्रालय ने अपने आधिकारिक बयान में कहा, “यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद से रूस से तेल आयात करने की वजह से भारत को अमेरिका और यूरोपीय संघ निशाना बना रहे हैं. दरअसल, भारत ने रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद रूस से क्रूड आयात इसलिए शुरू किया, ताकि यूरोप को आपूर्ति दी जा सके. उस समय अमेरिका ने वैश्विक ऊर्जा बाजारों की स्थिरता को मजबूत करने के लिए भारत की तरफ से किए जा रहे आयात को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया था.
भारत की आलोचना तर्कहीन
मंत्रालय ने कहा कि भारत के आयात का मकसद भारत के लोगों के लिए किफायती ऊर्जा मुहैया कराना है. वैश्विक बाजार की स्थिति के कारण ये एक अनिवार्य जरूरत है. हालांकि, यह जग जाहिर है कि भारत की आलोचना करने वाले देश खुद रूस के साथ व्यापार में कर रहे हैं. जबकि, भारत का व्यापार इसकी राष्ट्रीय बाध्यता है, जबकि भारत की आलोचना करते हुए रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों की ऐसी कोई बाध्यता भी नहीं है.
गिरेबान में झांकें आलोचक
विदेश मंत्रालय ने कहा, 2024 में यूरोपीय संघ का रूस के साथ वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार 67.5 बिलियन यूरो था. इसके अलावा, 2023 में सेवाओं का व्यापार 17.2 बिलियन यूरो के करीब रहा. यह उस वर्ष या उसके बाद रूस के साथ भारत के कुल व्यापार से काफी ज्यादा है. असल में 2024 में यूरोपी का रूस से LNG आयात रिकॉर्ड 16.5 मिलियन टन तक पहुंच गया, जो 2022 के 15.21 मिलियन टन के पिछले रिकॉर्ड को भी पार कर गया.
रूस से सबकुछ आयात कर रहा यूरोप
विदेश मंत्रालय ने बताया कि यूरोप और रूस व्यापार में सिर्फ क्रूड ऑयल और LNG शामिल नहीं हैं. बल्कि, यूरोपीय देश, तो रूस से ऊर्जा के अलावा भी सबकुछ आयात कर रहे हैं. इसमें फर्टिलाइजर, माइनिंग प्रोडक्ट, केमिकल, आयरन, स्टील और मशीनरी भी शामिल है.
अमेरिका काे दिखाया आईना
विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को आईना दिखाते हुए कहा, जहां तक USA का सवाल है, वह अपने परमाणु उद्योग के लिए रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, अपने ईवी उद्योग के लिए पैलेडियम, उर्वरकों के साथ-साथ रसायनों का भी आयात जारी रखे हुए है. लिहाजा, इस स्थिति में भारत को निशाना बनाना अनुचित और तर्कहीन है. किसी भी प्रमुख अर्थव्यवस्था की तरह, भारत अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगा.